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[[बौद्ध साहित्य]]<ref>संयुत्त. 1, पृ. 111)</ref> में इसे [[कौशल महाजनपद|कोसल-देश]] का एक [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का ग्राम बताया गया है, यहाँ [[बुद्ध]] ने मार को विजित किया था।  
  
  

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वाल्मीकि-रामायण के अनुसार भरत ने केकय-देश से अयोध्या आते समय अयोध्या के पश्चिम की ओर इस स्थान पर स्थाणुमती नदी को पार किया था,

'एकसाले स्थाणुमती विनते गोमती नदी, कलिंगनगरे चापि प्राप्य सालवनं तदा'[1]

बौद्ध साहित्य[2] में इसे कोसल-देश का एक ब्राह्मणों का ग्राम बताया गया है, यहाँ बुद्ध ने मार को विजित किया था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अयोध्या. 71, 16।
  2. संयुत्त. 1, पृ. 111)

बाहरी कड़ियाँ

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