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'''कबरी''' पाणिनिकालीन भारतवर्ष में स्त्रियों की साज-सज्जा से सम्बंधित एक शब्द था।
 
'''कबरी''' पाणिनिकालीन भारतवर्ष में स्त्रियों की साज-सज्जा से सम्बंधित एक शब्द था।
  
*[[पाणिनि]] की '[[अष्टाध्यायी]]' में स्त्रियों के प्रशाधन और अलंकरण की सामग्री का भी उल्लेख पाया जाता है। विशेष प्रकार के केश विन्यास को 'कबरी' कहा जाता था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पाणिनीकालीन भारत|लेखक=वासुदेवशरण अग्रवाल|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=103|url=}}</ref>
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*[[पाणिनि]] की '[[अष्टाध्यायी]]' में स्त्रियों के प्रसाधन और अलंकरण की सामग्री का भी उल्लेख पाया जाता है। विशेष प्रकार के केश विन्यास को 'कबरी' कहा जाता था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पाणिनीकालीन भारत|लेखक=वासुदेवशरण अग्रवाल|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=103|url=}}</ref>
  
  

11:07, 10 अप्रैल 2018 का अवतरण

कबरी पाणिनिकालीन भारतवर्ष में स्त्रियों की साज-सज्जा से सम्बंधित एक शब्द था।

  • पाणिनि की 'अष्टाध्यायी' में स्त्रियों के प्रसाधन और अलंकरण की सामग्री का भी उल्लेख पाया जाता है। विशेष प्रकार के केश विन्यास को 'कबरी' कहा जाता था।[1]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 103 |

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