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{प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत की पुष्टि की गई है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-17
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{निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-7
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-भारत-संघात्मक
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-अमेरिका-संघात्मक
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+ब्रिटेन-संघात्मक
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{निम्न में से कौन-सा पद केवल संसदात्मक शासन प्रणाली में ही पाया जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-2
 
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-सभी उदारवादियों द्वारा
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-[[राष्ट्रपति]]
+केवल कुछ उदारवादियों द्वारा
+
-[[उप-राष्ट्रपति]]
-केवल जॉन लॉक द्वारा
+
-साम्राज्ञी
-केवल जॉन स्टुअर्ट मिल द्वारा
+
+[[प्रधानमंत्री]]
||हॉब्स ने जीवन के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना तथा लॉक ने जीवन, स्वतंत्रता तथा संपत्ति के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना। स्पेंसर ने स्वाधीनता के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना। इस प्रकार कुछ उदारवदियों द्वारा प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांतों की पुष्टि की गई।
+
||प्रधानमंत्री का पद संसदात्मक शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता है। वह सरकार का प्रधान होता है। वह विधायिका में बहुमत दल का नेता होता है तथा विधायिका के प्रति जवाबदेह होता है। यद्यपि राष्ट्र का औपचारिक प्रमुख राजा (संवैधानिक-राजतंत्र) या राष्ट्रपति (संसदीय गणतंत्र) होता है।
  
{संसदीय सरकार में कार्यपालिका की वास्तविक शक्तियां किसमें निहित हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-1
+
{[[चीन]] ने स्वीकार किया है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-7
 
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-[[प्रधानमंत्री]]
+
-बहुदलीय पद्धति
-[[संसद]]
+
-द्विदलीय पद्धति
+[[मंत्रिपरिषद]]
+
+एक दलीय पद्धति
-[[राष्ट्रपति]]
+
-दल रहित पद्धति
||संसदीय सरकार में कार्यपालिका की वास्तविक शक्तियां [[प्रधानमंत्री]] को अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद के पास होती हैं। [[भारतीय संविधान]] के अनुच्छेद 74 में उल्लिखित है कि [[राष्ट्रपति]] को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा प्रधानमंत्री के चयन तथा नियुक्ति के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 75 में उल्लेख है।
 
  
{किस देश में एक दलीय पद्धति है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-6
+
 
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{थामस हेयर का नाम किस निर्वाचन पद्धति से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-4
 
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-[[भारत|भारतवर्ष]]
+
+आनुपातिक पद्धति से
-[[फ्रांस]]
+
-एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र, सामान्य बहुमत पद्धति से
+[[चीन]]
+
-एक सदस्यी चुनाव क्षेत्र, विशिष्ट बहुमत पद्धति से
-[[ब्रिटेन]]
+
-दलविहीन सूची पद्धति से
||एक दलीय पद्धति वाले देशों में केवल एक ही पार्टी को सरकार बनाने का अधिकार होता है। चीन गणराज्य में [[1949|वर्ष 1949]] से एक दलीय शासन है। [[चीन]] की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य ही वहां सरकार में शामिल होते हैं।
+
||प्रतिनिधित्व की आनुपातिक पद्धति का प्रतिपादन 18 वीं सदी में थॉमस हेयर ने अपनी पुस्तक 'प्रतिनिधि का चुनाव में' किया था। इसीलिए प्रतिनिधित्व की आनुपातिक प्रणाली को हेयर प्रणाली भी कहा जाता है। इस पद्धति में एक बहुसदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होता है तथा निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक मतदाता को उम्मीदवारों की संख्या के बराबर मत देने का अधिकार होता है। इस पद्धति में वे उम्मीदवार विजयी होते है जो आवश्यक चुनाव कोटा प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रणाली को कार्यरूप में परिणित करने के लिए मुख्यत: पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है-1.एकल संक्रमणीय मत प्रणाली 2.सूची प्रणाली। इस प्रणाली का प्रयोग अल्पसंख्यकों की उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रयोग की जाती है।
  
