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||[[Image:Gita-1.jpg|right|120px|श्रीकृष्ण और अर्जुन]][[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। इनका पूरा नाम 'कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास' था। व्यासजी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] तथा [[माता]] का नाम [[सत्यवती]] था। [[वेदान्त|वेदान्तदर्शन]] की शक्ति के साथ अनादि [[पुराण]] को लुप्त होते देखकर भगवान कृष्ण द्वैपायन ने अठारह [[पुराण|पुराणों]] का प्रणयन किया। इनके द्वारा प्रणीत [[महाभारत]] को पंचम [[वेद]] कहा जाता है। [[श्रीमद्भागवत]] के रूप में [[भक्ति]] का सार-सर्वस्व इन्होंने मानव मात्र को सुलभ कराया और [[ब्रह्मसूत्र]] के रूप में तत्त्वज्ञान का अनुपम ग्रन्थरत्न प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेदव्यास]]
 
||[[Image:Gita-1.jpg|right|120px|श्रीकृष्ण और अर्जुन]][[वेदव्यास]] भगवान [[नारायण]] के ही कलावतार थे। इनका पूरा नाम 'कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास' था। व्यासजी के [[पिता]] का नाम [[पराशर]] तथा [[माता]] का नाम [[सत्यवती]] था। [[वेदान्त|वेदान्तदर्शन]] की शक्ति के साथ अनादि [[पुराण]] को लुप्त होते देखकर भगवान कृष्ण द्वैपायन ने अठारह [[पुराण|पुराणों]] का प्रणयन किया। इनके द्वारा प्रणीत [[महाभारत]] को पंचम [[वेद]] कहा जाता है। [[श्रीमद्भागवत]] के रूप में [[भक्ति]] का सार-सर्वस्व इन्होंने मानव मात्र को सुलभ कराया और [[ब्रह्मसूत्र]] के रूप में तत्त्वज्ञान का अनुपम ग्रन्थरत्न प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेदव्यास]]
 
</quiz>
 
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 4 अक्तूबर  2014]] |अगली=[[पहेली 6 अक्तूबर 2014]]}}
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 4 अक्टूबर 2014]] |अगली=[[पहेली 6 अक्टूबर 2014]]}}
 
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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}

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