खीर भवानी मंदिर श्रीनगर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
खीर भवानी मंदिर श्रीनगर
शंकराचार्य मंदिर श्रीनगर
विवरण खीर भवानी मंदिर श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित है। ये मंदिर माँ खीर भवानी को समर्पित है।
राज्य जम्मू और कश्मीर
ज़िला श्रीनगर ज़िला
निर्माता महाराजा प्रताप सिंह
निर्माण काल 1912
कब जाएँ ज्येष्ठ (मई-जून)
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
धार्मिक मान्यता यहां के स्थानीय लोगों में ऐसी मान्यता है कि अगर यहां मौजूद झरने के पानी का रंग बदल कर सफ़ेद से काला हो जाये तो पूरे क्षेत्र में अप्रत्याशित विपत्ति आती है।
अन्य जानकारी महाराग्य देवी, रग्न्या देवी, रजनी देवी, रग्न्या भगवती इस मंदिर के अन्य प्रचलित नाम है।

खीर भवानी मंदिर श्रीनगर से 27 किलोमीटर दूर तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित है। ये मंदिर माँ खीर भवानी को समर्पित है। यह मंदिर कश्मीर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। मां दुर्गा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण एक बहती हुई धारा पर किया गया है। इस मंदिर के चारों ओर चिनार के पेड़ और नदियों की धाराएं हैं, जो इस जगह की सुंदरता पर चार चांद लगाते हुए नज़र आते हैं। ये मंदिर, कश्मीर के हिन्दू समुदाय की आस्था को बखूबी दर्शाता है।

निर्माण काल

महाराग्य देवी, रग्न्या देवी, रजनी देवी, रग्न्या भगवती इस मंदिर के अन्य प्रचलित नाम है। इस मंदिर का निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया जिसे बाद में महाराजा हरी सिंह द्वारा पूरा किया गया।

खीर भवानी मंदिर

मन्दिर जुड़ी कथा

इस मंदिर की एक ख़ास बात ये है कि यहां एक षट्कोणीय झरना है जिसे यहां के मूल निवासी देवी का प्रतीत मानते हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख किवदंती ये है कि सतयुग में भगवान श्री राम ने अपने निर्वासन के समय इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा के स्थान के रूप में किया था। निर्वासन की अवधि समाप्त होने के बाद भगवान राम द्वारा हनुमान को एक दिन अचानक ये आदेश मिला कि वो देवी की मूर्ति को स्थापित करें। हनुमान ने प्राप्त आदेश का पालन किया और देवी की मूर्ति को इस स्थान पर स्थापित किया, तब से लेके आज तक ये मूर्ति इसी स्थान पर है।

प्रसिद्धि

इस मंदिर के नाम से ही स्पष्ट है यहां "खीर" का एक विशेष महत्त्व है और इसका इस्तेमाल यहां प्रमुख प्रसाद के रूप में किया जाता है। खीर भवानी मंदिर के सन्दर्भ में एक दिलचस्प बात ये है कि यहां के स्थानीय लोगों में ऐसी मान्यता है कि अगर यहां मौजूद झरने के पानी का रंग बदल कर सफ़ेद से काला हो जाये तो पूरे क्षेत्र में अप्रत्याशित विपत्ति आती है।

कब जाएँ

प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ (मई-जून) के अवसर पर मंदिर में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है। यहां मई के महीने में पूर्णिमा के आठवें दिन बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस शुभ दिन पर देवी के कुंड का पानी बदला जाता है। ज्येष्ठ अष्टमी और शुक्ल पक्ष अष्टमी इस मंदिर में मनाये जाने वाले कुछ प्रमुख त्यौहार हैं।

खीर भवानी मंदिर
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख