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[[चित्र:Farmer-Cuts-The-Wheat-Crop.jpg|thumb|250px|गेहूँ काटता किसान]]
गेहूँ विश्वव्यापी महत्व की फसल है। यह फसल नानाविध वातावरणों में उगाई जाती है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से एशिया में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ  उगाया जाता है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए गेहूँ लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। विश्वव्यापी गेहूँ उत्पादन वर्ष [[2007]]-[[2008]] में  62.22 करोड़ टन तक पहुँच गया था। [[भारत]] गेहूँ का चीन के बाद दूसरा विशालतम उत्पादक है। खाद्यान्न फसलों के बीच  गेहूँ विशिष्ट स्थान रखता है।
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गेहूँ विश्वव्यापी महत्व की फसल है। यह फसल नानाविध वातावरणों में उगाई जाती है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से [[एशिया]] में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ उगाया जाता है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए गेहूँ लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। विश्वव्यापी गेहूँ उत्पादन वर्ष [[2007]]-[[2008]] में 62.22 करोड़ टन तक पहुँच गया था। [[भारत]] गेहूँ का [[चीन]] के बाद दूसरा विशालतम उत्पादक है। खाद्यान्न फसलों के बीच गेहूँ विशिष्ट स्थान रखता है।
  
 
==गेहूँ के प्रकार==
 
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भारत में गेहूँ मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है-
 
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# मृदु गेहूँ  
 
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# कठोर गेहूँ  
 
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ट्रिटिकम ऐस्टिवम (रोटी गेहूँ) मृदु गेहूँ होता है और ट्रिटिकम डयूरम कठोर गेहूँ होता है।
 
ट्रिटिकम ऐस्टिवम (रोटी गेहूँ) मृदु गेहूँ होता है और ट्रिटिकम डयूरम कठोर गेहूँ होता है।
भारत में मुख्य रूप से ट्रिटिकम की तीन जातियों जैसे ऐस्टिवम, डयूरम एवं डाइकोकम की खेती की जाती है। ट्रिटिकम ऐस्टिवम की खेती देश के सभी क्षेत्रों में की जाती है जबकि डयूरम की खेती [[पंजाब]] एवं मध्य भारत में और डाइकोकम की खेती [[कर्नाटक]] में की जाती है।
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भारत में मुख्य रूप से ट्रिटिकम की तीन जातियों जैसे ऐस्टिवम, डयूरम एवं डाइकोकम की खेती की जाती है। ट्रिटिकम ऐस्टिवम की खेती देश के सभी क्षेत्रों में की जाती है जबकि डयूरम की खेती [[पंजाब]] एवं मध्य भारत में और डाइकोकम की खेती [[कर्नाटक]] में की जाती है।<ref>{{cite web |url=http://agropedia.iitk.ac.in/?q=content/%E0%A4%97%E0%A5%87%E0%A4%B9%E0%A5%82%E0%A4%81-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B5 |title=गेहूँ : महत्व |accessmonthday=[[27 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ऐग्रोपीडिया |language=हिन्दी }}</ref>
  
 
==विश्व वितरण==
 
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==प्रमुख उत्पादन देश==
 
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संयुक्त राज्य [[अमेरिका]], चीन, भारत, यूरोपीय देश, कनाडा, तुर्की, [[पाकिस्तान]], अर्जेण्टीना, उत्तरी अफ़्रीका के देश दक्षिणी अफ़्रीका मैक्सिकों, रूस, चिली आदि।  
 
