त्रिमासा नदी
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त्रिमासा नदी का उल्लेख श्रीमद्भागवत[1] में हुआ है-
'त्रिमासा कौशिकी मंदाकिनी यमुना सरस्वती विश्वेति महानद्य:'
- यूनानी लेखक स्ट्राबो के उल्लेख के अनुसार बैक्ट्रिया के यवन राजा मिनेंडर, 'मिलिंदपन्हो' नामक ग्रंथ का मिलिंद जो भारत में आने के पश्चात् बौद्ध हो गया था, ने भारत पर आक्रमण करते समय झेलम और 'इसामस' नामक नदियों को पार किया था।
- हेमचन्द्र राय चौधरी ने 'इसामस' के त्रिमासा होने की संभावना मानी है[2], किन्तु यह अनुमान ठीक जान नहीं पड़ता।
- श्रीमद्भागवत के उल्लेख के अनुसार त्रिमासा कौशिकी के निकट होनी चाहिए।
- कौशिकी बंगाल व उड़ीसा की सीमा के निकट बहने वाली कोश्या है।
- विष्णु पुराण[3] से भी त्रिमासा उड़ीसा (कलिंग) की कोई नदी जान पड़ती है- 'त्रिमासा चार्यकुल्याद्या महेन्द्रप्रभवा: स्मृता:', क्योंकि इसका उद्गम आर्यकुल्या के साथ ही महेन्द्र पर्वत में माना गया है।
- आर्यकुल्या उड़ीसा की ऋषिकुल्या जान पड़ती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 419 |
- ↑ श्रीमद्भागवत 5, 19, 18
- ↑ दे. पोलीटिकल हिस्ट्री ऑफ़ एंशेंट इंडिया, पृष्ठ 319
- ↑ विष्णु पुराण 2, 3, 13