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विवरण देवनागरी वर्णमाला में तवर्ग का तीसरा व्यंजन है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दंत्य, स्पर्श, घोष और अल्पप्राण ध्वनि है। इसकी महाप्राण ध्वनि 'ध' है।
व्याकरण [ संस्कृत दा + क ] पुल्लिंग- दाँत, पहाड़, देने वाला मनुष्य, दाता। प्रत्यय- (समासांत प्रयोग में) देने वाला। जैसे- धनद (=धन देने वाला); (=जल देने वाला)।
विशेष 'द' के कुछ संयुक्त रूप हिंदी के सहस्रों शब्दों में प्रयुक्त होने के कारण विशेष स्मरणीय है- द्ग (=द्‌ग), द्ध (=द्‌ध), द्भ (=द्‌भ), द्म (द्‌म), द्य (=द्‌य), द्र = द्‌र), द्व = (द्‌व)।
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अन्य जानकारी जो व्यंजन 'द' स पहले आकर संयुक्त होते हैं, वे प्राय: अपनी खड़ी रेखा हो छोड़कर मिलते हैं। जैसे- क्द, ख्द, ग्द, घ्द, च्द, ज्द, झ्द, प्द, फ्द, ब्द, भ्द, म्द इत्यादि (जो वाग्दंड, शाताब्दी, उम्दा इत्यादि में देखे जा सकते हैं) परंतु 'र्‌', 'द' स पहले आने पर शिरोरेखा के ऊपर 'रेफ' रूप में विराजता है। जैसे- मर्द, गर्द।

देवनागरी वर्णमाला में तवर्ग का तीसरा व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दंत्य, स्पर्श, घोष और अल्पप्राण ध्वनि है। इसकी महाप्राण ध्वनि 'ध' है।

विशेष-
  • व्यंजन-गुच्छ के रूप में 'द' जिन व्यंजनों से पहले आता है, उनमें प्राय: द्‌ के बाद वह व्यंजन लिखा जाता है। परंतु, परम्परागत रीति में अनेक व्यंजन नीचे लगाकर भी लिखे जाते हैं। जैसे- उद्‌गार / उद्गार, उद्‌घाटन / उद्घाटन।
  • द्‌, म्‌, य्‌ और व से मिलने पर कुछ विशेष रूप में भी संयुक्त वर्ण लिखा जाता है। जैसे- उद्‌दीप्त / उद्दीप्त, सद्‌म / सद्म, वाद्‌य / वाद्य, द्‌वार / द्वार)। इनमें से द्‌ का द्वित्व रूप 'द्-द' अब अधिक पसंद किया जाता है (द्द नहीं)।
  • जब द्‌ पहले आकर 'र' से मिलता है, तब संयुक्त रूप 'द्र' होता है। जैसे- द्रव्य, द्राक्ष, द्रोणचार्य।
  • जो व्यंजन 'द' स पहले आकर संयुक्त होते हैं, वे प्राय: अपनी खड़ी रेखा हो छोड़कर मिलते हैं। जैसे- क्द, ख्द, ग्द, घ्द, च्द, ज्द, झ्द, प्द, फ्द, ब्द, भ्द, म्द इत्यादि (जो वाग्दंड, शाताब्दी, उम्दा इत्यादि में देखे जा सकते हैं) परंतु 'र्‌', 'द' स पहले आने पर शिरोरेखा के ऊपर 'रेफ' रूप में विराजता है। जैसे- मर्द, गर्द।
  • 'द्‌' और 'र' के संयुक्त रूप 'द्र' तथा 'र्‌' और 'द' के संयुक्त रूप 'र्द' का अंतर ध्यान देने योग्य है। जैसे- सर्द - सद्र, मर्द - मद्र।
  • 'द' के कुछ संयुक्त रूप हिंदी के सहस्रों शब्दों में प्रयुक्त होने के कारण विशेष स्मरणीय है- द्ग (=द्‌ग), द्ध (=द्‌ध), द्भ (=द्‌भ), द्म (द्‌म), द्य (=द्‌य), द्र = द्‌र), द्व = (द्‌व)।
  • [ संस्कृत दा + क ] पुल्लिंग- दाँत, पहाड़, देने वाला मनुष्य, दाता। प्रत्यय- (समासांत प्रयोग में) देने वाला। जैसे- धनद (=धन देने वाला); (=जल देने वाला)।[1]

द की बारहखड़ी

दा दि दी दु दू दे दै दो दौ दं दः

द अक्षर वाले शब्द



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 1200

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