संयुक्त राज्य [[अमेरिका]], चीन, भारत, यूरोपीय देश, कनाडा, तुर्की, [[पाकिस्तान]], अर्जेण्टीना, उत्तरी अफ़्रीका के देश दक्षिणी अफ़्रीका मैक्सिकों, रूस, चिली आदि।  
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भारत विश्व में गेहूँ उत्पादन की [[दृष्टि]] से तीसरा बड़ा देश है। यहाँ विश्व का 8% गेहूँ पैदा किया जाता है। मुख्य उत्पादन क्षेत्र उत्तर प्रदेश (33%), पंजाब (23%) [[मध्य प्रदेश]] (11%) तथा [[हरियाणा]] (9%) है। भारत में हरित क्रांति के दौरान गेहूँ की अनेक उच्च उत्पादकता वाली किस्में विकसित की गई। इनमें लरमा, रोजो, सोनार 64, कल्याण सोना, सोनालिका, अर्जुन, प्रताप, मुक्ता, शैलजा आदि प्रमुख हैं।  
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भारत विश्व में गेहूँ उत्पादन की [[दृष्टि]] से तीसरा बड़ा देश है। यहाँ विश्व का 8% गेहूँ पैदा किया जाता है। मुख्य उत्पादन क्षेत्र [[उत्तर प्रदेश]] (33%), [[पंजाब]] (23%) [[मध्य प्रदेश]] (11%) तथा [[हरियाणा]] (9%) है। भारत में हरित क्रांति के दौरान गेहूँ की अनेक उच्च उत्पादकता वाली किस्में विकसित की गई। इनमें लरमा, रोजो, सोनार 64, कल्याण सोना, सोनालिका, अर्जुन, प्रताप, मुक्ता, शैलजा आदि प्रमुख हैं।  
राज 3077 गेहूँ की ऐसी नयी किस्म है, जिसमें अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 12% अधिक [[प्रोटीन]] पाया जाता है। इसे अम्लीय एवं क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टियों में बोया जा सकता है। ट्रिटिकेल डी 46 भारत में गेहूँ और राई के मिश्रण से बनी नयीं संकर प्रजाति है। गेहूँ का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान ''मैक्सिको'' तथा दमिश्क (सीरिया) में स्थित है।  
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राज 3077 गेहूँ की ऐसी नयी किस्म है, जिसमें अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 12% अधिक [[प्रोटीन]] पाया जाता है। इसे अम्लीय एवं क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टियों में बोया जा सकता है। ट्रिटिकेल डी 46 भारत में गेहूँ और राई के [[मिश्रण]] से बनी नयीं संकर प्रजाति है। गेहूँ का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान 'मैक्सिको' तथा दमिश्क (सीरिया) में स्थित है।  
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अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 13% गेहूँ पैदा किया जाता है। यहाँ पर 2.6 करोड़ टन हेक्टेयर भूमि पर 6.6 करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ की उपज होती है।  
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[[अमेरिका]] विश्व का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 13% गेहूँ पैदा किया जाता है। यहाँ पर 2.6 करोड़ टन हेक्टेयर भूमि पर 6.6 करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ की उपज होती है।  
====चीन====
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====<u>चीन</u>====
 
चीन विश्व का दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 12% गेहूँ पैदा किया जाता है। चीन में दो प्रकार के गेहूँ का उत्पादन होता है। वसंतकालीन गेहूँ और शीतकालीन गेहूँ।  
 
चीन विश्व का दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 12% गेहूँ पैदा किया जाता है। चीन में दो प्रकार के गेहूँ का उत्पादन होता है। वसंतकालीन गेहूँ और शीतकालीन गेहूँ।  
 
बसंतकालीन गेहूँ मंचूरिया तथा आंतरिक मंगोलिया में बोया जाता है। जबकि शीतकालीन गेहूँ ह्वांगहों नदी की घाटी तथा यांगट्सी नदी की घाटी में बोया जाता है।  
 
बसंतकालीन गेहूँ मंचूरिया तथा आंतरिक मंगोलिया में बोया जाता है। जबकि शीतकालीन गेहूँ ह्वांगहों नदी की घाटी तथा यांगट्सी नदी की घाटी में बोया जाता है।  
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*गेहूँ उबालकर तथा उसके गर्म-गर्म पानी से सूजन वाली जगह को धोने से सूजन कम हो जाती है।  
 
*गेहूँ उबालकर तथा उसके गर्म-गर्म पानी से सूजन वाली जगह को धोने से सूजन कम हो जाती है।  
 
*12ग्राम गेहूँ को पीसकर तथा उसमें 12 ग्राम ही शहद मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हें, तथा कमर और जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है।  
 
*12ग्राम गेहूँ को पीसकर तथा उसमें 12 ग्राम ही शहद मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हें, तथा कमर और जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है।  
*गेहूँ और चनों को उबालकर उसका पानी  पिलाने से गुर्दा और मूत्राशय की पथरी गल जाती है।
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*गेहूँ और चनों को उबालकर उसका पानी पिलाने से गुर्दा और मूत्राशय की पथरी गल जाती है।
*गेहूँ की रोटी एक ओर सेंक लें, एक ओर कच्ची रखें, कच्ची रोटी की ओर से तिल का तेल लगाकर दर्द वाले अंग पर बाँध दें। इससे दर्द दूर हो जाता है।  
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*गेहूँ की रोटी एक ओर सेंक लें, एक ओर कच्ची रखें, कच्ची रोटी की ओर से तिल का तेल लगाकर दर्द वाले अंग पर बाँध दें। इससे दर्द दूर हो जाता है।<ref>{{cite web |url=http://sush12.wordpress.com/page/58/ |title=गेहूँ की उपयोगिता |accessmonthday=[[27 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=शूश |language=हिन्दी }}</ref>
 
 
  
 
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09:43, 31 जनवरी 2011 का अवतरण