{हेयर प्रणाली का संबंध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-3
+
{निम्न में से कौन-सी संस्था लोक शिकायतों से संबंधित नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-28
 
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-सूची निर्वाचन पद्धति से
+
+[[योजना आयोग]]
-सार्वभौम मताधिकार से
+
-लोकायुक्त
-कार्यात्मक प्रतिनिधित्व से
+
-[[उच्चतम न्यायालय]]
+एकल संक्रमणीय पद्धति से
+
-उच्चतर न्यायालय
||एकल संक्रमणीय पद्धति को 'हेयर प्रणाली' के नाम से भी जाना जाता है। एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में प्रत्येक मतदाता वोट तो एक ही देगा किंतु वह मतदाता पत्र कर अपनी पसंद 1,2,3,4 लिखकर वरीयताक्रम में प्रदर्शित करेगा कि वह किस क्रम में उम्मीदवारों को पसंद करता है, चाहे कितने ही प्रत्याशी क्यों न खड़े हों। इसमें निर्वाचन क्षेत्र में न्यूनतम 3 सदस्य होने चाहिए। एकल संक्रमणीय प्रणाली अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व देने की पद्धतियों में से सबसे अच्छी मानी जाती है।
+
||योजना आयोग देश के विकास हेतु योजनाओं का निर्माण करने वाली संस्था हैं। यह लोक शिकायतों से संबंधित संस्था नहीं हैं।
  
  
{निम्न में से कौन-सा [[भारत]] का स्टाफ अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-27
+
{[[भारतीय संसद]] की समितियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-17
 
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-मंत्रिमंडलीय सचिवालय
+
+लोक लेखा समिति
-प्रधानमंत्री कार्यालय
+
-प्राक्कलन समिति
-योजना आयोग
+
-सार्वजनिक उपक्रमों की समिति
+रेल मंत्रालय
+
-अधीनस्थ विधायन की समिति
 +
||[[भारतीय संसद]] की समितियों में 'लोख लेखा समिति' सबसे महत्त्वपूर्ण समिति है। इसका उद्देश्य लोक व्यय के दुरुपयोग एवं अनियमितताओं को सदन के समक्ष उजागर करना होता है। यह उन लोक प्राधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की सिफारिश करते है जो व्यय के दुरुपयोग हेतु उत्तरदायी पाए जाते हैं। समिति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को आधार मानकर लोक व्ययों का प्रतिपरीक्षण करती है। सामान्यत: विपक्ष के [[लोक सभा]] सदस्य को इसका [[अध्यक्ष]] नियुक्त किए जाने की प्रथा (1967-1968 से) है। लोक लेखा समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट लोक सभा के स्पीकर की जाती है।
  
{[[भारतीय संविधान]] के अनुसार [[संसद]] की बैठक एक साल में कम से कम कितनी बार होनी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-16
+
 
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{निम्नलिखित में से कौन पंचायती राज की स्थानीय स्व सरकार की तीन स्तरीय संरचना का एक संघटक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-187,प्रश्न-7
 
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-एक बारा
+
-ग्राम
+दो बार
+
+प्रखंड
-तीन बार
+
-जिला
-चार बार
+
-क्षेत्र
||अनुच्छेद 85(1) के अनुसार संसद के प्रत्येक सदन के एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होगा। इस प्रकार एक वर्ष में कम से कम 2 बार बैठक होना अनिवार्य है।
+
||पंचायती राज की त्रि-स्तरीय प्रणाली में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत समिति तथा जिला परिषद आते हैं जबकि प्रखंड इसमें सम्मिलित नहीं है।
  
{मुख्य लेखा अधिकारी इनमें से किसके आय-व्यय की जांच नहीं करते? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-173,प्रश्न-206
+
{भारत में क्षेत्रवाद के उदय का प्रमुख कारण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-7
 
