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{{सूचना बक्सा कलाकार
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मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की
|चित्र=Anupam Kher.jpg
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|चित्र का नाम=अनुपम खेर
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|पूरा नाम=अनुपम खेर
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|जन्म=[[7 मार्च]], [[1955]]
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|जन्म भूमि=[[शिमला]]
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मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!
|मृत्यु=
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|मृत्यु स्थान=
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|अभिभावक=पुष्कर नाथ
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2.जीवन यापन के लिए नौकरी
|पति/पत्नी=मधुमालती और किरण खेर
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|संतान=सिकंदर खेर
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|कर्म भूमि=[[मुम्बई]]
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|कर्म-क्षेत्र=फ़िल्म जगत
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|मुख्य रचनाएँ=
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                                    मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!
|मुख्य फ़िल्में='सारांश', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे', 'खेल', 'डर' 'चाहत', 'कुछ कुछ होता है', 'मोहब्बते', 'वीर-ज़रा' और 'हैप्पी न्यू इयर'
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|विषय=
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|शिक्षा=स्नातक
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बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !
|विद्यालय=राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय
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|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्मश्री|पद्म श्री]], ([[2004]]) और [[पद्म भूषण]], ([[2016]])
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|प्रसिद्धि=
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कहां गया है
|विशेष योगदान=
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|नागरिकता=भारतीय
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|संबंधित लेख=
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जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!
|शीर्षक 1=
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|पाठ 1=
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क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!
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|अन्य जानकारी=अनुपम खेर को एजुकेशन फाउंडेशन ने [[2010]] में अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया, जिनका मुख्य उद्देश्य [[भारत]] में सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है।
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'''अनुपम खेर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anupam Kher'' जन्म: [[7 मार्च]], [[1955]], [[शिमला]]) भारतीय अभिनेता हैं, जिन्होंने 500 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया है। मुख्यतः उन्होंने हिंदी फ़िल्मों में काम किया है, इसके साथ-साथ उन्होंने बहुत सी इंटरनेशनल फ़िल्में भी की है, जिनमें मुख्यतः बेककहम, लस्ट जैसी सुपरहिट फ़िल्में शामिल है। अनुपम खेर को पाँच बार कॉमिक रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस के लिये पाँच फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिल चुके हैं। विजय फ़िल्म में अपने किरदार के लिये उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड भी मिला था। अभिनेता होने के साथ-साथ वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफिकेशन एंड नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, इंडिया के चेयरमैन भी है। हिंदी सिनेमा और कला के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिये [[भारत सरकार]] ने [[2004]] में उन्हें [[पद्मश्री|पद्म श्री]] और [[2016]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया था। उनकी पत्नी एक्ट्रेस किरण खेर, चंडीगढ़ से इंडिया पार्लिमेंट की नियुक्त सदस्य भी है।<ref>{{cite web |url=http://www.gyanipandit.com/anupam-kher-biography-in-hindi/ |title=अनुपम खेर |accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.gyanipandit.com |language=हिंदी }}</ref>
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==जीवन परिचय==
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Uncategorized
अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में हुआ था। इनके पिता पुष्कर नाथ एक कश्मीरी पंडित थे, वे पेशे से क्लर्क थे। शिमला में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक की शिक्षा पूरी की।
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====पढ़ाई====
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अनुपम की पढ़ाई शिमला के डी.ए.वी. स्‍कूल से हुई है। वे नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व छात्र व पूर्व अध्‍यक्ष भी रहे हैं।
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मैडम क्यूरी-जीवन परिचय[Biography]
====शादी====
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अनुपम की पहली शादी मधुमालती से हुई थी। उनसे तलाक के बाद उन्‍होंने [[1985]] में किरण खेर से शादी कर ली। उनका एक बेटा सिकंदर खेर है।
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==फ़िल्मी कॅरियर==
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Raju1993 4 months ago No Comments
{{मुख्य|अनुपम खेर का फ़िल्मी कॅरियर}}
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अनुपम खेर ने [[1982]] में आयी फ़िल्म 'आगमन' से अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत की। इसके बाद [[1984]] में उन्होंने 'सारांश' फ़िल्म की, जिसमें उन्होंने 28 साल के एक सामान्य वर्ग के महाराष्ट्रियन का किरदार निभाया था जिसने अपने बेटे को खो दिया हो। लेकिन कुछ फ़िल्मों में उन्होंने विलन की भूमिका भी अदा की है, उन फ़िल्मों में 'डॉ. दंग इन कर्मा' ([[1986]]) शामिल है। उन्हें फ़िल्म 'डैडी' ([[1989]]) में उनके रोल के लिये बेस्ट परफॉरमेंस का फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला था। उन्होंने शाहरुख़ ख़ान के साथ मिलकर बहुत सी फ़िल्में की है, जिनमें वे शाहरुख़ के सह-कलाकार दिखे।<ref>{{cite web |url=https://www.notedlife.com/hi/Anupam-Kher-biography-in-hindi |title=अनुपम खेर |accessmonthday=14 सितम्बर |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.notedlife.com |language=हिंदी }}</ref>
