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-जुलाई, 1963 ई. में
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-मई, 1965 ई. में
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||[[भारत]] का '[[केंद्रीय सतर्कता आयोग]]' (CVC) [[भारत सरकार]] के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से संबंधित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। इसकी स्थापना [[फरवरी]], 1964 में संथानम समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई।
  
{द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक की अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7
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{निम्नलिखित में से कौन कल्याणकारी राज्य का समर्थक था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-16
 
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-अध्यात्मक व्यवस्था
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-लेनिन
-संसदात्मक व्यवस्था
+
-बेंथम
+संघात्मक व्यवस्था
+
+[[जवाहरलाल नेहरू]]
-एकात्मक व्यवस्था
+
-जे.एस. मिल
||द्विसदनवाद संघात्मक शासन प्रणाली की अनिवार्य विशिष्टता है।
+
||[[जवाहरलाल नेहरू]] [[इंग्लैंड]] के फेवियन समाजवादी विचारों से प्रभावित थे। उनका विश्वास लोकतांत्रिक समाजवाद में था तथा वे कल्याणकारी राज्य में भी विश्वास रखते थे। उन्होंने अपने एक भाषण में लोक कल्याणकारी राज्य को परिभाषित करते हुए कहा था, "सब के लिए अमान अवसर प्रदान करना, अमीरों और गरीबों के बीच अंतर मिटाना और जीवन स्तर को ऊपर उठाना लोक हितकारी राज्य के आधारभूत तत्त्व है।"
  
{दबाव समूह की प्रमुख विशेषता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-107,प्रश्न-22
+
{निम्नलिखित में तीन ऐसे है, जो एक-दूसरे से मिलते हैं। वह चौथा कौन-सा है, जो इन तीनों से अलग है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-26
 
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-अनिश्चित कार्यकाल
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-उदारवाद
+प्रशासन में परोक्ष भूमिका
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-बहुलवाद
-सर्वव्यापक प्रकृति
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-व्यक्तिवाद
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग
+
+समाजवाद
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है।
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||समाजवाद, मूलत: अपने प्रारंभिक समय में काल्पनिक था लेकिन बाद में [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] एवं ऐंजिल्स ने इसको वैज्ञानिक समाजवाद में रूपांतरित कर दिया। वैज्ञानिक समाजवाद, उदारवाद के प्रतिक्रियास्वरूप उत्पन्न हुआ था। उदारवाद, व्यक्तिवाद व बहुलवाद तीनों एक ही धारा के विविध रूप हैं। उदारवाद के ही भीतर से आगे बहुलवाद तीनों एक ही धारा के विविध रूप हैं। उदारवाद के ही भीतर से आगे चलकर विकासवादी समाजवाद की धारा निकली जिसमें बर्नस्टीन जैसे संशोधनवादियों का योगदान रहा। नकारात्मक उदारवाद न्यूनतम राज्य का समर्थक था। तो सकारात्मक उदारवाद व्यक्ति के हित में राज्य के हस्तक्षेप का पक्षधर था। समाजवाद राज्य को सबसे महत्त्वपूर्ण मानता है जिसके माध्यम से पूंजीपतियों को नष्ट करके क्रमश: राज्य विहीन समाज की स्थापना होगी।
  
{'अहस्तक्षेप की नीति' किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-38, प्रश्न-15
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{संप्रभुता एक विशिष्टता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-25
 
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-श्रेणी समाजवाद
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-जनता की
-समाजवाद
+
+राज्य की
-अकारात्मक उदारवाद
+
-सरकार की
+नकारात्मक उदारवाद
+
-[[संसद]] की
||'अहस्तक्षेप की नीति', नकारात्मक उदारवाद की विशेषता है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता में राज्य के किसी भी तरह के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है। नकारात्मक उदारवाद 16वीं से 18वीं सदी के बीच विकसित अवधारणा है जिसके प्रमुख प्रतिपादक विचारक जॉन लॉक, एडम स्मिथ एवं रिकार्डो हैं। इसके अनुसार, राज्य एक आवश्यक बुराई है तथा आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में राज्य की न्यूनतम भूमिका होनी चाहिए, यह व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों में विश्वास रखता है जिसमें संपत्ति का अधिकार सबसे महत्त्वपूर्ण है।
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||संप्रभुता राज्य की विशिष्टता होता है।
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{'जनवादी लोकतंत्र' की अवधारणा संबंधित हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-25
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{निम्नलिखित में कौन सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-48
 