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-राज्य सरकार की
+
-पृथकतावाद
-केंद्रीय सरकार की
+
-अल्पसंख्यको की स्थिति
+नगर निगम की
+
-पृथक राज्यों की मांग
-सरकारी उद्योग की
+
+भाषा के आधार पर राज्यों का गठन व निर्माण
||अनुच्छेद 149 के अनुसार, मुख्य लेखा अधिकारी (नियंत्रक महालेखा परीक्षक) के दो प्रमुख कर्त्तव्य हैं- (1) एकाउन्टेंट के रूप में वह [[भारत]] की संचित निधि से निकाली जाने वाली सभी रकमों पर नियंत्रण रखता है, (2) ऑडीटर के रूप में वह संघ और राज्यों के सभी खर्चों की लेखा- परीक्षा करता है। इनमें सरकारी उपक्रमों के आय-व्यय की लेखा-परीक्षा भी सम्मिलित है।
+
||भारत में क्षेत्रवाद के उदय का प्रमुख कारण, भाषा के आधार पर राज्यों का गठन व निर्माण है। भाषावार प्रांतों के बनने के बाद भी इन प्रांतों के एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्र के लोगों से काफी भिन्न है। इसलिए विभिन्न प्रांतों में क्षेत्रीय भावनाओं की संतुष्टि एवं क्षेत्रीय हितों के लिए आंदोलन होते रहते है।
  
{निर्वाचान के बाद, सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-186,प्रश्न-6
+
{निम्न में से कौन प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत के प्रतिपादक हैं: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-19
 
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-3 माह बाद
+
-बेंथम
-6 माह बाद
+
+थामस पेन
-1 वर्ष बाद
+
-बर्क
+2 वर्ष बाद
+
-हॉब्स
||निर्वाचन के बाद, सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव 2 वर्ष बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है। सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए [[ग्राम पंचायत]] के कुल मतदाताओं का न्यूनतम पांचवां भाग अर्थात 20% मतदाताओं के हस्ताक्षर से युक्त एक आवेदन पत्र जिला पंचायत राज अधिकारी को दिया जाता है। जिला पंचायत राज अधिकारी 15 दिन के भीतर ग्राम सभा की एक विशेष बैठक का आयोजन करते हैं जिसकी अध्यक्षता जिला पंचायत राज अधिकारी स्वयं करते हैं। इस बैठक में दो तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके सरपंथ को हटाया जा सकता है परंतु अविश्वास प्रस्ताव पारित न होने की दशा में पुन: इस दिन से अगले एक वर्ष की अवधि तक सरपंथ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया सकता है। सरपंथ के कार्यकाल के अंतिम छ: माह की अवधि में भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।
 
  
{निम्नलिखित में से कौन-से तत्व भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-6
+
{भारतीय संघवाद के उदाहरण को सर्वोत्कृष्ट किस नाम से विश्लेषित किया जा सकता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-8
 
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-[[जाति]]
+
-विशुद्ध संघवाद
-[[धर्म]]
+
-शास्त्रीय संघवाद
-क्षेत्र
+
+अर्द्ध-संघवाद
+उपर्युक्त दोनों
+
-प्राचीनतम संघवाद
||भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में जाति, [[धर्म]], [[भाषा]] एवं क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये तत्व भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निर्धारित एवं प्रभावित करते हैं।
+
||भारतीय संघवाद को अर्द्धसंघवाद के रूप में विश्लेषित किया जाता है। के.सी. ह्वेयर ने अपनी पुस्तक 'माडर्न कांस्टिट्यूशंस' में भारतीय संघवाद को अर्द्धसंघीय प्रणाली कहा है। उच्चतम न्यायालय ने ऑटोमोबाइल ट्रांसपोर्ट में हमारे संविधान को परिसंघीय बताया है। केशवानन्द भारती वाद में परिसंघीय संरचना को आधारभूत लक्षण माना गया। 1983 में गठित सरकारिया आयोग (केंद्र-राज्य संबंधो पर) ने भी भारतीय संविधान को परिसंघीय माना है। अत: भारतीय संविधान परिसंघीय (अर्द्ध संघीय Quasi Federal) है। ज्ञातव्य है कि प्राचीनतम संघवाद का उदाहरण अमेरिका में मिलता है। वह संघवाद की जननी है।
  
