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घड़ियाल के शरीर का ऊपरी भाग जैतूनी रंग का होता है, जो पुराना हो जाने पर और भी गाढ़ा हो जाता है। नीचे का हिस्सा [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] रहता है। इसकी आँखें उभरी रहती हैं, जिनपर एक प्रकार की पारदर्शी झिल्ली रहती है। इसे पानी के भीतर जाने पर चढ़ा लेता है। इसकी उँगलियाँ कुछ दूर तक आपस में जुटी रहती हैं और टाँगों पर का कुछ हिस्सा रीढ़ सा उठा रहता है।  
 
घड़ियाल के शरीर का ऊपरी भाग जैतूनी रंग का होता है, जो पुराना हो जाने पर और भी गाढ़ा हो जाता है। नीचे का हिस्सा [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] रहता है। इसकी आँखें उभरी रहती हैं, जिनपर एक प्रकार की पारदर्शी झिल्ली रहती है। इसे पानी के भीतर जाने पर चढ़ा लेता है। इसकी उँगलियाँ कुछ दूर तक आपस में जुटी रहती हैं और टाँगों पर का कुछ हिस्सा रीढ़ सा उठा रहता है।  
 
==प्रजनन==
 
==प्रजनन==
घड़ियालों का जनन अंडों द्वारा होता है। नर एक प्रकार की आवाज करके मादा को अपने पास आने के लिये आमंत्रित करता है। इसके नर और मादा दोनों के शरीर में दो दो जोड़े ग्रंधग्रंथियों के रहते हैं, जिनमें से एक जोड़ा तो गले की बगल और दूसरा अवस्कर या क्लोएका (''cloaca'') के भीतर रहता है। इनकी सूँघने और सुनने की शक्ति बहुत तेज होती है, जिसके सहारे, नर और मादा एक दूसरे के पास शीघ्र पहुँच जाते हैं। समय आने पर मादा अपने अंडे रेत में गाड़ आती है, जो [[दूध]] से सफेद और संख्या में 20 से लेकर 90 तक रहते हैं। कुछ दिनों बाद धूप की गरमी से जब अंडों के फूटने का समय निकट आ जाता है तो भीतर से बच्चे अपने थूथन पर के अंडदंत (egg tooth) से अंडों का छिलका तोड़कर बाहर निकल आते हैं। उनका यह अंडदंत थोड़े दिनों में गिर जाता है क्योंकि उसकी फिर कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। बच्चे एक दो साल तक तो बहुत तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन उसके बाद फिर उनकी बाढ़ बहुत मंद हो जाती है।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%98%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2|title=घड़ियाल |accessmonthday=19 अगस्त |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिंदी}}</ref>
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12:28, 25 अक्टूबर 2017 का अवतरण

घड़ियाल
घड़ियाल
जगत जंतु (Animalia)
संघ कॉर्डेटा (Chordata)
वर्ग सरीसृप (Reptilia)
गण क्रॉकोडाइलिया (Crocodilia)
कुल गैविएलिडी (Gavialidae)
जाति गैविएलिस (Gavialis)
प्रजाति गैंगीटिकस (gangeticus)
द्विपद नाम गैविएलिस गैंगीटिकस (Gavialidae gangeticus)
अन्य जानकारी घड़ियाल मगरमच्छ की तरह हिंसक न होकर मछलीखोर जंतु है, जो आदमियों और जानवरों पर हमला नहीं करता, लेकिन दबाव में पड़ने पर कभी कभी उसके दुम का वार घातक भी हो सकता है।

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घड़ियाल (अंग्रेज़ी: Gharial, वैज्ञानिक नाम: Gavialis gangeticus) सरीसृप वर्ग के मकर गण के गेविएलिस वंश का सबसे लंबा जीव है, जो केवल भारतवर्ष के उत्तरी भाग की बड़ी ओर उनकी सहायक नदियों में पाया जाता है। मगरमच्छ का निकट संबंधी होकर भी इसका थूथन उसकी तरह छोटा न होकर काफ़ी पतला और लंबा रहता है और नरों के प्रौढ़ हो जाने पर सिरे पर एक गोल लोटे जैसा कुब्बा सा निकल आता है, जो इसकी तूंबी कहलाता है।