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====निर्देशन के रूप में====
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अनुपम खेर ने [[2002]] में आयी फ़िल्म 'ओम जय जगदीश' को डायरेक्ट किया और प्रोड्यूसर बने। इसके बाद उन्होंने फ़िल्म 'मैंने गांधी को नही मारा' ([[2005]]) प्रोड्यूस की और उसमे वे खुद ही अभिनेता बने। फ़िल्म में उनके लाजवाब प्रदर्शन को देखकर कराची इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में उन्हें बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपम खेर ने बेककहम (2002), ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस (2004), स्पीडी सिंह (2011) जैसी सुपरहिट फ़िल्में की है। इसके साथ-साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से टी. वी शो भी किये हैं, जिनके लिये उन्हें बहुत से अवार्ड भी मिले है।
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    Facebook
अनुपम खेर ने बहुत से टी.वी शो भी होस्ट किये हैं, जैसे कि सेना समथिंग तो अनुपम अंकल, 'सवाल दस करोड़ का', 'लीड इंडिया' और वर्तमान में अनुपम खेर शो – 'कुछ भी हो सकता है', जो और अपने पहले एपिसोड से ही यह सुपरहिट साबित हुआ। उन्होंने बहुत से हास्य रोल भी किये हैं। अनुपम खेर ने अपने खुद के जीवन पर आधारित नाटक 'कुछ भी हो सकता है' लिखा था और खुद ही उसमे एक्टिंग भी की थी, जिसे फ़िरोज अब्बास ख़ान ने डायरेक्ट किया था। अभी कुछ दिनों पहले तक ही उन्होंने इंडियन फ़िल्म सेंसर बोर्ड के पद पर रहते हुए सेवा की थी। इसके साथ-साथ वे नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के [[1978]] की बैच के भूतपूर्व छात्रा भी थे। [[2007]] में अनुपम खेर अपने साथियों एन.एस.डी, सतीश कौशिक जैसी फ़िल्मे की। दोनों ने मिलकर करोल बाग़ प्रोडक्शन की स्थापना की और उनकी पहले फ़िल्म तेरे संग थी, जिसे सतीश कौशिक ने ही डायरेक्ट किया था।
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एजुकेशन फाउंडेशन ने [[2010]] में अनुपम खेर को अपना गुडविल एम्बेसडर घोषित किया, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। [[2011]] में उन्होंने मोहनलाल और जयाप्रदा के साथ मिलकर मलयालम भाषा में रोमांटिक ड्रामा प्राणायाम शुरू किया। खेर के अनुसार प्राणायाम उनके जीवन की 7 सबसे पसंदीदा फ़िल्मों में से एक है। उन्होंने बहुत-सी मराठी फ़िल्में भी की है जिनमें मुख्य रूप से 'तुझा… थोडा माझा', 'कशाला उद्याची बात' और [[मलयालम भाषा]] की रोमांटिक ड्रामा फ़िल्में भी शामिल है। [[2009]] में अनुपम खेर ने 'कार्ल फ्रेडरिक्क्सन' को डिज्नी पिक्सर 3डी एनीमेशन फ़िल्म के लिये अपनी आवाज़ भी दी। उन्होंने ब्रिटिश फ़िल्म शोंग्राम करना शुरू कर दी। जो एक रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म है और [[1971]] के बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध पर आधारित है।
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==मुख्य फ़िल्में==
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{{मुख्य|अनुपम खेर मुख्य फ़िल्में}}
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अनुपम खेर ने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत [[1982]] में आयी फ़िल्म 'आगमन' से की। इसके बाद [[1984]] में उन्होंने 'सारांश' फ़िल्म की। उन्होंने शाहरुख खान के साथ मिलकर बहुत सी फिल्में की है, जिनमे वे शाहरुख़ के सह-कलाकार दिखे, जैसे- 'डर' ([[1993]]), 'दिलवाले दुल्हनियाँ ले जायेंगे' ([[1995]]), 'चाहत' ([[1996]]), 'कुछ कुछ होता है' ([[1998]]), 'मोहब्बते' ([[2000]]), 'वीर-ज़रा' ([[2004]]) और 'हैप्पी न्यू इयर' शामिल है।
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==पुरस्कार==
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{{मुख्य|अनुपम खेर को मिले पुरस्कार}}
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मैडम क्यूरी जीवन परिचय
*[[1985]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - सारांश
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*[[1996]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे
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*[[1993]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - खेल
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*[[1994]] - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - डर
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    प्रस्तावना
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    जीवन यापन के लिए नौकरी
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    फ्रांस में उच्च शिक्षा
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    शोध कार्य में भागीदारी
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    रेडियम का आविष्कार
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    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
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              मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की
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मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!
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2.जीवन यापन के लिए नौकरी
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                                    मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!
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बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !
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जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!
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क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!
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Gyan Sager
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3.फ्रांस में उच्च शिक्षा
