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13:02, 7 मार्च 2013 का अवतरण

उदयपुर
सिटी पैलेस काम्‍पलेक्‍स उदयपुर
विवरण उदयपुर, पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर माना जाने वाला शहर है। यह ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है।
राज्य राजस्थान
ज़िला उदयपुर
स्थापना सन् 1559 ई. में महाराजा उदयसिंह द्वारा स्थापित
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 24°35 - पूर्व- 73°41
मार्ग स्थिति उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
प्रसिद्धि उदयपुर के अलावा झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्‍य कहीं नहीं देखने को मिलता है।
कब जाएँ अक्टूबर से फ़रवरी
हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक में है।
रेलवे स्टेशन उदयपुर सिटी/UDZ रेलवे स्टेशन, उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन
बस अड्डा बस अड्डा उदयपुर
यातायात बिना मीटर की टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
क्या देखें महलें, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्‍मारक
क्या ख़रीदें यहाँ से हस्‍तशिल्‍प संबंधी वस्‍तुएँ, पेपर, कपड़े, पत्‍थर तथा लकड़ी पर बने चित्र ये सभी सरकार द्वारा संचालित राजस्‍थानी शोरुम से ख़रीदी जा सकती है।
एस.टी.डी. कोड 0294
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उदयपुर शहर, दक्षिणी राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में, अरावली पर्वतश्रेणी पर स्थित है। पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। अपनी नैसर्गिंक सौन्दर्य सुषमा से भरपूर झीलों की यह नगरी सहज ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। यहाँ की ख़ूबसूरत वादियाँ, पर्वतों पर बिखरी हरियाली, झीलों का नजारा और बलखाती सड़कें बरबस ही सैलानियों को अपनी ओर खींच लेती हैं। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं।

कुंभलगढ़, उदयपुर

स्थापना

महाराणा उदयसिंह ने सन् 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की। लगातार मुग़लों के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर शहर राजस्थान प्रान्त का एक नगर है। यहाँ का क़िला अन्य इतिहास को समेटे हुये है। इसके संस्थापक बप्पा रावल थे, जो कि सिसोदिया राजवंश के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी।

इतिहास

उदयपुर मेवाड़ के महाराणा प्रताप के पिता सूर्यवंशी नरेश महाराणा उदयसिंह के द्वारा 16वीं शती में बसाया गया था। मेवाड़ की प्राचीन राजधानी चित्तौड़गढ़ थी। मेवाड़ के नरेशों ने मुग़लों का आधिपत्य कभी स्वीकार नहीं किया था। महाराणा राजसिंह जो औरंगज़ेब से निरन्तर युद्ध करते रहे थे, महाराणा प्रताप के पश्चात मेवाड़ के राणाओं में सर्वप्रमुख माने जाते हैं। उदयपुर के पहले ही चित्तौड़ का नाम भारतीय शौर्य के इतिहास में अमर हो चुका था। उदयपुर में पिछोला झील में बने राजप्रासाद तथा सहेलियों का बाग़ नामक स्थान उल्लेखनीय हैं।

उदयपुर के महाराणा का दरबार

उदयपुर को सूर्योदय का शहर कहा जाता है, जिसको 1568 में महाराणा उदयसिंह द्वारा चित्तौड़गढ़ विजय के बाद उदयपुर रियासत की राजधानी बनाया गया था। प्राचीर से घिरा हुआ उदयपुर शहर एक पर्वतश्रेणी पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा जी का महल है, जो सन् 1570 ई. में बनना आरंभ हुआ था। उदयपुर के पश्चिम में पिछोला झील है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल हैं, इनमें से एक में मुग़ल शहंशाह शाहजहाँ (शासनकाल 1628-58 ई.) ने तख़्त पर बैठने से पहले अपने पिता जहाँगीर से विद्रोह करके शरण ली थी।

सन 1572 ई. में महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। उन दिनों एक मात्र यही ऐसे शासक थे जिन्होंने मुग़लों की अधीनता नहीं स्वीकारी थी। महाराणा प्रताप एवं मुग़ल सम्राट अकबर के बीच हुआ हल्‍दीघाटी का घमासान युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास प्रसिद्ध है। यह युद्ध किसी धर्म, जाति अथवा साम्राज्य विस्तार की भावना से नहीं, बल्कि स्वाभिमान एवं मातृभूमि के गौरव की रक्षा के लिए ही हुआ।