गेहूँ काटता किसान

गेहूँ विश्वव्यापी महत्व की फसल है। यह फसल नानाविध वातावरणों में उगाई जाती है। यह लाखों लोगों का मुख्य खाद्य है। मुख्य रूप से एशिया में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ उगाया जाता है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए गेहूँ लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। विश्वव्यापी गेहूँ उत्पादन वर्ष 2007-2008 में 62.22 करोड़ टन तक पहुँच गया था। भारत गेहूँ का चीन के बाद दूसरा विशालतम उत्पादक है। खाद्यान्न फसलों के बीच गेहूँ विशिष्ट स्थान रखता है।

गेहूँ के प्रकार

भारत में गेहूँ मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है-

  1. मृदु गेहूँ
  2. कठोर गेहूँ

ट्रिटिकम ऐस्टिवम (रोटी गेहूँ) मृदु गेहूँ होता है और ट्रिटिकम डयूरम कठोर गेहूँ होता है। भारत में मुख्य रूप से ट्रिटिकम की तीन जातियों जैसे ऐस्टिवम, डयूरम एवं डाइकोकम की खेती की जाती है। ट्रिटिकम ऐस्टिवम की खेती देश के सभी क्षेत्रों में की जाती है जबकि डयूरम की खेती पंजाब एवं मध्य भारत में और डाइकोकम की खेती कर्नाटक में की जाती है।[1]

विश्व वितरण

विश्व की कुल 23% हेक्टेयर भूमि पर गेहूँ की खेती की जाती है। गेहूँ का वार्षिक उत्पादन 50 करोड़ टन है।

प्रमुख उत्पादन देश

संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूरोपीय देश, कनाडा, तुर्की, पाकिस्तान, अर्जेण्टीना, उत्तरी अफ़्रीका के देश दक्षिणी अफ़्रीका मैक्सिकों, रूस, चिली आदि।

भारत

भारत विश्व में गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से तीसरा बड़ा देश है। यहाँ विश्व का 8% गेहूँ पैदा किया जाता है। मुख्य उत्पादन क्षेत्र उत्तर प्रदेश (33%), पंजाब (23%) मध्य प्रदेश (11%) तथा हरियाणा (9%) है। भारत में हरित क्रांति के दौरान गेहूँ की अनेक उच्च उत्पादकता वाली किस्में विकसित की गई। इनमें लरमा, रोजो, सोनार 64, कल्याण सोना, सोनालिका, अर्जुन, प्रताप, मुक्ता, शैलजा आदि प्रमुख हैं। राज 3077 गेहूँ की ऐसी नयी किस्म है, जिसमें अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 12% अधिक प्रोटीन पाया जाता है। इसे अम्लीय एवं क्षारीय दोनों प्रकार की मिट्टियों में बोया जा सकता है। ट्रिटिकेल डी 46 भारत में गेहूँ और राई के मिश्रण से बनी नयीं संकर प्रजाति है। गेहूँ का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान 'मैक्सिको' तथा दमिश्क (सीरिया) में स्थित है।

संयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 13% गेहूँ पैदा किया जाता है। यहाँ पर 2.6 करोड़ टन हेक्टेयर भूमि पर 6.6 करोड़ मीट्रिक टन गेहूँ की उपज होती है।

चीन

चीन विश्व का दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादन देश है। यहाँ विश्व का 12% गेहूँ पैदा किया जाता है। चीन में दो प्रकार के गेहूँ का उत्पादन होता है। वसंतकालीन गेहूँ और शीतकालीन गेहूँ। बसंतकालीन गेहूँ मंचूरिया तथा आंतरिक मंगोलिया में बोया जाता है। जबकि शीतकालीन गेहूँ ह्वांगहों नदी की घाटी तथा यांगट्सी नदी की घाटी में बोया जाता है।

गेहूँ से फ़ायदे

  • गेहूँ की रोटी अन्य अन्नों से अच्छी होती है। दस्त हो जाने पर सौंफ को पीसकर पानी में मिलाकर, तथा छानकर सौंफ के पानी में गेहूँ का आटा मिलाकर रोटी बनाकर खाने से लाभ होता है।
  • गेहूँ उबालकर तथा उसके गर्म-गर्म पानी से सूजन वाली जगह को धोने से सूजन कम हो जाती है।
  • 12ग्राम गेहूँ को पीसकर तथा उसमें 12 ग्राम ही शहद मिलाकर चाटने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हें, तथा कमर और जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है।
  • गेहूँ और चनों को उबालकर उसका पानी पिलाने से गुर्दा और मूत्राशय की पथरी गल जाती है।
  • गेहूँ की रोटी एक ओर सेंक लें, एक ओर कच्ची रखें, कच्ची रोटी की ओर से तिल का तेल लगाकर दर्द वाले अंग पर बाँध दें। इससे दर्द दूर हो जाता है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गेहूँ : महत्व (हिन्दी) ऐग्रोपीडिया। अभिगमन तिथि: 27 जनवरी, 2011
  2. गेहूँ की उपयोगिता (हिन्दी) शूश। अभिगमन तिथि: 27 जनवरी, 2011

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