जाब्ती प्रणाली

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जाब्ती प्रणाली मुग़ल साम्राज्य में बादशाह अकबर के शासन काल में राजा टोडरमल द्वारा स्थापित की गई भू-राजस्व व्यवस्था की प्रणाली थी।

  • अकबर के शासन काल के 15वें वर्ष, लगभग 1570-1571 ई. में टोडरमल ने खालसा भूमि पर भू-राजस्व की नवीन प्रणाली, जिसका नाम ‘जाब्ती’ था, को प्रारम्भ किया।
  • इस प्रणाली में भूमि की पैमाइश एवं खेतों की मूल वास्तविक पैदावार को आंकने के आधार पर कर की दरों को निर्धारित किया जाता था।
  • यह प्रणाली बिहार, लाहौर, इलाहाबाद, मुल्तान, दिल्ली, अवध, मालवा एवं गुजरात में प्रचलित थी।
  • जाब्ती प्रणाली में कर निर्धारण की दो श्रेणी थी, एक को ‘तखशीस' कर निर्धारण कहते थे और दूसरे को ‘तहसील’ व 'वास्तविक वसूली' कहते थे।
  • लगान निर्धारण के समय राजस्व अधिकारी द्वारा लिखे गये पत्र को ‘पट्टा’, ‘कौल’ या ‘कौलकरार’ कहा जाता था।
  • उपर्युक्त प्रणाली के अन्तर्गत उपज के रूप में निर्धारित भू-राजस्व को नक़दी के रूप में वसूल करने के लिए विभिन्न फ़सलों के क्षेत्रीय आधार पर नक़दी भू-राजस्व अनुसूची[1] तैयार की जाती थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. दस्तूरूल अमल

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