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'''तेलंगाना किसान आन्दोलन''' [[वर्ष]] [[1946]] ई. में किया गया एक '[[किसान आन्दोलन]]' था। [[आंध्र प्रदेश]] में यह आन्दोलन [[ज़मींदार|ज़मींदारों]] एवं साहूकारों के शोषण की नीति के ख़िलाफ़ तथा भ्रष्ट अधिकारियों के अत्याचार के विरुद्ध प्रारम्भ किया गया था।
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'''तेलंगाना किसान आन्दोलन''' [[वर्ष]] [[1946]] ई. में किया गया एक '[[किसान आन्दोलन]]' था। [[आंध्र प्रदेश]] में यह आन्दोलन [[ज़मींदार|ज़मींदारों]] एवं साहूकारों के शोषण की नीति के ख़िलाफ़ तथा भ्रष्ट अधिकारियों के अत्याचार के विरुद्ध प्रारम्भ किया गया था। 'कम क़ीमत पर गल्ला वसूली' इस आन्दोलन का मुख्य कारण था।
  
 
*सन [[1858]] ई. के बाद हुए किसान आन्दोलनों का चरित्र पूर्व के आन्दोलन से अलग था। अब किसान बगैर किसी मध्यस्थ के स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़ने लगे थे।
 
*सन [[1858]] ई. के बाद हुए किसान आन्दोलनों का चरित्र पूर्व के आन्दोलन से अलग था। अब किसान बगैर किसी मध्यस्थ के स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़ने लगे थे।

12:13, 4 मई 2014 के समय का अवतरण

तेलंगाना किसान आन्दोलन वर्ष 1946 ई. में किया गया एक 'किसान आन्दोलन' था। आंध्र प्रदेश में यह आन्दोलन ज़मींदारों एवं साहूकारों के शोषण की नीति के ख़िलाफ़ तथा भ्रष्ट अधिकारियों के अत्याचार के विरुद्ध प्रारम्भ किया गया था। 'कम क़ीमत पर गल्ला वसूली' इस आन्दोलन का मुख्य कारण था।

  • सन 1858 ई. के बाद हुए किसान आन्दोलनों का चरित्र पूर्व के आन्दोलन से अलग था। अब किसान बगैर किसी मध्यस्थ के स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़ने लगे थे।
  • इन किसानों की अधिकांश माँगे आर्थिक समस्याओं से सम्बंधित होती थीं।
  • किसान आन्दोलन ने राजनीतिक शक्ति के अभाव में ब्रिटिश उपनिवेश का विरोध नहीं किया।
  • किसानों की लड़ाई के पीछे उद्देश्य व्यवस्था-परिवर्तन नहीं था, बल्कि वे यथास्थिति बनाए रखना चाहते थे।
  • इन आन्दोलनों की असफलता के पीछे किसी ठोस विचारधारा, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक कार्यक्रमों का अभाव था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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