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'''अर्थ''' (चु. आ.) [अर्थयते, अर्थित]  
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'''अर्थ्र''' (चु. आ.) [अर्थयते, अर्थित]  
:1. प्रार्थना करना, याचना करना, गिड़गिड़ाना, मांगना, अनुरोध करना, दीन भाव से मांगना (द्विकर्मक)-त्वामिममर्थमर्थयते-दश. 71, तमभिक्रम्य सर्वेऽय वयं चार्थामहे वसु-महा., प्रहस्तमर्थयांचक्रे योद्धुम् भट्टि, 14/99
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:1. प्रार्थना करना, याचना करना, गिड़गिड़ाना, मांगना, अनुरोध करना, दीन भाव से मांगना (द्विकर्मक)-त्वामिममर्थमर्थयते<ref>दश. 71</ref>, तमभिक्रम्य सर्वेऽय वयं चार्थामहे वसु-[[महाभारत]], प्रहस्तमर्थयांचक्रे योद्धुम्<ref>भट्टि. 14/99</ref>
:2. प्राप्त करने का प्रयत्न करना, चाहना, इच्छा करना, अभि-मांगना, गिड़गिड़ाना, प्रार्थना करना इस सारङ्ग प्रियाप्रवृत्तिनिमित्त-मभ्यर्थये-विक्रम. 4, अवकाश किलोदन्वान् रामायाभ्यर्थितो ददौ-रघु. 4/38,  
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:2. प्राप्त करने का प्रयत्न करना, चाहना, इच्छा करना, '''अभि'''-मांगना, गिड़गिड़ाना, प्रार्थना करना-इमं सारङ्ग प्रियाप्रवृत्तिनिमित्त-मभ्यर्थये<ref>विक्रम. 4</ref>, अवकाश किलोदन्वान् रामायाभ्यर्थितो ददौ<ref>रघु. 4/38</ref>, '''अभिप्र''' 1. मांगना, प्रार्थना करना 2. चाहना, '''प्र''' 1. मांगना, प्रार्थना करना, याचना, प्रार्थना-तेन भवन्तं प्रार्थयत<ref>श. 2</ref>, 2. चाहना, आवश्यकता होना, इच्छा करना, प्रबल अभिलाष रखना,-अहो विघ्नवत्यः प्रार्थितार्थसिद्धयः<ref>श. 3</ref>, स्वत प्रार्थयन्ते<ref>भग 9/20, भट्टि 7/48, रघु. 7/50,64</ref>, 3. ढूँढना, तलाश करना, खोज करना,-प्रार्थयध्वं तथा सीताम्भ<ref>ट्टि. 7/48</ref>, 4. आक्रमण करना, टूट पड़ना-असो अश्वानीकेन यवनानां प्रार्थितः<ref>मालवि. 5</ref>, दुर्जया लवणः शूली विशूल प्रार्थ्यतामिति<ref>रघु. 15/5, 9/56</ref>, '''प्रति'''-1. (युद्ध के लिए) ललकारना, मुकाबला करना, शत्रुवत् व्यवहार करना-एते सीताद्रुहः संख्ये प्रत्यर्थयन राघवम्भ<ref>ट्टि. 6/25</ref>, 2. किसी को शत्रु बनाना,  
  
'''अभिप्र'''-1. मांगना, प्रार्थना करना 2. चाहना,
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'''सम्‌'''-1. विश्वास करना, सोचना, ख्याल रखना, चिंतन करना-समर्थये यत्प्रथमं प्रियां प्रति<ref>विक्रम 4/39</ref>, मया न साधु समर्थितम्<ref>विक्रम. 2.</ref> अनुपयुक्तमिवात्मानं समर्थये<ref>श. 7</ref>, 2. समर्थन करना, सहायता करना, प्रमाण द्वारा सिद्ध करना-उक्तमेवार्थ मुदाहरणेन समर्थयति '''समप्रि-''','''संप्र'''-याचना करना, प्रार्थना करना आदि।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=104|url=|ISBN=}}</ref>
 
