आक्सैलिक अम्ल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

आक्सैलिक अम्ल पोटैसियम और कैल्सिय लवण के रूप में बहुत से पौधों में पाया जाता है। लकड़ी के बुरादे से क्षार के साथ 248° से 258° सें. के बीच गरम करके आक्सैलिक अम्ल, (काऔऔहा)2,बनाया जा सकता है। इस प्रतिक्रिया में सेल्यूलास की-काहाऔहा-कहाऔहा की इकाई आक्सीकृत होकर (काऔऔहा)2 का रूप ग्रहण कर लेती है। आक्सैलिक अम्ल को औद्योगिक परिमाण में बनाने के लिए सोडियम फ़ार्मेट को सोडियम हाइड्राक्साइड या कार्बोनेट के साथ गरम किया जाता है। आक्सैलिक अम्ल का कार्बोक्सिल समूह दूसरे कार्बोक्सिल समूह पर प्रेरण प्रभाव डालता है, जिससे इनका आयनीकरण अधिक होता है। आक्सैलिक अम्ल में शक्तिशाली अम्ल के गुण हैं।

पेनीसीलियम और एर्स्पेगिलस फफूंदें शर्करा से आक्सैलिक अम्ल बनाती हैं। यदि कैल्सियम कार्बोनेट डालकर विलयन का पीएच 6-7 के बराबर रखा जाए तो लगभग 98 प्रतिशत शर्करा, कैल्सियम आक्सैलेट में बदल जाती है।

आक्सैलिक अम्ल की संरचना Aksalik-Acid.gif (संकेत : औउआक्सीजन; काउकार्बन; हाउहाइड्रोजन।)

ऐसीटिक अम्ल दो प्रकारों से आक्सैलिक अम्ल में परिवर्तित होता है, जैसा ऊपर दी गई सारणी में दिखाया गया है।

आक्सैलिक अम्ल पोटैशियम परमैंगनेट द्वारा शीघ्र आक्सीकृत हो जाता है। इस आक्सीकरण में दो अति आक्सीकृत कार्बन के परमाणुओं के बीच का दुर्बल संबंध टूट जाता है तथा कार्बन डाइ-आक्साइड और पानी बनता है। यह प्रतिक्रिया नियमित रूप से होती है और इसका उपयोग आयतनमितीय (वॉल्युमेट्रिक) विश्लेषण में होता है। आक्सैलिक अम्ल के इस अवकारी (रेड्यूसिंग) गुण के कारण इसका उपयोग स्याही के धब्बे छुड़ाने के लिए तथा अन्य अवकारक के रूप में होता है।

आक्सैलिक अम्ल को गरम करने पर यह फार्मिक अम्ल, कार्बन डाइ-आक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड और पानी में विच्छेदित हो जाता है। सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा यह विच्छेदन कम ताप पर ही होता है और इस दिशा में बना फार्मिक अम्ल, कार्बन मोनोक्साइड और पानी में विच्छेदित हो जाता है।

आक्सैलिक अम्ल आठ भाग पानी में विलेय है। 158° सें. तक गरम करने पर इसका मणिभ जल (वाटर ऑव क्रिस्टैलाइज़ेशन) निकल जाता है। जलयोजित अम्ल का गलनांक 181° सें. और निर्जलीकृत अम्ल का गलनांक 189° सें. है। नार्मल ब्यूटाइल ऐलकोहल के साथ आसुत (डिस्टिल) करने पर ब्यूटाइल एस्टर बनता है, जिसका क्वथनांक 243° सें. है। आक्सैलिक अम्ल के पैरा-नाइट्रोबेंज़ाइल एस्टर का क्वथनांक 284° सें., ऐनिलाइड का गलनांक 245° सें. और पैराटोल्यूडाइड का गलनांक 267° सें. है।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 346 |

संबंधित लेख