कीटों का पाचन तंत्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
कीट विषय सूची
कीटों का पाचन तंत्र
विभिन्न प्रकार के कीट
विवरण कीट प्राय: छोटा, रेंगने वाला, खंडों में विभाजित शरीर वाला और बहुत-सी टाँगों वाला एक प्राणी हैं।
जगत जीव-जंतु
उप-संघ हेक्सापोडा (Hexapoda)
कुल इंसेक्टा (Insecta)
लक्षण इनका शरीर खंडों में विभाजित रहता है जिसमें सिर में मुख भाग, एक जोड़ी श्रृंगिकाएँ, प्राय: एक जोड़ी संयुक्त नेत्र और बहुधा सरल नेत्र भी पाए जाते हैं।
जातियाँ प्राणियों में सबसे अधिक जातियाँ कीटों की हैं। कीटों की संख्या अन्य सब प्राणियों की सम्मिलित संख्या से छह गुनी अधिक है। इनकी लगभग दस बारह लाख जातियाँ अब तक ज्ञात हो चुकी हैं। प्रत्येक वर्ष लगभग छह सहस्त्र नई जातियाँ ज्ञात होती हैं और ऐसा अनुमान है कि कीटों की लगभग बीस लाख जातियाँ संसार में वर्तमान में हैं।
आवास कीटों ने अपना स्थान किसी एक ही स्थान तक सीमित नहीं रखा है। ये जल, स्थल, आकाश सभी स्थानों में पाए जाते हैं। जल के भीतर तथा उसके ऊपर तैरते हुए, पृथ्वी पर रहते और आकाश में उड़ते हुए भी ये मिलते हैं।
आकार कीटों का आकार प्राय: छोटा होता है। अपने सूक्ष्म आकार के कारण वे वहुत लाभान्वित हुए हैं। यह लाभ अन्य दीर्घकाय प्राणियों को प्राप्त नहीं है।
अन्य जानकारी कीटों की ऐसी कई जातियाँ हैं, जो हिमांक से भी लगभग 50 सेंटीग्रेट नीचे के ताप पर जीवित रह सकती हैं। दूसरी ओर कीटों के ऐसे वर्ग भी हैं जो गरम पानी के उन श्रोतों में रहते हैं जिसका ताप 40 से अधिक है।

कीटों का पाचन तंत्र तीन भागों में विभाजित रहता है-

  1. अग्र आंत्र
  2. मध्य आंत्र
  3. पश्च आंत्र।

अग्र और पश्चांत्र शरीर भित्ति के भीतर भित्ति भीतर की ओर महीन बाह्यत्वक से ढकी रहती है, किंतु मध्यांत्र थैली के समान पृथक् विकसित होता है और अग्रांत तथा पश्चांत्र को जोड़ता है। अग्रांत में एक सकरी ग्रासनली होती है, एक थैली के आकार का अन्नग्रह[1] और प्राय एक पेशणी भी होती है। अग्रांत के दोनों ओर लार ग्रंथियाँ होती हैं। दोनों ही मिलकर प्रमुख गुहा में खुलती हैं। मध्यांत्र छोटी होती है तथा इसमें से प्राय: उंडुक[2] निकले रहते हैं। पश्चांत्र दो भागों में विभाजित रहता है, अग्र भाग नलिका समान आंत्र और पश्च भाग थैली के समान मलाशय बनाता है। मध्य और पश्चांत्र के संधि स्थान के महीन-महीन निसर्ग[3] नलिकाएँ खुलती हैं।

कीट लगभग सभी प्रकार के कार्बनिक पदार्थ अपने भोजन के काम में ले लेते हैं। इस प्रकार साधारण प्रकार के लगभग सारे किण्वज[4] कीटों के पाचक तंत्र में पाए जाते हैं। लार ग्रंथियाँ एमाइलेस[5] का उत्सर्जन करती है, जो ग्रासनली में प्रवेश करते समय भोजन से मिल जाता है। कार्बोहाइड्रेट का पाचन मध्य आंत्र में ही पूरा होता है। मध्यांत्र में ये किण्वज पाये जाते हैं- एमाइलेस, इनवर्टेस[6], मालटेस[7], प्रोटियेस[8], लाइपेस[9] और हाइड्रोलाइपेस[10]। ये क्रमानुसार स्टार्च, गन्ने की शर्करा, मालटोस, प्रोटीन और चर्बी को पचाते हैं। ये किण्वज अन्नग्रह[11] में पहुँच जाते हैं, जहाँ अधिकतर पाचन होता है, केवल तरल पदार्थ ही पेषणी द्वारा मध्यांत्र में पहुँचते हैं, जहाँ केवल अवशोषण होता है। पश्चांत्र अनपची वस्तुएँ गुदा द्वारा बाहर निकाल देता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. क्रॉप-Crop
  2. सीका-Caeca
  3. मैलपीगियन-Malpighiam
  4. engyme
  5. Amylasa
  6. envertase
  7. Maltase
  8. Protease
  9. Lipase
  10. Hydrolipase
  11. Crop

संबंधित लेख

कीट विषय सूची