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प्रक्षेपास्त्र / मिसाइल
प्रक्षेपित कर उपयोग में लाया जाने वाला अस्त्र। इसका प्रयोग दूर स्थित लक्ष्य को बेधने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से विस्फोटकों को हज़ारों किलोमीटर दूर के लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है। इस प्रकार दूर स्थित दुश्मन के ठिकाने भी कुछ ही समय में नष्ट किए जा सकते हैं। प्रक्षेपास्त्र रासायनिक विस्फोटकों से लेकर परमाणु बम तक का वहन और प्रयोग कर सकता है।

भारत के प्रक्षेपास्त्र
क्रम प्रक्षेपास्त्र प्रकार मारक क्षमता आयुध वजन क्षमता प्रथम परीक्षण लागत विकास स्थिति
1 अग्नि-1 सतह से सतह पर मारक(इंटरमीडिएट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र) 1200 से 1500 कि.मी. 1000 कि.ग्रा. 22 मई, 1989 8 करोड़ रुपये विकसित एवं तैनात
2 अग्नि-2 सतह से सतह पर मारक(इंटरमीडिएट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र) 1500 से 2000 कि.मी. 1000 कि.ग्रा. (परम्परागत एवं परमाण्विक) 11अप्रॅल, 1999 8 करोड़ रुपये विकसित एवं प्रदर्शित
3 अग्नि-3 इंटरमीडिएट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र 3000 कि.मी. 1500 कि.ग्रा. 9 जुलाई, 2006 (असफल), 12 अप्रॅल, 2007 (प्रथम सफल परीक्षण) निर्माणाधीन
4 पृथ्वी सतह से सतह पर मारक अल्प दूरी के टैक्टिकल बैटल फील्ड प्रक्षेपास्त्र 150 से 250 कि.मी. 500 कि.ग्रा. 25 फ़रवरी, 1989 3 करोड़ रुपये विकसित एवं तैनात
5 त्रिशूल सतह से वायु में मारक लो लेवेल क्लीन रिएक्शन अल्प दूरी के प्रक्षेपास्त्र 500 मी. से 9 कि.मी. 15 कि.ग्रा. 5 जून, 1989 45 लाख रुपये विकसित एवं तैनात
6 नाग सतह से सतह पर मारक टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र 4 कि.मी. 10 कि.ग्रा. 29 नवम्बर, 1991 25 लाख रुपये विकसित एवं तैनात
7 आकाश सतह से वायु में मारक बहुलक्षक प्रक्षेपास्त्र 25 से 30 कि.मी. 55 कि.ग्रा. 15 अगस्त, 1990 1 करोड़ रुपये विकसित एवं तैनात
8 अस्त्र वायु से वायु में मारक प्रक्षेपास्त्र 25 से 40 कि.मी. 300 कि.ग्रा. 9 मई, 2003 निर्माणाधीन
9 ब्रह्मोस पोतभेदी सुपर सोनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र 290 कि.मी. 300 कि.ग्रा. 12 जून, 2001 विकसित एवं तैनात
10 शौर्य सतह से सतह पर मारक बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र 750 कि.मी. 1000 कि.ग्रा. 12 नवम्बर, 2008 विकसित एवं तैनात

समाचार

शुक्रवार, 11 मार्च, 2011

पृथ्वी-2 और धनुष मिसाइलों का सफल परीक्षण

धनुष प्रक्षेपास्त्र

भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों ने 11 मार्च, 2011 (शुक्रवार) को उड़ीसा के समुद्र तट पर 350 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली धनुष और पृथ्वी मिसाइलों का सफल परीक्षण किया। धनुष मिसाइल किसी युद्धपोत पर तैनात करने के लिए विकसित की गई है, जो समुद्र तटीय ठिकाने पर हमला कर सकती है। डीआरडीओ के प्रवक्ता ने बताया कि धनुष मिसाइल को नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सुवर्ण से छोड़ा गया। इसके एक घंटे बाद ही पृथ्वी मिसाइल को भी छोड़ा गया। धनुष मिसाइल पृथ्वी मिसाइल की नौसैनिक किस्म है। धनुष और पृथ्वी मिसाइलों को तीनों सेनाओं की साझा सामरिक बल कमांड (एसएफसी) के सैनिकों द्वारा अभ्यास के लिए छोड़ा गया था। प्रवक्ता ने बताया कि ये मिसाइलें भारतीय सैनिकों की ट्रेनिंग के तहत छोड़ी गईं। इन मिसाइलों को सैनिकों ने खुद डिपो से निकाला और इन्हें चला कर देखा। उल्लेखनीय है कि पांच दिनों पहले ही डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने वाली एंटी मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। प्रवक्ता ने कहा कि इन मिसाइलों के सफल परीक्षणों से वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ा है। दोनों मिसाइल परीक्षणों को रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वी.के. सारस्वत और अन्य वैज्ञानिकों ने देखा।

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