आज इक और होली -आदित्य चौधरी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
Copyright.png
आज इक और होली -आदित्य चौधरी

आख़िर होली ने भी रंग बदल ही लिया ...

सुहानी सुबह
आज इक और होली

अलसाई आखोँ से
शरमा के बोली
मुझे ख़ूब खेला है
मैं भी तो खेलूँ

वो दिन गए
जब थी सीधी और भोली

पहले मेरी ज़ात के लोग लाओ
या उनके मज़हब से वाकिफ़ कराओ
यूँ ही मुझे कोई छूएगा कैसे
कोई ग़ैर कैसे करेगा ठिठोली

बहुत मौज लेली है फोकट में राजा
मुझको भी दारू की बोतल पिलाओ
रंगों की मस्ती में रक्खा ही क्या है

मैं इस शहर में और तुम उस शहर में
ई-कार्ड से रंग दिखाओ-सुनाओ

यूँ भी अलर्जी है मुझको रंगों से
कुछ भी करो यार
रंग ना लगाओ
रंग ना लगाओ


टीका टिप्पणी और संदर्भ