आकार

घड़ियाल मगरमच्छ की तरह हिंसक न होकर मछलीखोर जंतु है, जो आदमियों और जानवरों पर हमला नहीं करता, लेकिन दबाव में पड़ने पर कभी कभी उसके दुम का वार घातक भी हो सकता है। घड़ियाल दीर्घजीवी प्राणी है, जो समय पाकर 20-25 फुट तक का हो जाता है। इसकी त्वचा बहुत कड़ी और मजबूत होती है, जो देखने में चारखाने की तरह जान पड़ती है। इसके शरीर के ऊपरी हिस्से की खाल के नीचे तो हड्डियों को तह रहती है, लेकिन निचले भाग की खाल बहुत मोटी और मजबूत होती है। यह बहुत कीमती बिकती है और इसी से जूते तथा सूटकेस वगैरह बनाए जाते हैं।

आवास

घड़ियाल के लंबे थूथन में ऊपर और नीचे की ओर बहुत लंबे, तेज, नुकीले दाँत होते हैं, जो मुँह बंद करने पर इस प्रकार बैठ जाते हैं कि उसकी पकड़ से किसी भी शिकार का छूट निकलना आसान नहीं होता। इसके ऊपरी थूथन में ऊपर की ओर हर तरफ 27-29 दाँतों की पंक्ति रहती है। घड़ियाल जलचर प्राणी है, जो पानी के भीतर काफ़ी देर तक रह लेता है, लेकिन वह मछलियों की तरह पानी में घुली हुई हवा के द्वारा साँस नहीं ले सकता और इसीलिये उसे थोड़ी थोड़ी देर के बाद पानी की सतह पर साँस लेने के लिये आना पड़ता है। पानी के भीतर यह अपनी दुम को इधर उधर चलाकर बहुत तेजी से आगे बढ़ता है और खुश्की पर भी अपने चारों पैरों के सहारे अपने भारी शरीर को उठाकर काफ़ी तेज भाग लेता है। इसे हम दिन में अक्सर नदियों के किनारे धूप सेंकते देख सकते हैं, लेकिन इसका शाम का समय मछलियों के शिकार में ही बीतता है।

रंग-रूप

घड़ियाल के शरीर का ऊपरी भाग जैतूनी रंग का होता है, जो पुराना हो जाने पर और भी गाढ़ा हो जाता है। नीचे का हिस्सा सफ़ेद रहता है। इसकी आँखें उभरी रहती हैं, जिनपर एक प्रकार की पारदर्शी झिल्ली रहती है। इसे पानी के भीतर जाने पर चढ़ा लेता है। इसकी उँगलियाँ कुछ दूर तक आपस में जुटी रहती हैं और टाँगों पर का कुछ हिस्सा रीढ़ सा उठा रहता है।

प्रजनन

घड़ियालों का जनन अंडों द्वारा होता है। नर एक प्रकार की आवाज करके मादा को अपने पास आने के लिये आमंत्रित करता है। इसके नर और मादा दोनों के शरीर में दो दो जोड़े ग्रंधग्रंथियों के रहते हैं, जिनमें से एक जोड़ा तो गले की बगल और दूसरा अवस्कर या क्लोएका (cloaca) के भीतर रहता है। इनकी सूँघने और सुनने की शक्ति बहुत तेज होती है, जिसके सहारे, नर और मादा एक दूसरे के पास शीघ्र पहुँच जाते हैं। समय आने पर मादा अपने अंडे रेत में गाड़ आती है, जो दूध से सफेद और संख्या में 20 से लेकर 90 तक रहते हैं। कुछ दिनों बाद धूप की गरमी से जब अंडों के फूटने का समय निकट आ जाता है तो भीतर से बच्चे अपने थूथन पर के अंडदंत (egg tooth) से अंडों का छिलका तोड़कर बाहर निकल आते हैं। उनका यह अंडदंत थोड़े दिनों में गिर जाता है क्योंकि उसकी फिर कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। बच्चे एक दो साल तक तो बहुत तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन उसके बाद फिर उनकी बाढ़ बहुत मंद हो जाती है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. घड़ियाल (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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