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आह ! वेदना मिली विदाई -जयशंकर प्रसाद
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कवि
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जयशंकर प्रसाद
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जन्म
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30 जनवरी, 1889
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जन्म स्थान
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वाराणसी, उत्तर प्रदेश
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मृत्यु
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15 नवम्बर, सन् 1937
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मुख्य रचनाएँ
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चित्राधार, कामायनी, आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, अजातशत्रु
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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आह ! वेदना मिली विदाई
मैंने भ्रमवश जीवन संचित,
मधुकरियों की भीख लुटाई।
छलछल थे संध्या के श्रमकण,
आँसू-से गिरते थे प्रतिक्षण,
मेरी यात्रा पर लेती थी
नीरवता अनंत अँगड़ाई।
श्रमित स्वप्न की मधुमाया में,
गहन-विपिन की तरु छाया में,
पथिक उनींदी श्रुति में किसने
यह विहाग की तान उठाई?
लगी सतृष्ण दीठ थी सबकी,
रही बचाए फिरती कब की,
मेरी आशा आह ! बावली
तूने खो दी सकल कमाई।
चढ़कर मेरे जीवन-रथ पर,
प्रलय चल रहा अपने पथ,
मैंने निज दुर्बल पद-बल पर
उससे हारी-होड़ लगाई।
लौटा लो यह अपनी थाती,
मेरी करुणा हा-हा खाती,
विश्व ! न सँभलेगी यह मुझसे
इसने मन की लाज गँवाई।
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