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                        24 साल की उम्र में सन सन सन 1891 में कथा वही एक विश्वविद्यालय में अपना प्रवेश ले लिया! मैडम क्यूरी को अपने साथ रखना चाहती थी परंतु चोरी उनके साथ ना रह कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती थी उन्होंने किराए पर एक छोटी सी कोठी ले ली जिसमें हवा एवं धूप का उचित प्रबंध भी नहीं था जाड़े के दिनों में कभी-कभी पेरिस बर्फ से ढक जाता है उस समय कोयला जलाकर लोग अपने घरों को गर्म रखते थे गर्म जल की स्थान पर घरेलू कार्य में उसे ठंडा जल ही प्रयुक्त करना पड़ता था!
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93 में उन्होंने भौतिकी की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया तथा सन 18 से 94 में गणित की परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया!
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उनकी सफलता एवं मेहनत से प्रसन्न होकर उस विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर ने उन्हें अपने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए नियुक्त कर दिया.
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फ्रांस में उनके नाम के उच्चारण में कठिनाइयां होती थी उन्हें लोग मेरी कहकर पुकारते थे इस वजह से लोग फ्रांस में उन्हें मैरी के नाम से जानने लगे.
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4.शोध कार्य में भागीदारी
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                                पियरे को जीवनसाथी पाकर मैडम क्यूरी अत्यंत प्रसन्न रखे! पियरे एक अध्यापक थे परंतु उनका वेतन कम था जिसमें दोनों के जीवन का निर्वाह कठिनतापूर्वक होता था!
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उन दोनों ने अपने आवास स्थान पर ही एक छोटी सी प्रयोगशाला स्थापित कर ली इसके व्यय का भार भी इसी कम वेतन में खर्च करना पड़ता था! उन्हीं दिनों सन 1896 में बेकुरल अपने शोध कार्य में रत थे
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उनका मत था
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यूरेनियम नामक एक भारी तत्व से कुछ किरणें निर्गत होती है मैडम क्यूरी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए इसी शोध कार्य विषय का चयन किया वह अपने शोध में जुट गए! मेरी ने यह पता लगाया कि
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यूरेनियम से कुछ किरणें निर्गत होती हैं
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यूरेनियम के अतिरिक्त थोरियम मैं भी रेडियो सक्रियता का गुण है
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.रेडियम का आविष्कार
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                                  1897 में मैडम क्यूरी ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम आइरिन रखा! प्रयोगशाला में काम करने की अतिरिक्त भी मैडम क्यूरी को अपनी पुत्री की देखभाल भी करनी पड़ती थी! उन्हें कुछ धन राशि भी खर्च करनी पड़ती थी इससे उनका आर्थिक संकट गहराया, परंतु मैडम क्यूरी अपने साहस एवं उत्साह से कार्य में जुटे रहे!
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यूरेनियम अत्यंत ही मूल्यवान होता है उन दिनों इसे खरीदने के लिए क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था उन्हें पीचब्लडी नामक एक रेडियो सक्रिय पदार्थ मिला, जो काले भूरे रंग का एक खनिज है!
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यह शुद्ध यूरेनियम से अधिक सक्रिय होता है, अपने इस खोज पर वह अत्यंत ही संतुष्ट थे उनके शोध कार्य में अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाई रही वस्तुतः पिचब्लडी से यूरेनियम तत्व को अलग करने के बाद यह व्यर्थ माना जाता है एवं इसके मूल्य में काफी कमी हो जाती है परंतु यूरेनियम अलग की गई सस्ती पिचब्लडी को खरीदने के लिए भी मैडम क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था किसी प्रकार कुछ धनराशि लेकर उन्होंने पिचब्लडी को ऑस्ट्रिया से आयात किया!
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क्यूरी के कठोर परिश्रम और शोध कार्य में उनकी लगन का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगभग 30 टन पिचब्लडी रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग तत्वों को अलग करके केवल 2 मिलीग्राम रेडियम प्राप्त किया, इसके द्वारा एक अन्य रेडियम सक्रिय पदार्थ की भी खोज की गई जिसका नाम मैडम क्यूरी के जन्म भूमि पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा गया!
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6.नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
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                                      रेडियम और पोलोनियम की खोज, उनके शुद्ध अवस्था का निर्माण परमाणु भार निर्धारण तथा गुण की अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी को सन 1911 में रसायन का नोबेल पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया
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उन्हें एक बार नहीं वरन दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिस वजह से वह दो बार नोबेल पुरस्कार लेने वाली प्रथम व्यक्ति हो गई इसके पूर्व किसी भी व्यक्ति को दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ था!
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7.मैडम क्यूरी की मृत्यु
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                              रेडियो सक्रिय पदार्थ की खोज करने के बाद मेडम क्यूरी ने लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी देना आरंभ किया और संसार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए तथा उनके जन्म स्थान पोलैंड में सन 1932 में उन्होंने रेडियम संस्थान की स्थापना करें.
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  रेडियम सक्रिय पदार्थों की कुप्रभाव के कारण मैडम क्यूरी अपने शरीर को सुरक्षित नहीं रख पाए. इसके कुप्रभाव से मैडम क्यूरी के शरीर में रक्त की कमी हो गया जिसके कारण उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1934 को हो गई!
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    मैडम क्यूरी की की गई सबसे बड़ी रेडियम की खोज ही उनकी मृत्यु का कारण बनी.
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उन्होंने सादगी उत्साह और कठिन परिश्रम से सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचकर आजीवन मानवता की सेवा की तथा विज्ञान जगत में रेडियम तथा पोलोनियम का आविष्कार किया विज्ञान जगत मैडम क्यूरी का सदैव ऋणी रहेग
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[https://www.gyansager.com/biography-of-madamecuire/ मैडम क्यूरी-जीवन परिचय]

