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*दीया जलाकर प्रार्थना की जाती है - 'हे दीपक रूप ज्योति! तू शुभ तथा कल्याण करती है, आरोग्य एवं धन संपत्ति प्रदान करती है, किसी को भी शत्रु समझने की बुद्धि का नाश करती है, इसलिए मैं तुझे नमस्कार करता हूँ। | *दीया जलाकर प्रार्थना की जाती है - 'हे दीपक रूप ज्योति! तू शुभ तथा कल्याण करती है, आरोग्य एवं धन संपत्ति प्रदान करती है, किसी को भी शत्रु समझने की बुद्धि का नाश करती है, इसलिए मैं तुझे नमस्कार करता हूँ। | ||
*ऐसा कहा जाता है कि अकाल मृत्यु टालने के लिए [[कृष्ण पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] की रात्रि के आरम्भ में 14 दीये प्रज्वलित करने से [[यमराज]] संतुष्ट होते हैं। | *ऐसा कहा जाता है कि अकाल मृत्यु टालने के लिए [[कृष्ण पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] की रात्रि के आरम्भ में 14 दीये प्रज्वलित करने से [[यमराज]] संतुष्ट होते हैं। | ||
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12:46, 25 अक्टूबर 2011 का अवतरण
- प्रत्येक धार्मिक कार्य में दीप प्रज्वलित करके उसका नमन किया जाता है।
- दीपक की ज्योति 'परब्रह्म' स्वरूप है।
- दीपक प्रकाश (जीवन), उल्लास, पवित्रता और शुभकामनाओं का प्रतीक माना जाता है।
- आत्मा को 'स्वयंज्योति', 'स्वयंप्रकाश' कहा जाता है।
- 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाओ।
- हिन्दू घरों में तुलसी चौरे पर दीया जलाने की प्रथा है।
- दीया जलाकर प्रार्थना की जाती है - 'हे दीपक रूप ज्योति! तू शुभ तथा कल्याण करती है, आरोग्य एवं धन संपत्ति प्रदान करती है, किसी को भी शत्रु समझने की बुद्धि का नाश करती है, इसलिए मैं तुझे नमस्कार करता हूँ।
- ऐसा कहा जाता है कि अकाल मृत्यु टालने के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि के आरम्भ में 14 दीये प्रज्वलित करने से यमराज संतुष्ट होते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख
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