चैत्र

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  • हिंदू नववर्ष के चैत्र मास से ही शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े।
  • इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं।
  • पुराण अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका का सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था।
  • प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरूआत हुई।
  • चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही सत युग का प्रारंभ माना जाता है। यह तिथि हमें सतयुग की ओर बढऩे की प्रेरणा देती है।
  • सतयुग का अर्थ है हम कर्म करें और कर्तव्य के मार्ग पर आगे बढ़े।

विधि

  • नए साल का आरंभ हमें सूर्य पूजन से करके करना चाहिए।
  • सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना गया है।
  • सूर्य से हमें ऊर्जा मिलती है।
  • हम सूर्य की तरह ऊर्जावान है।
  • इस दिन सूर्य उदय से पहले जागकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो, उबटन लगाकर स्नान करें।
  • नए वस्त्र पहनें और सूर्य के दर्शन करें।
  • सूर्य को अध्र्य दें और पूजन कर नए साल के लिए प्रार्थना करें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