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+लोकतंत्र की मार्क्सवादी अवधारणा से
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-प्रशासन की मध्यवर्ती सोपान सहायक अभिकरण कार्य सौंपता है।
-लोकतंत्र कि विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत से
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+सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता करती हैं।
-लोकतंत्र के बहुलवादी सिद्धांत से
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-सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता नहीं करती हैं।
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
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-सहायक अभिकरण नीतियों में सुधार का सुझाव देते हैं।
||जनवादी लोकतंत्र (People's Democracy) की अवधारणा का संबंध लोकतंत्र की मार्क्सवादी धारणा से है। जनवादी लोकतंत्र की अवधारणा को विकसित करने का श्रेय [[चीन]] के साम्यवादी नेता 'माओत्से तुंग' को  जाता है जिन्होंने मार्क्सवाद को एशिया की परिस्थितियों के अनुरूप ढाला जनवादी लोकतंत्र में सरकार के अंग के रूप में कुछ बुर्जुआ, पेटी बुर्जुआ, किसान और सर्वहारा वर्ग रहते हैं।
+
||सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता करती हैं। इनका कार्य तथ्यों को इकट्ठा करना तथा महत्त्वपूर्ण विषयों को विचार के लिए कार्यपालिका के सम्मुख प्रस्तु करना है। इनकी सेवा प्रधान सेवा न होकर गौण सेवा होती है। विलोबी ने इन सेवाओं को 'संस्था-मूलक' अथवा 'गृह-प्रबंध संबंधी' क्रियाओं के नाम से पुकारा है।
  
{लोकप्रिय संप्रभुता किसमें निहित होती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-24
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{समाज में समानता का निहितार्थ किसका अभाव है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-15
 
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-[[राष्ट्रपति]]
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-अवरोधों का
-[[प्रधानमंत्री]]
+
+विशेषाधिकार का
+जनता
+
-प्रतिस्पर्द्धा का
-संसद
+
-सामाजिक वर्गों का
||लोकप्रिय संप्रभुता जनता में निहित है। लोकप्रिय प्रभुसत्ता का विचार नैतिक आधार पर जनता को प्रभुसत्ता का उपयुक्त पात्र मानता है।
+
||समानता का विचार विशेषाधिकारों के विरुद्ध है। प्राय: लोकतंत्र के लिए विशेषाधिकारों को खत्म करके समानता पर आधारित समाज का निर्माण आवश्यक होता है। समाज में धर्म, जाति का जन्म के आधार पर यदि व्यक्तियों को विशेषाधिकार प्राप्त हों, तो उस समाज में वास्तविक समानता को प्राप्त कर पाना संभव नहीं होता। वास्तविक समानता की प्राप्ति के लिए विशेषाधिकारों के अभाव की स्थिति नितांत आवश्यक है।
  
{किसने कहा कि "राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन" है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-47
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{निम्नलिखित में से कौन [[भारत]] में एकात्मक विशेषता का समर्थन नहीं करता? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-9
 
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-[[विपिन चन्द्र पाल]]
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-अखिल भारतीय सेवाएं
+[[अरविंद घोष|अरविंद]]
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-एकल नागरिकता
-[[महात्मा गांधी]]
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-आपातकालीन प्रावधान
-[[भीमराव अम्बेडकर|बी.आर. अम्बेडकर]]
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+औपचारिक प्रधान के रूप में [[राष्ट्रपति]]
||[[अरविंद घोष]] ने राष्ट्र का महिमामंडन करते हुए कहा है कि 'राष्ट्र दैविक आदर्श की अभिव्यक्ति एवं उसका रहस्योद्घाटन' है।
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||[[भारतीय संविधान]] ने [[भारत]] में संसदीय सरकार की स्थापना की है। [[अमेरिका]] में सरकार का स्वरूप अध्यक्षात्मक है। संसदीय सरकार में [[राष्ट्रपति]] सांविधानिक अध्यक्ष होता है, लेकिन वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित होती है, जिसका [[प्रधानमंत्री]] होता है। इस प्रकार मात्र औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति, भारत में एकात्मक विशेषता का समर्थन नहीं करता।
  