12:23, 24 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की

− मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!

− 2.जीवन यापन के लिए नौकरी

                                   मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!

− बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !

− कहां गया है

− जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!

− क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!

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− मैडम क्यूरी-जीवन परिचय[Biography]

− Raju1993 4 months ago No Comments

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− मैडम क्यूरी जीवन परिचय

    प्रस्तावना

    जीवन यापन के लिए नौकरी

    फ्रांस में उच्च शिक्षा

    शोध कार्य में भागीदारी

    रेडियम का आविष्कार

    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित

    मैडम क्यूरी की मृत्यु

− Gyan Sager

− 1.प्रस्तावना

              मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की

− मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!

− 2.जीवन यापन के लिए नौकरी

                                   मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!

− बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !

− कहां गया है

− जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!

− क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!

− Gyan Sager

− 3.फ्रांस में उच्च शिक्षा

                        24 साल की उम्र में सन सन सन 1891 में कथा वही एक विश्वविद्यालय में अपना प्रवेश ले लिया! मैडम क्यूरी को अपने साथ रखना चाहती थी परंतु चोरी उनके साथ ना रह कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती थी उन्होंने किराए पर एक छोटी सी कोठी ले ली जिसमें हवा एवं धूप का उचित प्रबंध भी नहीं था जाड़े के दिनों में कभी-कभी पेरिस बर्फ से ढक जाता है उस समय कोयला जलाकर लोग अपने घरों को गर्म रखते थे गर्म जल की स्थान पर घरेलू कार्य में उसे ठंडा जल ही प्रयुक्त करना पड़ता था!

− 93 में उन्होंने भौतिकी की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया तथा सन 18 से 94 में गणित की परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया!

− उनकी सफलता एवं मेहनत से प्रसन्न होकर उस विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर ने उन्हें अपने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए नियुक्त कर दिया.

− फ्रांस में उनके नाम के उच्चारण में कठिनाइयां होती थी उन्हें लोग मेरी कहकर पुकारते थे इस वजह से लोग फ्रांस में उन्हें मैरी के नाम से जानने लगे.

