कैटरीना कैफ़

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कैटरीना कैफ़
कैटरीना कैफ़
पूरा नाम कैटरीना कैफ़
प्रसिद्ध नाम कैटरीना
अन्य नाम कैट
जन्म 16 जुलाई 1984
जन्म भूमि हांगकांग
अभिभावक मोहम्मद कैफ़ और सुज़ैन
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अभिनत्री, मॉडल
मुख्य फ़िल्में नमस्ते लंदन, पार्टनर, वेलकम, न्यूयार्क, रेस, सिंह इज़ किंग, अजब प्रेम की ग़जब कहानी, दे दना दन, राजनीति, जब तक है जान, एक था टाइगर, ज़िंदगी ना मिलेगी दुबारा आदि
अन्य जानकारी कैटरीना कैफ़ ने एल.जी., कोला, फेविकोल, लक्मे व वीट के लिए विज्ञापन में काम किया है।
अद्यतन‎

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कैटरीना कैफ़ (अंग्रेज़ी: Katrina Kaif, जन्म: 16 जुलाई 1984) प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। भारतीय नहीं होने के बावजूद कैटरीना बॉलीवुड में किसी भी भारतीय अभिनेत्री से पीछे नहीं। एक साल में लगातार चार हिट फ़िल्में नमस्ते लंदन, अपने, पार्टनर और वेलकम के बाद रेस, सिंह इज़ किंग, जब तक है जान, एक था टाइगर जैसी सफल फ़िल्में है।

जीवन परिचय

16 जुलाई 1984 को कैटरीना का जन्म हांगकांग में हुआ। उनके पिता मोहम्मद कैफ़ भारतीय मूल के कश्मीरी मुस्लिम हैं और माँ सुज़ैन ब्रिटिश हैं। कैटरीना जब छोटी थीं तब उनके माता-पिता अलग हो गए। माता-पिता से अलगाव के बाद काफ़ी परेशान थी। कैटरीना और उनकी बहनों और एक भाई अपनी माँ के साथ रह गईं। सात बहनों और एक भाई के भरे-पूरे परिवार के बीच कैटरीना बड़ी हुई। प्यार से सब उन्हें कैट बुलाते हैं। हवाई में कुछ दिन रहने के बाद कैटरीना इंग्लैंड चली गईं और चौदह वर्ष की आयु में उन्होंने मॉडलिंग शुरू की। शुरुआती पढ़ाई कैटरीना की लंदन में हुई।

बचपन में कैटरीना

कैरियर

मात्र चौदह साल की उम्र में ही ज्यूलरी के कैंपेन में कैट को मौक़ा मिला। मॉडलिंग के क्षेत्र में एक सुपर मॉडल के रूप में उन्होंने जल्दी ही अपनी विशेष जगह बना ली। उनका मासूम प्रभावशाली चेहरा, आकर्षक ग्लैमरस व्यक्तित्व और अंदाज़ दर्शकों के दिलो-दिमाग पर हावी होते चले गए। फोटोग्राफर अतुल कस्बेकर के साथ मॉडलिंग शूट करते हुए कैट ने एल.जी., कोला, फेविकोल, लक्मे व वीट के लिए विज्ञापन में काम किया।

