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बहुत दिनों बाद खुला आसमान!
 
बहुत दिनों बाद खुला आसमान!
 
निकली है धूप, खुश हुआ जहान!
 
निकली है धूप, खुश हुआ जहान!
 
 
     दिखी दिशाएँ, झलके पेड़,
 
     दिखी दिशाएँ, झलके पेड़,
 
 
चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़,
 
चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़,
 
 
     खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़--
 
     खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़--
 
     लड़कियाँ घरों को कर भासमान!
 
     लड़कियाँ घरों को कर भासमान!
 
 
 
     लोग गाँव-गाँव को चले,
 
     लोग गाँव-गाँव को चले,
 
 
कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले
 
कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले
 
 
     जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले,
 
     जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले,
 
     तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान!
 
     तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान!
 
 
 
     पनघट में बड़ी भीड़ हो रही,
 
     पनघट में बड़ी भीड़ हो रही,
 
 
नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी,
 
नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी,
 
 
     बातें करती हैं वे सब खड़ी,
 
     बातें करती हैं वे सब खड़ी,
 
     चलते हैं नयनों के सधे बाण!  
 
     चलते हैं नयनों के सधे बाण!  

14:06, 24 अगस्त 2011 का अवतरण

खुला आसमान -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
जन्म 21 फ़रवरी, 1896
जन्म स्थान मेदनीपुर ज़िला, बंगाल (पश्चिम बंगाल)
मृत्यु 15 अक्टूबर, सन 1961
मृत्यु स्थान प्रयाग, भारत
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
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सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की रचनाएँ
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बहुत दिनों बाद खुला आसमान!
निकली है धूप, खुश हुआ जहान!
    दिखी दिशाएँ, झलके पेड़,
चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़,
    खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़--
    लड़कियाँ घरों को कर भासमान!
    लोग गाँव-गाँव को चले,
कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले
    जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले,
    तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान!
    पनघट में बड़ी भीड़ हो रही,
नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी,
    बातें करती हैं वे सब खड़ी,
    चलते हैं नयनों के सधे बाण!

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