अशोक चक्र

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अशोक चक्र पदक

अशोक चक्र शांति काल में दिया जाने वाला वीरता सम्मान है। यह युद्ध के अतिरिक्‍त शौर्य, बहादुरी और बलिदान के लिए दिया जाता है। इस सम्मान का वहीं महत्‍व है जो युद्ध काल में परमवीर चक्र का है। अशोक चक्र गैर युद्ध प्रसंग में वीरता के लिए सैनिकों और आम नागरिकों, सबके लिए है। इस पुरस्कार को श्रेष्ठता के तीन स्तरों पर दिया जाता है। वर्ष 1960 से, सेना पदक देने का क्रम शुरू किया गया। यह पदक थलसेना, वायु सेना, नौसेना तीनों के लिए अलग अलग देना सुनिश्चित किया गया। इस पुरस्कार को देने का निर्णय भी वीरता और विशिष्टता के आधार पर तय किया गया।

यह सम्मान सेना के जवान, आम नागरिक को जीवित या मरणोपरांत दिया जाता है। आज़ादी के बाद से क़रीब 40 अशोक चक्र सम्‍मान दिए गए हैं। इस सम्मान की स्‍थापना 4 जनवरी 1952 को हुई। तब इसका नाम ‘अशोक चक्र, वर्ग-1’ था। सन् 1967 में इस सम्मान से वर्ग की शर्त का हटा दिया गया और इसके तीन सम्मान घोषित किए गए। इनका नामकरण ‘अशोक चक्र’, ‘कीर्ति चक्र’ और ‘शौर्य चक्र’ किया गया।

1 फरवरी 1999 से केंद्र सरकार ने अशोक चक्र के लिए 1400 रुपए का मासिक भत्‍ता निर्धारित किया।

अशोक चक्र का आकार

3/8 इंच व्‍यास का सोने का गोल टुकड़ा। बीच में अशोक चक्र की प्रतिकृति, जो कि कलम की पंखुड़ियों से घिरी रहती है। पदक की परिधि को समेटते हुए अशोक चक्र नाम। दूसरी ओर कमल के फूल की उभरी प्रतिकृति। इसमें लगा रिबन की लंबाई 31 मिलीमीटर, 15 मिलीमीटर चौड़ाई, रंग गहरा हरा, बीच में 2 मिमी की केसरिया पट्टी।

सेवा पुरस्‍कार

युद्ध के समय दिए जाने वाले सबसे बड़े सैन्‍य सम्मान में परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र शामिल है। वहीं शांति काल में इसी श्रेणी के पुरस्‍कार अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र हैं। विशिष्‍ट सेवा के लिए सेना मेडल, नौसेना मेडल और वायु सेना मेडल प्रदान किया जाता है। इसके अलावा परम विशिष्‍ट सेवा मेडल और अतिविशिष्‍ट सेवा मेडल भी प्रदान किया जाता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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