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[[भारत]] की आज़ादी से पूर्व 1941 तक [[कांग्रेस]] पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमो में बट गई। जिसमें एक खेमे के समर्थक [[बाल गंगाधर तिलक]] थे और दुसरे खेमे में [[मोती लाल नेहरू]] थे। मतभेद था सरकार बनाने को लेकर। मोती लाल नेहरू चाहते थे कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजों के साथ कोई संयोजक सरकार बने। जबकि गंगाधर तिलक कहते थे कि [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है। इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक [[कांग्रेस]] से निकल गए और उन्होंने गरम दल बनाया। और इस तरह कांग्रेस के दो हिस्से हो गए '''एक नरम दल और एक गरम दल'''।<ref name="socialservice">{{cite web |url=http://www.socialservicefromhome.com/2011/08/reality-of-jan-gan-man-national-anthem.html |title=वन्दे मातरम Vs जन गण मन |accessmonthday=11 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=घर बैठे समाज सेवा के तरीके (ब्लॉग) |language=हिंदी }}</ref>
 
[[भारत]] की आज़ादी से पूर्व 1941 तक [[कांग्रेस]] पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमो में बट गई। जिसमें एक खेमे के समर्थक [[बाल गंगाधर तिलक]] थे और दुसरे खेमे में [[मोती लाल नेहरू]] थे। मतभेद था सरकार बनाने को लेकर। मोती लाल नेहरू चाहते थे कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजों के साथ कोई संयोजक सरकार बने। जबकि गंगाधर तिलक कहते थे कि [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है। इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक [[कांग्रेस]] से निकल गए और उन्होंने गरम दल बनाया। और इस तरह कांग्रेस के दो हिस्से हो गए '''एक नरम दल और एक गरम दल'''।<ref name="socialservice">{{cite web |url=http://www.socialservicefromhome.com/2011/08/reality-of-jan-gan-man-national-anthem.html |title=वन्दे मातरम Vs जन गण मन |accessmonthday=11 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=घर बैठे समाज सेवा के तरीके (ब्लॉग) |language=हिंदी }}</ref>
 
==गरम दल और नरम दल==
 
==गरम दल और नरम दल==
गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जैसे क्रन्तिकारी। वे हर जगह [[वन्दे मातरम्|वन्दे मातरम]] गाया करते थे। और नरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरू।<ref>[[गांधीजी]] उस समय तक कांग्रेस की आजीवन सदस्यता से इस्तीफा दे चुके थे, वो किसी तरफ नहीं थे, लेकिन गाँधी जी दोनों पक्ष के लिए आदरणीय थे क्योंकि गाँधी जी देश के लोगों के आदरणीय थे</ref> लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेज़ों के साथ रहते थे। उनके साथ रहना, उनको सुनना, उनकी बैठकों में शामिल होना। हर समय अंग्रेज़ों से समझौते में रहते थे। वन्दे मातरम से अंग्रेज़ों को बहुत चिढ़ होती थी। नरम दल वाले गरम दल को चिढ़ाने के लिए [[1911]] में लिखा गया गीत "[[जन गण मन]]" गाया करते थे और गरम दल वाले "वन्दे मातरम"।
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गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जैसे क्रन्तिकारी। वे हर जगह [[वन्दे मातरम्|वन्दे मातरम]] गाया करते थे। और नरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरू।<ref>[[गांधीजी]] उस समय तक कांग्रेस की आजीवन सदस्यता से इस्तीफा दे चुके थे, वो किसी तरफ नहीं थे, लेकिन गाँधी जी दोनों पक्ष के लिए आदरणीय थे क्योंकि गाँधी जी देश के लोगों के आदरणीय थे</ref> लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेज़ों के साथ रहते थे। उनके साथ रहना, उनको सुनना, उनकी बैठकों में शामिल होना। हर समय अंग्रेज़ों से समझौते में रहते थे। वन्दे मातरम से अंग्रेज़ों को बहुत चिढ़ होती थी। नरम दल वाले गरम दल को चिढ़ाने के लिए [[1911]] में लिखा गया गीत "[[जन गण मन]]" गाया करते थे और गरम दल वाले "वन्दे मातरम"। नरम दल वाले अंग्रेज़ों के समर्थक थे और अंग्रेज़ों को ये गीत पसंद नहीं था तो अंग्रेज़ों के कहने पर नरम दल वालों ने उस समय एक हवा उड़ा दी कि [[मुसलमान|मुसलमानों]] को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) है। मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है। उस समय [[मुस्लिम लीग]] भी बन गई थी जिसके प्रमुख [[मोहम्मद अली जिन्ना]] थे।<ref name="socialservice"/>  
 