मौर्य वंश के राजा मानसिंह ने उदयपुर के महाराजाओं के पूर्वज बप्पा रावल को जो उनका भांजा था, यह क़िला सौंप दिया। यहीं बप्पा रावल ने मेवाड़ के नरेशों की राजधानी बनाई, जो 16वीं शती में उदयपुर के बसने तक इसी रूप में रही। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी। बाद में इस वंश ने मुस्लिम आक्रमणों का लंबे समय तक प्रतिरोध किया। 18वीं शताब्दी में इस राज्य को आतंरिक फूट व मराठों के आक्रमणों का सामना करना पड़ा और 1818 ई. में यह ब्रिटिश प्रभुता के अधीन हो गया था। 1948 ई. में राजस्थान राज्य में इसका विलीन हो गया।

मेवाड़

मेवाड़ राजस्थान के दक्षिण मध्य में एक रियासत थी। मेवाड़ को उदयपुर राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आधुनिक भारत के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, तथा चित्तौडगढ़ ज़िले थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया था।

अलाउद्दीन ख़िलजी ने 1303 ई. में मेवाड़ के गहलौत राजवंश के शासक रतनसिंह को पराजित कर मेवाड़ को दिल्ली सल्तनत में मिलाया। गहलौत वंश की एक शाखा सिसोदिया वंश के हम्मीरदेव ने मुहम्मद तुग़लक के समय में चित्तौड़ को जीत कर पूरे मेवाड़ को स्वतंत्र करा लिया। 1378 ई. में हम्मीदेव की मृत्यु के बाद उसका पुत्र क्षेत्रसिंह (1378 -1405 ई.) मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। क्षेत्रसिंह के बाद उसका पुत्र लक्खासिंह 1405 ई. में सिंहासन पर बैठा। लक्खासिंह की मृत्यु के बाद 1418 ई. में इसका पुत्र मोकल राजा हुआ। मोकल ने कविराज बानी विलास और योगेश्वर नामक विद्वानों को आश्रय दिया। उसके शासनकाल में माना, फन्ना और विशाल नामक प्रसिद्ध शिल्पकार आश्रय पाये हुये थे। मोकल ने अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया तथा एकलिंग मंदिर के चारों तरफ परकोटे का भी निर्माण कराया। उसकी गुजरात शासक के विरुद्ध किये गये अभियान के समय हत्या कर दी गयी। 1431 ई. में उसकी मृत्यु के बाद राणा कुम्भा मेवाड़ के राज सिंहासन पर बैठा। अम्बाजी नाम के एक मराठा सरदार ने अकेले ही मेवाड़ से क़रीब दो करोड़ रुपये वसूले थे।

कृषि और खनिज

उदयपुर एक कृषि वितरण केंद्र है। यहाँ के कारख़ानों में रसायन, एस्बेस्टॅस और चिकनी मिट्टी का उत्पादन होता है।

उद्योग और व्यापार

उदयपुर में कपड़े, कसीदाकारी की हुई वस्तुएँ, हाथीदांत और लाख के हस्तशिल्प का भी निर्माण होता है।

यातायात और परिवहन

महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर

हवाई मार्ग

उदयपुर का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा डबौक में है। जयपुर, जोधपुर, दिल्ली तथा मुंबई से यहाँ नियमित उड़ाने उपलब्‍ध हैं।

रेल मार्ग

उदयपुर का रेलवे स्‍टेशन देश के अन्‍य शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

उदयपुर शहर राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।

शिक्षण संस्थान

उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (1962 ई. में स्थापित) है।

पर्यटन

पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्‍य कहीं देखने को नहीं मिलता है। उदयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्‍मारक हैं।

जनसंख्या

2001 की गणना के अनुसार उदयपुर की जनसंख्या 3,89,317 है, उदयपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 26,32,210 है।


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उदयपुर नगर का पिछोला झील से विहंगम दृश्य
उदयपुर नगर का पिछोला झील से विहंगम दृश्य

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