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'''अहमदिया आन्दोलन''' की स्थापना वर्ष [[1889]] ई. में की गई थी। इसकी स्थापना [[गुरदासपुर]] ([[पंजाब]]) के 'कादिया' नामक स्थान पर की गई।
 
'''अहमदिया आन्दोलन''' की स्थापना वर्ष [[1889]] ई. में की गई थी। इसकी स्थापना [[गुरदासपुर]] ([[पंजाब]]) के 'कादिया' नामक स्थान पर की गई।
 
*इसका मुख्य उद्देश्य [[मुसलमान|मुसलमानों]] में [[इस्लाम धर्म]] के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था।
 
*इसका मुख्य उद्देश्य [[मुसलमान|मुसलमानों]] में [[इस्लाम धर्म]] के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था।
*अहमदिया आन्दोलन की स्थापना 'मिर्ज़ा गुलाम अहमद' (1838-[[1908]] ई.) द्वारा 19वीं [[शताब्दी]] के अंत में की गई थी।
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*अहमदिया आन्दोलन की स्थापना 'मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद' (1838-[[1908]] ई.) द्वारा 19वीं [[शताब्दी]] के अंत में की गई थी।
 
*इन्हीं के नाम 'अहमद' पर इसका का नाम 'अहमदिया आन्दोलन' पड़ा।
 
*इन्हीं के नाम 'अहमद' पर इसका का नाम 'अहमदिया आन्दोलन' पड़ा।
*मिर्ज़ा गुलाम अहमद ने स्वयं को [[श्रीकृष्ण]] का [[अवतार]] भी मानना शुरू कर दिया था।
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*मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने स्वयं को [[श्रीकृष्ण]] का [[अवतार]] भी मानना शुरू कर दिया था।
 
*इन्हीं कारणों से इस आन्दोलन को शास्त्र के प्रतिकूल एवं दिगभ्रमित माना गया।
 
*इन्हीं कारणों से इस आन्दोलन को शास्त्र के प्रतिकूल एवं दिगभ्रमित माना गया।
*मिर्ज़ा गुलाम अहमद ने अपनी पुस्तक ‘बराहीन-ए-अहमदिया’ में अपने सिद्धान्तों की व्याख्या की है।
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09:22, 3 जून 2012 का अवतरण

अहमदिया आन्दोलन की स्थापना वर्ष 1889 ई. में की गई थी। इसकी स्थापना गुरदासपुर (पंजाब) के 'कादिया' नामक स्थान पर की गई।

  • इसका मुख्य उद्देश्य मुसलमानों में इस्लाम धर्म के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था।
  • अहमदिया आन्दोलन की स्थापना 'मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद' (1838-1908 ई.) द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में की गई थी।
  • इन्हीं के नाम 'अहमद' पर इसका का नाम 'अहमदिया आन्दोलन' पड़ा।
  • मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने स्वयं को श्रीकृष्ण का अवतार भी मानना शुरू कर दिया था।
  • इन्हीं कारणों से इस आन्दोलन को शास्त्र के प्रतिकूल एवं दिगभ्रमित माना गया।
  • मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने अपनी पुस्तक ‘बराहीन-ए-अहमदिया’ में अपने सिद्धान्तों की व्याख्या की है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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