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| + | | <center>'''[[सूर्य मंदिर कोणार्क]]'''</center> |
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| + | *'''[[सूर्य मंदिर कोणार्क|कोणार्क के सूर्य मंदिर]]''' को [[गंग वंश]] के राजा नरसिम्हा देव प्रथम ने लगभग 1278 ई. में बनाया था। |
| + | * कहा जाता है कि ये मंदिर अपनी पूर्व निर्धारित अभिकल्पना के आधार पर नहीं बनाया जा सका। मंदिर के भारी गुंबद के हिसाब से इसकी नींव नहीं बनी थी। |
| + | * यहाँ के स्थानीय लोगों की मानें तो ये गुम्बद मंदिर का हिस्सा था पर इसकी चुम्बकीय शक्ति की वजह से जब समुद्री पोत दुर्घटनाग्रस्त होने लगे, तब ये गुम्बद हटाया गया। शायद इसी वज़ह से इस मंदिर को 'ब्लैक पैगोडा' भी कहा जाता है। [[सूर्य मंदिर कोणार्क|... और पढ़ें]] |
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| | <center>'''[[हुमायूँ का मक़बरा]]'''</center> | | | <center>'''[[हुमायूँ का मक़बरा]]'''</center> |
14:54, 12 नवम्बर 2011 का अवतरण
मुखपृष्ठ पर चयनित पर्यटन स्थल
सूर्य मंदिर कोणार्क
- कोणार्क के सूर्य मंदिर को गंग वंश के राजा नरसिम्हा देव प्रथम ने लगभग 1278 ई. में बनाया था।
- कहा जाता है कि ये मंदिर अपनी पूर्व निर्धारित अभिकल्पना के आधार पर नहीं बनाया जा सका। मंदिर के भारी गुंबद के हिसाब से इसकी नींव नहीं बनी थी।
- यहाँ के स्थानीय लोगों की मानें तो ये गुम्बद मंदिर का हिस्सा था पर इसकी चुम्बकीय शक्ति की वजह से जब समुद्री पोत दुर्घटनाग्रस्त होने लगे, तब ये गुम्बद हटाया गया। शायद इसी वज़ह से इस मंदिर को 'ब्लैक पैगोडा' भी कहा जाता है। ... और पढ़ें
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हुमायूँ का मक़बरा
- हुमायूँ के मक़बरे का निर्माण 1565 से 1572 ईसवी के बीच फ़ारसी वास्तुविद् 'मिराक मिर्ज़ा ग़ियात' के वास्तु रूप-रेखा पर हुआ था।
- यूनेस्को की विश्वदाय स्मारकों की सूची में शामिल 'हुमायूँ का मक़बरा' भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
- मक़बरे की पूर्ण शोभा इसको घेरे हुए 30 एकड़ में फैले चारबाग़ शैली के मुग़ल उद्यानों से निखरती है। 18वीं शताब्दी तक यहाँ स्थानीय लोगों ने चारबाग़ों में सब्ज़ी आदि उगाना आरंभ कर दिया था ... और पढ़ें
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सारनाथ
- सारनाथ पहले घना वन था और यहाँ मृग-विहार किया करते थे। उस समय इसका नाम 'ऋषिपत्तन मृगदाय' था। ज्ञान प्राप्त करने के बाद गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं पर दिया था।
- सन 1905 में पुरातत्त्व विभाग ने यहाँ खुदाई का काम किया, उस समय बौद्ध धर्म के अनुयायियों और इतिहासवेत्ताओं का ध्यान इस पर गया।
- सारनाथ के इतिहास में सबसे गौरवपूर्ण समय गुप्तकाल था। उस समय यह मथुरा के अतिरिक्त उत्तर भारत में कला का सबसे बड़ा केंद्र था।
- सम्राट अशोक के समय में यहाँ बहुत से निर्माण-कार्य हुए। सिंहों की मूर्ति वाला भारत का राजचिह्न सारनाथ के अशोक के स्तंभ के शीर्ष से ही लिया गया है ... और पढ़ें
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हम्पी
- हम्पी का नाम पम्पपति के कारण ही हुआ है। स्थानीय लोग 'प' का उच्चारण 'ह' करते हैं और पम्पापति को हम्पापति (हंपपथी) कहते हैं। हम्पी हम्पपति का ही लघुरूप है।
- कृष्णदेव राय के शासनकाल में बनाया गया प्रसिद्ध हज़ाराराम मन्दिर विद्यमान हिन्दू मन्दिरों की वास्तुकला के पूर्णतम नमूनों में से एक है।
- फ़र्ग्यूसन के विचार में यह फूलों से अलंकृत वैभव की पराकाष्ठा का द्योतक है, जहाँ तक यह शैली (वल्लरी शैली) विकसित हो चुकी थी।
- भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व के विरासत स्थलों की संख्या में शामिल है।... और पढ़ें
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खजुराहो
- खजुराहो की मूर्तियों की सबसे अहम और महत्त्वपूर्ण ख़ूबी यह है कि इनमें गति है, देखते रहिए तो लगता है कि शायद चल रही है या बस हिलने ही वाली है, या फिर लगता है कि शायद अभी कुछ बोलेगी, मस्कुराएगी, शर्माएगी या रूठ जाएगी।
- कमाल की बात तो यह है कि ये चेहरे के भाव और शरीर की भंगिमाऐं केवल स्त्री पुरुषों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी दिखाई देती हैं। ... और पढ़ें
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गोवा
- भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी किनारे पर स्थित गोवा एक छोटा-सा किन्तु बहुत सुन्दर राज्य है। यह उत्तर में महाराष्ट्र और दक्षिणी छोर से कर्नाटक द्वारा घिरा हुआ है।
- स्वर्णिम इतिहास तथा विविधताओं का प्रतीक गोवा, पहले गोमानचला, गोपाकापट्टम, गोपाकापुरी, गोवापुरी, गोवाराष्ट्र इत्यादि महत्त्वपूर्ण नामों से मशहूर था।
- गोवा के सुनहरे लम्बे समुद्र तट, आकर्षक चर्च, मन्दिर, पुराने क़िले और कलात्मक भग्नावशेषों ने पर्यटन को गोवा का प्रमुख उद्योग बना दिया है।
- आज देश-विदेश में औसतन दस लाख पर्यटक गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य एवं विशिष्ट सभ्यता से आकर्षित होकर यहाँ आते हैं। .... और पढ़ें
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