− 4.शोध कार्य में भागीदारी

                               पियरे को जीवनसाथी पाकर मैडम क्यूरी अत्यंत प्रसन्न रखे! पियरे एक अध्यापक थे परंतु उनका वेतन कम था जिसमें दोनों के जीवन का निर्वाह कठिनतापूर्वक होता था!

− उन दोनों ने अपने आवास स्थान पर ही एक छोटी सी प्रयोगशाला स्थापित कर ली इसके व्यय का भार भी इसी कम वेतन में खर्च करना पड़ता था! उन्हीं दिनों सन 1896 में बेकुरल अपने शोध कार्य में रत थे

− उनका मत था

− यूरेनियम नामक एक भारी तत्व से कुछ किरणें निर्गत होती है मैडम क्यूरी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए इसी शोध कार्य विषय का चयन किया वह अपने शोध में जुट गए! मेरी ने यह पता लगाया कि

− यूरेनियम से कुछ किरणें निर्गत होती हैं

− यूरेनियम के अतिरिक्त थोरियम मैं भी रेडियो सक्रियता का गुण है

− .रेडियम का आविष्कार

                                 1897 में मैडम क्यूरी ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम आइरिन रखा! प्रयोगशाला में काम करने की अतिरिक्त भी मैडम क्यूरी को अपनी पुत्री की देखभाल भी करनी पड़ती थी! उन्हें कुछ धन राशि भी खर्च करनी पड़ती थी इससे उनका आर्थिक संकट गहराया, परंतु मैडम क्यूरी अपने साहस एवं उत्साह से कार्य में जुटे रहे!

− यूरेनियम अत्यंत ही मूल्यवान होता है उन दिनों इसे खरीदने के लिए क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था उन्हें पीचब्लडी नामक एक रेडियो सक्रिय पदार्थ मिला, जो काले भूरे रंग का एक खनिज है!

− यह शुद्ध यूरेनियम से अधिक सक्रिय होता है, अपने इस खोज पर वह अत्यंत ही संतुष्ट थे उनके शोध कार्य में अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाई रही वस्तुतः पिचब्लडी से यूरेनियम तत्व को अलग करने के बाद यह व्यर्थ माना जाता है एवं इसके मूल्य में काफी कमी हो जाती है परंतु यूरेनियम अलग की गई सस्ती पिचब्लडी को खरीदने के लिए भी मैडम क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था किसी प्रकार कुछ धनराशि लेकर उन्होंने पिचब्लडी को ऑस्ट्रिया से आयात किया!

क्यूरी के कठोर परिश्रम और शोध कार्य में उनकी लगन का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगभग 30 टन पिचब्लडी रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग तत्वों को अलग करके केवल 2 मिलीग्राम रेडियम प्राप्त किया, इसके द्वारा एक अन्य रेडियम सक्रिय पदार्थ की भी खोज की गई जिसका नाम मैडम क्यूरी के जन्म भूमि पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा गया!

− 6.नोबेल पुरस्कार से सम्मानित

                                     रेडियम और पोलोनियम की खोज, उनके शुद्ध अवस्था का निर्माण परमाणु भार निर्धारण तथा गुण की अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी को सन 1911 में रसायन का नोबेल पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया

− उन्हें एक बार नहीं वरन दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिस वजह से वह दो बार नोबेल पुरस्कार लेने वाली प्रथम व्यक्ति हो गई इसके पूर्व किसी भी व्यक्ति को दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ था!

− 7.मैडम क्यूरी की मृत्यु

                             रेडियो सक्रिय पदार्थ की खोज करने के बाद मेडम क्यूरी ने लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी देना आरंभ किया और संसार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए तथा उनके जन्म स्थान पोलैंड में सन 1932 में उन्होंने रेडियम संस्थान की स्थापना करें.


 रेडियम सक्रिय पदार्थों की कुप्रभाव के कारण मैडम क्यूरी अपने शरीर को सुरक्षित नहीं रख पाए. इसके कुप्रभाव से मैडम क्यूरी के शरीर में रक्त की कमी हो गया जिसके कारण उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1934 को हो गई!

   मैडम क्यूरी की की गई सबसे बड़ी रेडियम की खोज ही उनकी मृत्यु का कारण बनी.

− उन्होंने सादगी उत्साह और कठिन परिश्रम से सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचकर आजीवन मानवता की सेवा की तथा विज्ञान जगत में रेडियम तथा पोलोनियम का आविष्कार किया विज्ञान जगत मैडम क्यूरी का सदैव ऋणी रहेग

मैडम क्यूरी-जीवन परिचय