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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-8

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  • इस खण्ड में सप्तविध साम की उपासना का वर्णन है।
  • वाणी में 'हुं' हिंकार है, शब्द 'प्र' प्रस्ताव है, 'आ' आदि रूप है, 'उत्' उद्गीथ है, 'प्रति' प्रतिहार है, 'उप' उपद्रव-रूप है और 'नि' निधन का रूप है।
  • इस प्रकार जो साधक उपासना से वाणी के सारतत्त्व को प्राप्त कर लेता है, उसे अन्न और अन्न को पचाने की सामर्थ्य प्राप्त होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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