जापान

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जापान एशिया महाद्वीप में स्थित एक देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। जापानी अपने देश को निप्पन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्यनिकास है। जापान के निकटतम पड़ोसी देश चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र होने के साथ-साथ यह उन लोगों के लिए बिल्कुल सही जगह है जो सपने देखते हैं और उन सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखते हैं। जापान के लोगों में काम करने का जुनून है जो जापान की तरक्की से साफ देखा जा सकता है।

टोक्यो

टोक्यो जापान की राजधानी है। और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। जापान की राजधानी टोक्यो दुनिया के सबसे विकसित शहरों में से एक है। काबुकी और पोकीमोन, सूमो और मोबाइल फोन की जन्मस्थली टोक्यो पूर्वी और पश्चिमी सभ्यता का संगम है। टोक्यो का पुराना नाम इडो है जिसे सन् 1868 ई॰ में बदल कर टोक्यो कर दिया गया। इसी वर्ष इसे क्योटो के बदले जापान की राजधानी बनाया गया। वैसे टोक्यो का राजनीतिक महत्व तब ही बढ़ गया था जब सन् 1603 ई॰ में तोकुगवा लेयासु ने यहाँ अपनी सामंती सरकार बनाई। सन् 1923 ई॰ के भूकंप और सन् 1945 ई॰ के युद्ध ने इस शहर को बहुत नुकसान पहुँचाया। लेकिन आज टोक्यो इन सदमों से उबर चुका है और पर्यटन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

पर्यटन स्थल

शाही महल

शाही महल जापान में है। जापान का शाही महल बेहद ख़ूबसूरत जगह है। इस महल में जापानी परंपराओं को देखा जा सकता है। शाही महल में जापान के राजा का आधिकारिक निवास है। महल में बहुत सारी सुरक्षा इमारतें और दरवाजें हैं। यहाँ की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से कुछ हैं- ईस्ट गार्डन, प्लाजा और निजुबाशी पुल। शाही महल को सम्राट के जन्मदिन के दिन जनता के लिए खोला जाता है।

टोक्यो टावर

टोक्यो टावर इमारत का निर्माण सन् 1958 ई॰ में हुआ था। टोक्यो टावर 333 मीटर ऊँचा है। यह टावर एफिल टावर से भी 13 मीटर ऊँचा है। यहाँ पर दो वेधशालाएँ स्थित हैं जहाँ से टोक्यो का ख़ूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। साफ मौसम में तो यहाँ से माउंट फिजी दिखलाई पड़ता है। मुख्य वेधशाला 150 मीटर ऊँची है और विशेष वेधशाला 250 मीटर ऊँची है। इस टावर के अंदर टोक्यो टावर वैक्स संग्रहालय, मिस्टीरियस वॉकिंग जोन और ट्रिक आर्ट गैलरी भी है।

असाकुसा श्राइन

असाकुसा श्राइन की स्थापना सन् 1649 ई॰ में हुई थी। दंतकथाओं के अनुसार सैकड़ों साल पहले हिरोकुमा बंधुओं के मछली पकड़ने के जाल में कैनन की प्रतिमा फँस गई। तब गाँव के मुखिया ने वहाँ प्रतिमा की स्थापना की। इसके बाद इस मंदिर का एक उपनाम संजा-समा पड़ा। यह टोक्यो का सबसे प्रमुख मंदिर है। मई के महिने में यहाँ संजा उत्सव भी मनाया जाता है।

अमेयोको

यह बाजार उएनो स्टेशन के पास है इसलिए यहाँ आने वाले लोग इस बाजार में आना पसंद करते हैं। अमेयोको में आप जूतों से लेकर कपड़ों तक, हर तरह की उपभोक्ता वस्तु खरीद सकते हैं। बालों पर लगाने वाली क्रीम हो या छतरी यहाँ सब कुछ मिलता है। यदि आप जापान के कामकाजी लोगों को करीब से देखना चाहते हैं और अद्भुत चीजें कम कीमत पर खरीदना चाहते हैं तो यह जगह बिल्कुल उपयुक्त है।

रनबो ब्रिज

रनबो ब्रिज की शुरुआत सन्1993 ई॰ में हुई थी। इस अनोखे नाम का कारण इस ब्रिज पर रात को जलने वाली रंगबिरंगी लाइटें हैं। यह पुल मिनटोकु और ओडैबा को जोड़ता है। रनबो ब्रिज की ख़ूबसूरती को देखने का एक अन्य तरीका मोनोरल है जो शिम्बाशी से चलती है। यहाँ पर आठ ट्रैफिक लेन और दो रलें हैं। पैदल चलने वालों के लिए भी रास्ता है। इसके अलावा हिनोक पीयर से असाकुसा के बीच क्रूज से यात्रा करके रनबो ब्रिज की ख़ूबसूरती को निहारा जा सकता है।

सूमो संग्रहालय

यह संग्रहालय नेशनल सूमो स्टेडियम के साथ बना है। सूमो रसलिंग जापान का सबसे प्रसिद्ध खेल है। इस संग्रहालय में समारोह के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों, सूमो वस्त्रों, रैफरी के पैडंलों को प्रदर्शित किया गया है और मशहूर रसलरों के बारे में बताया गया है।

नेशनल म्यूजियम ऑफ वेस्टर्न आर्ट

यह संग्रहालय का निर्माण सन् 1959 ई॰ में हुआ था। यह संग्रहालय पर्यटकों के बीच बहुत ही मशहूर है क्योंकि यहाँ सुदूर पूर्व में पश्चिमी कला का आधुनिकतम संग्रह है। इस संग्रह के पीछे का इतिहास बहुत रोचक है। सैन फ्रांसिस्को शांति सम्झौते में कहा गया कि कोजिरो मत्सुकाता संग्रह जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फ्रांस के पास चला गया था, अब फ्रांस की संपत्ति होगा। बाद में फ्रांस सरकार ने यह संग्रह जापान को वापस कर दिया।

दर्शनीय स्थल

मीजी जिंगू श्राइन

इसका निर्माण सन् 1920 ई॰ में यहाँ के शासक मीजी (1912) की याद में किया गया था। यह मंदिर शिंतो वास्तुकला का उत्तम नमूना है। 72 हैक्टेयर में फैले पेड़ों और मीजी जिंगू पार्क की जापानी वनस्पतियों से घिरा यह स्थान जापान की सबसे ख़ूबसूरत और पवित्र जगहों में से एक है।

तोशोगु मंदिर

इस मंदिर का मुख्य आकर्षण पत्थर की बनी 50 विशाल लालटेन हैं। यहाँ की मुख्य इमारत जिसका निर्माण 1651 में हुआ था, सोने से बनी थी। इनमें से कई सामंती दासों द्वारा दान की गई थीं। इसे बनाने का श्रेय तीसर शोगुम इमीत्सु तोकुगावा को जाता है। यह मंदिर जापान की राष्ट्रीय संपदा का हिस्सा है।

कुल मिलाकर देखें तो यह शहर आधुनिकता की मिसाल है। लेकिन इसने अपनी परंपरा को छोड़ा नहीं है। यहा आपको जापान की तरक्की दिखाई देगी, तो साथ ही इसकी संस्कृति भी।