तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-1

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  • इस अनुवाक में भृगु वारुणि अपने पिता वरुण के पास जाकर 'ब्रह्म' के बारे में पूछते हैं।
  • वरुण उन्हें बताते हैं कि अन्न, प्राण, चक्षु, श्रोत्र, मन और वाणी- ये सभी ब्रह्म की प्राप्ति के साधन हैं। ये सारे प्राणी, जिससे जन्म लेते हैं, उसी में लय हो जाते हैं।
  • वही 'ब्रह्म' है। उसे साधना द्वारा जानने का प्रयास करो। इस प्रकार जानकर भृगु तप करने चले गये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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