{यह कथन कि "स्वतंत्रता और समानता साथ-साथ नहीं रह सकते" किससे संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-14
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{[[अमेरिका]] में दबाव समूहों द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी विधि प्रयोग में लाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-24
 
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-डायसी
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-बहिष्कार
+लॉर्ड एक्टन
+
+लॉबी प्रचार
-बर्लिन
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-विधीत अभियोग
-रूसो
+
-शांतिपूर्ण प्रदर्शन
||लॉर्ड एक्टन स्वतंत्रता एवं समानता को परस्पर विरोधी मानते हैं। इनके अनुसार, स्वतंत्रता प्रकृति प्रदत्त है जबकि समानता प्रकृति की देन नहीं है यह कृत्रिम है। लॉर्ड एक्टन ने कहा है कि "स्वतंत्रता एवं समानता साथ-साथ नहीं रह सकते"।
+
||[[अमेरिका]] में दबाव समूहों द्वारा लॉबी प्रचार विधि का प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत [[विधानमंडल]] के सदस्यों को प्रभावित कर अपने दित में कानून का निर्माण कराया जाता है।
  
{निम्नलिखित सरकारों की व्यवस्थाओं में दोहरा शासन किसका आवश्यक लक्षण है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-8
+
{नवीन लोक प्रशासन मुख्यत: संबद्ध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-14
 
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-अध्यक्षीय
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-विकासशील देशों की प्रशासनिक व्यवस्था से
-संसदीय व्यवस्था
+
-प्रशासनिक व्यवस्था की उत्पादकता से
+संघीय व्यवस्था
+
-प्रशासनिक व्यवस्था की अधिकारी तंरीकरण से
-एकात्मक व्यवस्था
+
+लोक प्रशासन के मानवीय अभिमुखन से
||केंद्रीय और प्रान्तीय सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन संघात्मक संविधान का एक परमावश्यक तत्व है। संघीय व्यवस्था केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार के रूप में दोहोरी शासन पद्धति की व्यवस्था करती है। संविधान के वे उपबंध जो संघीय व्यवस्था से संबंध रखते हैं, उनमें राज्य सरकारों की सहमति के बिना परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
+
||लोक प्रशासन के शास्त्रीय मूल्य दक्षता, मितव्ययता, उत्पादकता एवं केंद्रीकरण रहे हैं। वहीं नवीन लोक प्रशासन मानववाद, विकेंद्रीकरण, प्रत्यायोजन, बहुवाद, व्यक्तिगत वृद्धि, वैयक्तिक गरिमा आदि का समर्थन करता है। नवीन लोक प्रशासन मूल्य तटस्थता अस्वीकार करता है। वह नागरिक सहभागिता, अधिकारी तंत्र पर नियंत्रण और नौकरशाही के उत्तरदायित्व का समर्थन करता है।
  
{1968 का मिन्नोब्रुक सम्मेलन संबंधित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-13
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{'तृतीय विश्व' पदावली का सर्वप्रथम  प्रयोग किया गया था: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-23
 
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-लोक प्रशासन से
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+अल्फ्रेड सोवी द्वारा
+नवीन लोक प्रशासन से
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-फ्रांट्स फैनन द्वारा
-निजी प्रशासन से
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-बर्नार्ड बारूच द्वारा
-संगठन से
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-विली ब्रांट द्वारा
||वर्ष 1968 के मिन्नोब्रुक सम्मेलन के शासन लोक प्रशासन के क्षेत्र में भी नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ है और इन विचारों को 'नवीन लोक प्रशासन' की संज्ञा दी गयी है। वर्ष 1971 में फ्रेक मेरीनी द्वारा संपादित एक पुस्तक 'नवीन लोक प्रशासन की दिशाएं-मिन्नोब्रुक परिप्रेक्ष्य' के प्रकाशन के साथ ही 'नवीन लोक प्रशासन' को मान्यता प्राप्त हुई है।
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||तृतीय विश्व शब्द का प्रयोग सबसे पहले फ्रांसीसी लेखक अल्फ्रेड सॉवी ने वर्ष 1952 में किया था। इस शब्द से सॉवी का संकेत उन अफ्रीकी, एशियाई देशों की तरफ था जो सादियों तक उपनिवेश वाद और साम्राज्यवाद की जकड़ में थे। तृतीय विश्व के देश प्राय: आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए तथा कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। यहां तीव्र जनसंख्या वृद्धि, अस्थिर राजनीतिक व्यवस्था तथा भ्रष्टाचार जैसे समस्य पाई जाती है।
  
