चित्रांगद

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चित्रांगद हस्तिनापुर नरेश शांतनु और सत्यवती के पुत्र थे। सत्यवती से शांतनु दो पुत्रों के पिता बने थे। इनमें चित्रांगद ज्येष्ठ थे, जबकि उनके छोटे भाई का नाम विचित्रवीर्य था।

  • जब चित्रांगद और विचित्रवीर्य छोटे ही थे, तभी शांतनु का स्वर्गवास हो गया था, इसलिये उनका पालन-पोषण भीष्म ने किया।
  • भीष्म ने चित्रांगद के बड़े होने पर उसे हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बिठा दिया, किन्तु कुछ समय बाद ही चित्रांगद गन्धर्वों से युद्ध करते हुये मारा गया।
  • चित्रांगद की मृत्यु के बाद भीष्म ने उसके भाई विचित्रवीर्य को राज्य सौंप दिया।
  • कुछ समय बाद भीष्म को विचित्रवीर्य के विवाह की चिन्ता हुई। उसी समय काशीराज की तीन कन्याओं- अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। भीष्म ने वहाँ जाकर अकेले ही सभी राजाओं को हरा दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आये।
  • बड़ी कन्या अम्बा ने भीष्म को बताया कि वह राजा शाल्व को प्रेम करती है। यह सुन कर भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवाया और अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ करवा दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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