फ़िल्मी सफ़र

बॉलीवुड में कैटरीना को लाने का श्रेय कैज़ाद गुस्ताद को जाता है। उन्होंने कैट को फ़िल्म 'बूम' से बॉलीवुड की राह दिखाई। वे जैकी श्रॉफ की पत्नी के लिए ‘बूम’ नामक फ़िल्म बना रहे थे और कैटरीना उन्हें उपयुक्त लगीं। 2003 में प्रदर्शित हुई ‘बूम’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही पर कैट का जादू चल गया। विदेश में पली-बढ़ी कैटरीना का अभिनय भी ख़राब था। उन्हें हिंदी बिलकुल भी समझ में नहीं आती थी। कैटरीना का अनुभव बुरा रहा और बॉलीवुड के फ़िल्मकारों को भी कैटरीना में कोई ख़ासियत नजर नहीं आई। उन्हें वेस्टर्न लुक वाली ऐसी अभिनेत्री बताया गया, जिसके हावभाव भी विदेशी लड़कियों जैसे थे। बूम के बाद उन्होंने दो तेलुगू फ़िल्में भी कीं। मालिसवरी के लिए 70 लाख रुपये लेकर उन्होंने सबसे ज़्यादा कीमत लेने वाली नायिकाओं में अपने को शामिल किया। तमिल फ़िल्म भीमा भी उन्होंने की।
कैटरीना का कहना है कि उस समय तक मैं भारतीय परिवेश व संस्कृति से पूरी तरह अंजान थी। लेकिन कैट का मानना है कि एकदम भिन्न माहौल और कल्चर का होने पर भी मेरे लिए शॉकिंग कुछ नहीं था। आप कहां से आए हैं यह महत्त्वपूर्ण नहीं, बल्कि महत्त्वपूर्ण यह है कि आपको प्यार, आदर और कद्र मिले। अन्य विदेशी कलाकारों की तरह उन्हें भारत में रहने और वीज़ा बढाने में परेशानी नहीं हुई। बॉलीवुड कल्चर को अपनाने के लिए उन्होंने हिंदी भाषा के साथ डांस क्लास भी जॉइन की ताकि इस माहौल में वह फिट रह सकें। कथक नृत्य सीखने के लिए उन्होंने सात घंटे तक रोज अभ्यास किया।

सफलता का स्वाद

बचपन में कैटरीना

इसी बीच सलमान खान से कैटरीना की दोस्ती हुई। सलमान के प्रयासों से ही ‘मैंने प्यार क्यों किया’ कैटरीना को मिली। रामगोपाल वर्मा की ‘सरकार’ में भी उन्हें छोटा-सा रोल मिला। 2005 में प्रदर्शित हुई इन दोनों फ़िल्मों को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता मिली और फ़िल्मकारों का ध्यान कैटरीना की तरफ गया। कैटरीना को सीमित क्षमताओं के बावजूद कुछ फ़िल्में मिलीं। ‘नमस्ते लंदन’ (2007) ने कैटरीना के कैरियर में निर्णायक भूमिका निभाई। कैटरीना ने नमस्ते लंदन में अक्षय कुमार के साथ शानदार अभिनय कर अपने आपको बॉलीवुड में साबित कर दिया। इसके बाद तो कैटरीना ने अपने (2007), पार्टनर (2007), वेलकम (2007), रेस (2008), सिंह इज़ किंग (2008), अजब प्रेम की गजब कहानी (2009), दे दना दन (2009), राजनीति (2010) जैसी सफल फ़िल्मों की झड़ी लगा दी। इन फ़िल्मों के ज़रिये उन्हें डेविड धवन, अनिल शर्मा, अब्बास-मस्तान, राजकुमार संतोषी, प्रियदर्शन, प्रकाश झा और अनीस बज्मी जैसे निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर मिला, जिन्हें कमर्शियल फ़िल्म बनाने में महारथ हासिल है। कैटरीना ने सफलता के लिए कठोर परिश्रम किया। कैटरीना इस बात से भी अच्छी तरह परिचित हैं कि उन्हें हिंदी फ़िल्मों में काम करना है तो इस भाषा को सीखना होगा वरना वे चेहरे पर भाव कैसे ला पाएँगी। उन्होंने हिंदी सीखी और अब वे हिंदी अच्‍छी तरह समझ लेती हैं। अब कैटरीना सशक्त भूमिकाएँ भी निभा रही हैं।

पसंद

अपने परिधानों के चयन को लेकर वह सजग रहती हैं विशेषकर बोल्ड परिधानों को लेकर। व्यक्तिगत तौर पर वह आरामदायक कपडे पहनना पसंद करती हैं। चहेते अभिनेताओं में लिओनार्डो डी कैपरिओ, जॉनी डैप, शाहरुख ख़ान, रितिक रोशन, आमिर ख़ान और पसंदीदा अभिनेत्रियां काजोल व माधुरी दीक्षित हैं। फेवरेट क्रिकेटर इरफ़ान पठान है। भारतीय खाने में दही और चावल पसंद है। फ़िल्मों में उमराव जान, गॉन विद द विंड और कैसाब्लैंका अच्छी लगती हैं। स्पा में जाना, नए लोगों से मिलना और दोस्तों के साथ समय बिताना उन्हें अच्छा लगता है। रीना ढाका, तरुण तहिलियानी व रॉकी एस के डिज़ाइन उन्हें पसंद हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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