{इनमें से किस घटना को तनाव शैथिल्य से जोड़ना अनुचित होगा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-22
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{निम्न में से कौन-सा कार्य नौकरशाही का नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-44
 
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+नाटो (NATO) का गठन
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-कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना
-निक्सन की चीन यात्रा
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+अध्यादेशों की घोषणा करना
-साल्ट (SALT) की संधियां
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-राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना
-[[अमेरिका]] की वियतनाम से वापसी
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-अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना
||नाटो (नार्थ एटलांटिक ट्रिटी आर्गेनाइजेशन) एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई थी। इस संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था अपनायी है जिसके अनुसार इस संगठन के किसी सदस्य देश के ऊपर किसी अन्य देश द्वारा हमले की स्थिति में संगठन के सदस्य देश उसकी आक्रमणकारी देश से रक्षा करते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य तीनों घटनाएं तनाव शैथिल्य से संबंधित हैं।
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||कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना, राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना ये सभी नौकरशाही के अंतर्गत आने वाले कार्य हैं जबकि अध्यादेशों की घोषणा करना, [[राष्ट्रपति]] की अध्यादेश प्रस्थापित करने की शक्ति (अनुच्छेद 123) तथा राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति (अनुच्छेद 213) के अंतर्गत आता है।
  
 
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12:13, 31 जनवरी 2018 का अवतरण

1 "संथानम समिति' की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना कब की गई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-43

मार्च, 1964 ई. में
फरवरी, 1964 ई. में
जुलाई, 1963 ई. में
मई, 1965 ई. में

2 निम्नलिखित में से कौन कल्याणकारी राज्य का समर्थक था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-16

लेनिन
बेंथम
जवाहरलाल नेहरू
जे.एस. मिल

3 निम्नलिखित में तीन ऐसे है, जो एक-दूसरे से मिलते हैं। वह चौथा कौन-सा है, जो इन तीनों से अलग है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-26

उदारवाद
बहुलवाद
व्यक्तिवाद
समाजवाद

4 संप्रभुता एक विशिष्टता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-25

जनता की
राज्य की
सरकार की
संसद की

5 निम्नलिखित में कौन सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-48

प्रशासन की मध्यवर्ती सोपान सहायक अभिकरण कार्य सौंपता है।
सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता करती हैं।
सहायक इकाइयां प्रमुख कार्यकारी की सहायता नहीं करती हैं।
सहायक अभिकरण नीतियों में सुधार का सुझाव देते हैं।

6 समाज में समानता का निहितार्थ किसका अभाव है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-85,प्रश्न-15

अवरोधों का
विशेषाधिकार का
प्रतिस्पर्द्धा का
सामाजिक वर्गों का

7 निम्नलिखित में से कौन भारत में एकात्मक विशेषता का समर्थन नहीं करता? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-9

अखिल भारतीय सेवाएं
एकल नागरिकता
आपातकालीन प्रावधान
औपचारिक प्रधान के रूप में राष्ट्रपति

8 अमेरिका में दबाव समूहों द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सी विधि प्रयोग में लाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-24

बहिष्कार
लॉबी प्रचार
विधीत अभियोग
शांतिपूर्ण प्रदर्शन

9 नवीन लोक प्रशासन मुख्यत: संबद्ध है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-14

विकासशील देशों की प्रशासनिक व्यवस्था से
प्रशासनिक व्यवस्था की उत्पादकता से
प्रशासनिक व्यवस्था की अधिकारी तंरीकरण से
लोक प्रशासन के मानवीय अभिमुखन से

10 'तृतीय विश्व' पदावली का सर्वप्रथम प्रयोग किया गया था: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-23

अल्फ्रेड सोवी द्वारा
फ्रांट्स फैनन द्वारा
बर्नार्ड बारूच द्वारा
विली ब्रांट द्वारा

11 निम्न में से कौन-सा कार्य नौकरशाही का नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-44

कानून और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करना
अध्यादेशों की घोषणा करना
राष्ट्रीय बजट को बनाने में मदद करना
अंतर्राष्ट्रीय संधियों को तैयार करने में मदद करना