 
'''प्र'''- 1. मांगना, प्रार्थना करना, याचना, प्रार्थना-तेन भवन्तं प्रार्थयत-श. 2, 2. चाहना, आवश्यकता होना, इच्छा करना, प्रबल अभिलाष रखना,-अहो विघ्नवत्यः प्रार्थितार्थसिद्धयः-श. 3, स्वत प्रार्थयन्ते-भग 9/20, भट्टि 7/48, रघु. 7/50,64, 3. ढूँढना, तलाश करना, खोज करना,-प्रार्थयध्वं तथा सीताम्-भट्टि. 7/48, 4. आक्रमण करना, टूट पड़ना-असो अश्वानीकेन यवनानां प्रार्थितः-मालवि. 5, दुर्जया लवणः शूली विशूल प्रार्थ्यतामिति-रघु. 15/5, 9/56,
 
 
 
'''प्रति'''-1. (युद्ध के लिए) ललकारना, मुकाबला करना, शत्रुवत् व्यवहार करना- एते सीताद्रुहः संख्ये प्रत्यर्थयन राघवम्- भट्टि. 6/25, 2. किसी को शत्रु बनाना,
 
 
 
'''सम्‌'''-1. विश्वास करना, सोचना, ख्याल रखना, चिंतन करना-समर्थये यत्प्रथमं प्रियां प्रति-विक्रम 4/39, मया न साधु समर्थितम्-विक्रम. 2. अनुपयुक्तमिवात्मानं समर्थये-श. 7, 2. समर्थन करना, सहायता करना, प्रमाण द्वारा सिद्ध करना-उक्तमेवार्थ मुदाहरणेन समर्थयति '''समप्रि-''','''संप्र'''-याचना करना, प्रार्थना करना आदि।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=104|url=|ISBN=}}</ref>
 
  
  

08:01, 9 मई 2024 के समय का अवतरण

अर्थ्र (चु. आ.) [अर्थयते, अर्थित]

1. प्रार्थना करना, याचना करना, गिड़गिड़ाना, मांगना, अनुरोध करना, दीन भाव से मांगना (द्विकर्मक)-त्वामिममर्थमर्थयते[1], तमभिक्रम्य सर्वेऽय वयं चार्थामहे वसु-महाभारत, प्रहस्तमर्थयांचक्रे योद्धुम्[2]
2. प्राप्त करने का प्रयत्न करना, चाहना, इच्छा करना, अभि-मांगना, गिड़गिड़ाना, प्रार्थना करना-इमं सारङ्ग प्रियाप्रवृत्तिनिमित्त-मभ्यर्थये[3], अवकाश किलोदन्वान् रामायाभ्यर्थितो ददौ[4], अभिप्र 1. मांगना, प्रार्थना करना 2. चाहना, प्र 1. मांगना, प्रार्थना करना, याचना, प्रार्थना-तेन भवन्तं प्रार्थयत[5], 2. चाहना, आवश्यकता होना, इच्छा करना, प्रबल अभिलाष रखना,-अहो विघ्नवत्यः प्रार्थितार्थसिद्धयः[6], स्वत प्रार्थयन्ते[7], 3. ढूँढना, तलाश करना, खोज करना,-प्रार्थयध्वं तथा सीताम्भ[8], 4. आक्रमण करना, टूट पड़ना-असो अश्वानीकेन यवनानां प्रार्थितः[9], दुर्जया लवणः शूली विशूल प्रार्थ्यतामिति[10], प्रति-1. (युद्ध के लिए) ललकारना, मुकाबला करना, शत्रुवत् व्यवहार करना-एते सीताद्रुहः संख्ये प्रत्यर्थयन राघवम्भ[11], 2. किसी को शत्रु बनाना,

सम्‌-1. विश्वास करना, सोचना, ख्याल रखना, चिंतन करना-समर्थये यत्प्रथमं प्रियां प्रति[12], मया न साधु समर्थितम्[13] अनुपयुक्तमिवात्मानं समर्थये[14], 2. समर्थन करना, सहायता करना, प्रमाण द्वारा सिद्ध करना-उक्तमेवार्थ मुदाहरणेन समर्थयति समप्रि-,संप्र-याचना करना, प्रार्थना करना आदि।[15]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दश. 71
  2. भट्टि. 14/99
  3. विक्रम. 4
  4. रघु. 4/38
  5. श. 2
  6. श. 3
  7. भग 9/20, भट्टि 7/48, रघु. 7/50,64
  8. ट्टि. 7/48
  9. मालवि. 5
  10. रघु. 15/5, 9/56
  11. ट्टि. 6/25
  12. विक्रम 4/39
  13. विक्रम. 2.
  14. श. 7
  15. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 104 |

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