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आदि ब्रह्मसमाज

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आदि ब्रह्मसमाज की स्थापना ब्रह्मसमाज के विभाजन के उपरान्त आचार्य केशवचन्द्र सेन द्वारा की गई थी। आदि ब्रह्मसमाज की स्थापना कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुई थी। ब्रह्मसमाज का 1865 ई. में विखण्डन हो चुका था। केशवचन्द्र सेन को देवेन्द्रनाथ टैगोर ने आचार्य के पद से हटा दिया। फलतः केशवचन्द्र सेन ने भारतीय ब्रह्म समाज की स्थापना की, और इस प्रकार पूर्व का ब्रह्मसमाज 'आदि ब्रह्मसमाज' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

उद्देश्य

इसका उद्देश्य स्त्रियों की मुक्ति, विद्या का प्रसार, सस्ते साहित्य को बाँटना, मद्य निषेध, दान देने पर अधिक बल देना था। 1878 ई. में केशवचन्द्र सेन द्वारा अपनी 13 वर्षीय अल्पायु पुत्री का विवाह कूचबिहार के महाराजा के साथ वैदिक रीति रिवाज के अनुसार करने के करण इस समाज में एक और विभाजन हो गया। केशवचन्द्र सेन के अधिकतर समर्थकों ने अलग होकर 1878 ई. में एक अलग संस्था ‘साधारण ब्रह्म समाज’ की स्थापना कर ली।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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