जुब्बल हिमाचल प्रदेश

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
जुब्बल हिमाचल प्रदेश
हटेश्वरी मन्दिर, जुब्बल
विवरण 'जुब्बल' हिमाचल प्रदेश के ख़ूबसूरत और प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर स्थानों में से एक है।
राज्य हिमाचल प्रदेश
स्थापना राजा करम चंद
भौगोलिक स्थिति समुद्र स्तर से 1901 मीटर की ऊंचाई पर।
कब जाएँ सर्दी और बसंत
क्या देखें हटकेश्वरी मन्दिर, चंद्र नाहन झील, जुब्बल पैलेस आदि।
संबंधित लेख हिमाचल प्रदेश, पाण्डव


विशेष यहाँ का 'हटकेश्वरी मन्दिर' पाण्डवों द्वारा निर्मित बताया जाता है।
अन्य जानकारी जुब्बल का राजा दिग्विजय सिंह के शासन काल के दौरान 15 अप्रैल, 1948 में भारत के साथ विलय हुआ था।

जुब्बल एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह शानदार स्थान ख़ूबसूरत प्राकृतिक परिदृश्य एवं मनोरम वातावरण प्रस्तुत करता है। जुब्बल में सेब के बाग़ और घने देवदार के वृक्ष पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहाँ का 'हटकेश्वरी मन्दिर' पाण्डवों द्वारा निर्मित बताया जाता है।

स्थिति व इतिहास

जुब्बल पब्बर नदी के तट पर समुद्र स्तर से 1901 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 288 वर्ग मील के एक क्षेत्र में फैला यह स्थान प्राकृतिक परिदृश्य का एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। जुब्बल ने 1814-1816 के गोरखा युद्ध के बाद अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की थी। दस्तावेजों के अनुसार, जुब्बल राजा करम चंद द्वारा स्थापित किया गया था। जुब्बल राजा दिग्विजय सिंह के शासन काल के दौरान 15 अप्रैल, 1948 को भारत के साथ विलय हो गया था।[1]

पर्यटक स्थल

ढलानें, रसीले हरे सेब के बगीचे और घने देवदार वनों से घिरा जुब्बल असंख्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस स्थान के कई पर्यटक आकर्षण केन्द्रों में प्रसिद्ध चंद्र नाहन झील और जुब्बल पैलेस शामिल हैं। चंद्र नाहन झील, पब्बर नदी का उदगम स्थल आगंतुकों को मछली पकड़ने का अवसर प्रदान करता है। जुब्बल पैलेस पूर्व शासकों के विरासत की एक झलक आगंतुकों के लिये पेश करता है। यह महल 'राणा धाम' के रूप में भी लोकप्रिय है, जो चीनी स्थापत्य शैली को प्रदर्शित करता है।

हटकेश्वरी मन्दिर

जुब्बल में 'हटकेश्वरी मन्दिर' एक उल्लेखनीय पर्यटन स्थल है। पौराणिक हिन्दू कथा महाभारत के अनुसार पाण्डवों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर 800 और 1000 ई. के बीच की अवधि के दौरान बनाया गया था। मंदिर का बाद में 19वीं सदी में जुब्बल के राजाओं द्वारा नवीकरण किया गया। जुलाई के महीने में आयोजित 'रामपुर जटर' का त्योहार और 'हेमीस' जुब्बल के आकर्षण को बढ़ाते हैं। हेमीस त्योहार 'गुरु पद्मसंभव', जो कि तिब्बती बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण हस्ती माने जाते हैं और जिन्हें 'शेर जोरदार गुरु' के रूप में भी जाना जाता है, के सम्मान में मनाया जाता है।[1]

कब और कैसे जाएँ

जुब्बल परिवहन के प्रमुख साधनों अर्थात् वायुमार्ग, रेलमार्ग और सड़कमार्ग के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सर्दी और बसंत में आरामदायक जलवायु परिस्थितियों के कारण यह समय जुब्बल तक आने की सबसे अच्छी अवधि के रूप में माना जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 जुब्बल (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 26 जून, 2013।

संबंधित लेख