{राजनीतिक अधिकारों में किसे सम्मिलित नहीं करते? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-18
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{संसदात्मक शासन प्रणाली में वैधानिक संप्रभु कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-3
 
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-[[मतदान]]
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-राष्ट्रपति
-सरकार का विरोध करना
+
+संसद
-निर्वाचित होना
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-प्रधानमंत्री
+काम पाना
+
-न्यायपालिका
||[[मतदान]], सरकार का विरोध करना, विरोचित होना आदि राजनीतिक अधिकारों में सम्मिलित हैं जबकि 'काम पाना' इसमें सम्मिलित नहीं है।
+
||संसदात्मक शासन प्रणाली में वैधानिक संप्रभु संसद होती है। इसका बेहतरीन उदाहरण ब्रिटेन की संसद की शक्तियां पर, कम से कम सिद्धांत रूप में कोई रोक नहीं हैं क्योंकि वहां पर कोई लिखित संविधान नहीं है। भारत के संविधान में संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न शक्तियां निहित करने के संबंध में कोई विशिष्ट उपबंध नहीं हैं। किंतु संविधान की उद्देशिका में यह कहकर कि 'हम, भारत के लोग, इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं', संविधान निर्माताओं स्पष्ट कर दिया कि संप्रभुता का वास भारत के लोगों में है।
  
 
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12:12, 29 नवम्बर 2017 का अवतरण

1 निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-7

भारत-संघात्मक
ऑस्ट्रेलिया-संघात्मक
अमेरिका-संघात्मक
ब्रिटेन-संघात्मक

2 निम्न में से कौन-सा पद केवल संसदात्मक शासन प्रणाली में ही पाया जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-2

राष्ट्रपति
उप-राष्ट्रपति
साम्राज्ञी
प्रधानमंत्री

3 चीन ने स्वीकार किया है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-105,प्रश्न-7

बहुदलीय पद्धति
द्विदलीय पद्धति
एक दलीय पद्धति
दल रहित पद्धति

4 थामस हेयर का नाम किस निर्वाचन पद्धति से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-110,प्रश्न-4

आनुपातिक पद्धति से
एक सदस्यीय चुनाव क्षेत्र, सामान्य बहुमत पद्धति से
एक सदस्यी चुनाव क्षेत्र, विशिष्ट बहुमत पद्धति से
दलविहीन सूची पद्धति से

5 निम्न में से कौन-सी संस्था लोक शिकायतों से संबंधित नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-133,प्रश्न-28

योजना आयोग
लोकायुक्त
उच्चतम न्यायालय
उच्चतर न्यायालय

6 भारतीय संसद की समितियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-139,प्रश्न-17

लोक लेखा समिति
प्राक्कलन समिति
सार्वजनिक उपक्रमों की समिति
अधीनस्थ विधायन की समिति

7 निम्नलिखित में से कौन पंचायती राज की स्थानीय स्व सरकार की तीन स्तरीय संरचना का एक संघटक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-187,प्रश्न-7

ग्राम
प्रखंड
जिला
क्षेत्र

8 भारत में क्षेत्रवाद के उदय का प्रमुख कारण है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-189,प्रश्न-7

पृथकतावाद
अल्पसंख्यको की स्थिति
पृथक राज्यों की मांग
भाषा के आधार पर राज्यों का गठन व निर्माण

9 निम्न में से कौन प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धांत के प्रतिपादक हैं: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-91,प्रश्न-19

बेंथम
थामस पेन
बर्क
हॉब्स

10 भारतीय संघवाद के उदाहरण को सर्वोत्कृष्ट किस नाम से विश्लेषित किया जा सकता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-97,प्रश्न-8

विशुद्ध संघवाद
शास्त्रीय संघवाद
अर्द्ध-संघवाद
प्राचीनतम संघवाद

11 संसदात्मक शासन प्रणाली में वैधानिक संप्रभु कौन होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-100,प्रश्न-3

राष्ट्रपति
संसद
प्रधानमंत्री
न्यायपालिका