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[[झारखंड]] का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला चतरा बहुत ही खूबसूरत स्‍थान है। यहाँ पर जंगलों, प्राचीन मन्दिरों, नदियों, झरनों और वन्य जीव अभयारण्यों की सैर की जा सकती है। यहाँके जंगलों में वन्य जीवों को देखा जा सकता है। वन्य जीवों के अलावा इन जंगलों में विविध प्रकार के औषधीय वृक्ष और जड़ी-बुटियाँ भी पाई जाती है। चतरा के जंगलों के अलावा इसके द्वारी झरने में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस झरने में स्नान करने से कई प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। इसी विशेषता के कारण द्वारी झरने पर पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।  
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[[झारखंड]] का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला चतरा बहुत ही खूबसूरत स्‍थान है। यहाँ पर जंगलों, प्राचीन मन्दिरों, नदियों, झरनों और वन्य जीव अभयारण्यों की सैर की जा सकती है। यहाँ के जंगलों में वन्य जीवों को देखा जा सकता है। वन्य जीवों के अलावा इन जंगलों में विविध प्रकार के औषधीय वृक्ष और जड़ी-बुटियाँ भी पाई जाती है। चतरा के जंगलों के अलावा इसके द्वारी झरने में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस झरने में स्नान करने से कई प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। इसी विशेषता के कारण द्वारी झरने पर पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।  
  
 
==क्या देखें==
 
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10:41, 1 सितम्बर 2011 का अवतरण

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झारखंड का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला चतरा बहुत ही खूबसूरत स्‍थान है। यहाँ पर जंगलों, प्राचीन मन्दिरों, नदियों, झरनों और वन्य जीव अभयारण्यों की सैर की जा सकती है। यहाँ के जंगलों में वन्य जीवों को देखा जा सकता है। वन्य जीवों के अलावा इन जंगलों में विविध प्रकार के औषधीय वृक्ष और जड़ी-बुटियाँ भी पाई जाती है। चतरा के जंगलों के अलावा इसके द्वारी झरने में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस झरने में स्नान करने से कई प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। इसी विशेषता के कारण द्वारी झरने पर पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।

क्या देखें

भदुली

चतरा की पूर्व दिशा में 35 कि.मी. की दूरी पर महानाद नदी के तट पर भदुली (भद्रकाली) स्थित है। जी.टी. रोड द्वारा आसानी से यहाँ तक पहुँचा जा सकता है। भदुली चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। इन जंगलों के अलावा यहाँ पर एक प्राकृतिक तालाब भी है जो पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को बहुत आकर्षित करता है। तालाब के पास कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमें पर्यटक और स्थानीय निवासी बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।

कोल्हुआ पहाड़ी

कोल्हुआ पहाड़ी हण्टरगंज की दक्षिण-पूर्व दिशा में 6 मील की दूरी पर स्थित है। इसकी ऊँचाई 1575 फीट है। इसे अक्ष लोचन के नाम से भी जाना जाता है। अक्ष लोचन चोटी से संपूर्ण चतरा के बेहतरीन दृश्य दिखाई देते हैं जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। इन मनोहारी दृश्यों को देखने के अलावा इसके प्राचीन मन्दिरों को देखना भी पर्यटकों को बहुत भाता है। इन मन्दिरों में काली देवी का मन्दिर बहुत खूबसूरत है। काली देवी मन्दिर को कौलेश्वरी देवी मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है।

कुण्ड गुफ़ा

कुण्ड गांव की गुफ़ा को चतरा के बेहतरीन पर्यटक स्थलों में से एक माना जाता है। इस गुफ़ा के पास कुण्ड महल भी है जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। लेकिन पर्यटकों को महल की अपेक्षा गुफ़ा ज्यादा आकर्षित करती हैं। यह गुफ़ा पर्यटकों को बहुत पसंद आती है क्योंकि इसके शांत वातावरण में कुछ क्षण बिताना उनकी थकान को दूर देता है। गुफ़ा में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि इसका प्रवेश द्वार काफ़ी संकरा है। इसके अन्दर एक बड़ा हॉल भी है जहाँ बहुत अंधेरा रहता है। हॉल में एक शिवलिंग भी है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना एक संन्यासी ने की थी जो लगभग पचास वर्ष पहले यहाँ आया था। गुफ़ा की दीवारों पर कुछ लिखा भी गया है लेकिन इस लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं गया है। फाल्गुन की 14 तारीख को यहाँ पर भगवान शिव को समर्पित भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में पर्यटक और स्थानीय निवासी समान रूप से भाग लेते हैं।

तमासिन

चतरा का तमासीन भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में गिना जाता है। यहाँ पर पर्यटक देवी भगवती की मनोहारी प्रतिमा देख सकते हैं। इस प्रतिमा के अलावा यह अपने खूबसूरत झरनों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। झरनों के पास पर्यटक घने जंगलों की सैर भी कर सकते हैं। यह जंगल इतने घने हैं कि यहाँ पर सूरज की रोशनी भी नहीं पहुँच पाती। तमासिन चतरा के शानदार पर्यटक स्थलों में से एक है।

द्वारी झरना

इस झरने को बलबल द्वारी के नाम से भी जाना जाता है। यह झरना खूबसूरत तो है ही लेकिन खूबसूरती के अलावा यह अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। औषधीय गुणों के कारण इस झरने पर नियमित रूप से पर्यटकों को जमावड़ा लगा रहता है। मकर संक्रान्ति के दिन यहाँ पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं। इस मेले में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों की बहुत भीड़ देखी जा सकती है।

कौलेश्वरी देवी

कुल्हा पहाड़ी पर स्थित कौलेश्वरी मन्दिर बहुत खूबसूरत है। डॉ एम.ए. स्टिन के अनुसार यहाँ पर दसवें र्तीथाकर शीतला स्वामी का जन्म हुआ था। उनके भक्तों ने इस मन्दिर का निर्माण कराया था। मन्दिर के पास एक गुफ़ा भी है जिसमें 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्‍वनाथ की प्रतिमा देखी जा सकती है। इस प्रतिमा में उनके गलें में सांप है और वह साधना में लीन हैं। कौलेश्वरी देवी के मन्दिर तक पहुँचना दुर्गम है। लेकिन इसके आस-पास खूबसूरत जंगल हैं। इन जंगलों में बेहतरीन पिकनिक का आनंद लेने के साथ-साथ वन्य जीवों जैसे लंगूर, भालू, हिरण, नीलगाय, तेंदुआ और विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की मनोहारी झलक देखी जा सकती है।

कहाँ ठहरें

चतरा में पर्यटकों के ठहरने व खाने-पीने के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध नहीं है। अत: उनके लिए आस-पास के क्षेत्रों में रूकना सुविधाजनक रहता है। चतरा आने वाले पर्यटक बोकारो में आसानी से रूक सकते हैं। [1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चतरा (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 1 सितम्बर, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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