 
नरम दल वाले अंग्रेज़ों के समर्थक थे और अंग्रेज़ों को ये गीत पसंद नहीं था तो अंग्रेज़ों के कहने पर नरम दल वालों ने उस समय एक हवा उड़ा दी कि [[मुसलमान|मुसलमानों]] को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) है। मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है। उस समय [[मुस्लिम लीग]] भी बन गई थी जिसके प्रमुख [[मोहम्मद अली जिन्ना]] थे। उन्होंने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया क्योंकि जिन्ना भी देखने भर को (उस समय तक) भारतीय थे मन, कर्म और वचन से अंग्रेज़ ही थे उन्होंने भी अंग्रेज़ों के इशारे पर ये कहना शुरू किया और मुसलमानों को वन्दे मातरम गाने से मना कर दिया। जब भारत सन 1947 में स्वतंत्र हो गया तो [[जवाहर लाल नेहरू]] ने इसमें राजनीति कर डाली। संविधान सभा की बहस चली। संविधान सभा के 319 में से 318 [[सांसद]] ऐसे थे जिन्होंने [[बंकिम चंद्र चटर्जी|बंकिम बाबू]] द्वारा लिखित वन्देमातरम को राष्ट्र गान स्वीकार करने पर सहमति जताई।<ref name="socialservice"/>
 
 
 
  
  

10:44, 11 दिसम्बर 2012 का अवतरण

भारत की आज़ादी से पूर्व 1941 तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमो में बट गई। जिसमें एक खेमे के समर्थक बाल गंगाधर तिलक थे और दुसरे खेमे में मोती लाल नेहरू थे। मतभेद था सरकार बनाने को लेकर। मोती लाल नेहरू चाहते थे कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजों के साथ कोई संयोजक सरकार बने। जबकि गंगाधर तिलक कहते थे कि अंग्रेज़ों के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है। इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक कांग्रेस से निकल गए और उन्होंने गरम दल बनाया। और इस तरह कांग्रेस के दो हिस्से हो गए एक नरम दल और एक गरम दल[1]

गरम दल और नरम दल

गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक जैसे क्रन्तिकारी। वे हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे। और नरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरू।[2] लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेज़ों के साथ रहते थे। उनके साथ रहना, उनको सुनना, उनकी बैठकों में शामिल होना। हर समय अंग्रेज़ों से समझौते में रहते थे। वन्दे मातरम से अंग्रेज़ों को बहुत चिढ़ होती थी। नरम दल वाले गरम दल को चिढ़ाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत "जन गण मन" गाया करते थे और गरम दल वाले "वन्दे मातरम"। नरम दल वाले अंग्रेज़ों के समर्थक थे और अंग्रेज़ों को ये गीत पसंद नहीं था तो अंग्रेज़ों के कहने पर नरम दल वालों ने उस समय एक हवा उड़ा दी कि मुसलमानों को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) है। मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है। उस समय मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 वन्दे मातरम Vs जन गण मन (हिंदी) घर बैठे समाज सेवा के तरीके (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 11 दिसम्बर, 2012।
  2. गांधीजी उस समय तक कांग्रेस की आजीवन सदस्यता से इस्तीफा दे चुके थे, वो किसी तरफ नहीं थे, लेकिन गाँधी जी दोनों पक्ष के लिए आदरणीय थे क्योंकि गाँधी जी देश के लोगों के आदरणीय थे

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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