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असद ख़ाँ [[बीजापुर]] के सुल्तान [[इब्राहीम आदिलशाह प्रथम]] (1535-57 ई॰) का वज़ीर था। वह योग्य प्रशासक और कूटनीतिज्ञ था। उसने 1543 ई॰ में अपने कूटनीति चातुर्य का अच्छा परिचय दिया। उस वर्ष [[अहमदनगर]] और [[गोलकुण्डा]] के सुल्तानों ने संयुक्त रूप से बीजापुर पर हमला करने के लिए [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] के हिन्दू राज्य से सुलह कर ली। असद ख़ाँ ने अहमदनगर और विजयनगर से अलग-अलग संधियाँ करके उस संयुक्त मोर्चे को तोड़ दिया और इस प्रकार बीजापुर की रक्षा हो गयी।  
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असद ख़ाँ [[बीजापुर]] के सुल्तान [[इब्राहीम आदिलशाह प्रथम]] (1535-57 ई.) का वज़ीर था। वह योग्य प्रशासक और कूटनीतिज्ञ था। उसने 1543 ई. में अपने कूटनीति चातुर्य का अच्छा परिचय दिया। उस वर्ष [[अहमदनगर]] और [[गोलकुण्डा]] के सुल्तानों ने संयुक्त रूप से बीजापुर पर हमला करने के लिए [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] के हिन्दू राज्य से सुलह कर ली। असद ख़ाँ ने अहमदनगर और विजयनगर से अलग-अलग संधियाँ करके उस संयुक्त मोर्चे को तोड़ दिया और इस प्रकार बीजापुर की रक्षा हो गयी।  
 
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08:28, 25 अगस्त 2010 का अवतरण

असद ख़ाँ बीजापुर के सुल्तान इब्राहीम आदिलशाह प्रथम (1535-57 ई.) का वज़ीर था। वह योग्य प्रशासक और कूटनीतिज्ञ था। उसने 1543 ई. में अपने कूटनीति चातुर्य का अच्छा परिचय दिया। उस वर्ष अहमदनगर और गोलकुण्डा के सुल्तानों ने संयुक्त रूप से बीजापुर पर हमला करने के लिए विजयनगर के हिन्दू राज्य से सुलह कर ली। असद ख़ाँ ने अहमदनगर और विजयनगर से अलग-अलग संधियाँ करके उस संयुक्त मोर्चे को तोड़ दिया और इस प्रकार बीजापुर की रक्षा हो गयी।